औषधीय कृषि – सनाय(Sine) की खेती कैसे करें?

सनाय(Sine) की खेती कैसे करें साधारण नाम- सनाय वानस्पतिक नाम- केसिया अंगुस्तिफोलिया उन्नत किस्म- सोना [By Lalithamba from India [CC BY 2.0 (http://creativecommons.org/licenses/by/2.0)], via Wikimedia Commons] Also read : कैमोमिल (Chamomile) या गुलेबबुना की खेती कैसे करें? उपयोग- फलियों के छिलके तथा पत्तियों का उपयोग यूनानी एवं भारतीय चिकित्सा पद्यति में दस्तावर औषधि के रूप में होता है। सम्पूर्ण पौधे में सेनोसाइट पाया जाता है, लेकिन इसकी मात्रा फलियों के छिलकों में 3-4℅ तथा पत्ति...
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प्रतिबंधित कीटनाशकों को भारत में खुलेआम बेचा और प्रयोग किया जा रहा है|इस से बचें और इसे रोकें|

प्रतिबंधित कीटनाशक
प्रतिबंधित कीटनाशक - भारत में खुलेआम बेचा और प्रयोग किया जा रहा है| आपसे बेहतर इस तथ्य को कौन समझ सकता है कि खेती के मामले में जहर पर हमारी निर्भरता कितनी बढ़ चुकि है। फसल उगाने से पहले खेत में जहर डालना शुरू करते हैं तो भण्डारण तक नहीं रूकते। बात यहीं खत्म हो जाती तो गनीमत था, अब तो फल-सब्जियों को पकाने और देर तक ताजा रखने के लिए भी जहर का इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। एक आश्चर्यजनक सच्चाई यह भी है कि दुनिया भर के प्रतिबंधित कीटनाशक को भारत में खुलेआम बेचा और प्रयोग किया जा रहा है। फल-सब्जियो...
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जानिये घर और फसलों में दीमक से छुटकारा पाने के आसान उपाय

फसलों में दीमक
दीमक एक कटिबंधों में सबसे हानिकारक कीट हैं और कृषि के क्षेत्र में काफी समस्याएं, पैदा कर सकता है|दीमक की कुल 2500 प्रजातियाँ होती हैं इनके घोंसलों भूमिगत होते है, इसके रोकथाम के लिए कुछ उपाय निम्न हैं | 1- मटका विधि आवश्यक  सामग्री 1-मक्का के भुट्टे की गिंड़याँ 2- मिटटी का घड़ा 3- सूती कपडा You Can Also Check Out:- प्रमुख फफूंदीनाशी रसायन प्रयोग विधि  मक्का के भुट्टे के दाने  निकलने के बाद जो गिल्लियां बचती है (आठ से दस गिल्लियां ) उन्हें मिटटी के घड़े में इकट्ठा कर घड़े में रख क...
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कैसे करें मधुमक्खी पालन? मधुवाटिका में मधुमक्खियों की देखरेख एवं प्रबन्धन.

मौन गृह
कैसे करें मधुमक्खी पालन ? मधुवाटिका एवं प्रबन्धन मधुमक्खियों सहित मौन गृह रखे जाने वाले स्थान को मधुवाटिका कहते है। अधिक शहद उत्पादन लेने के लिए यह आवश्यक है कि पूरे वर्ष भर मधुवाटिका की उचित देख रेख समयानुसार करे। एक सफल मौन पालक को मौसम तथा विभिन्न ऋतुओं के अनुसार मौन को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के बारे में ज्ञान बहुत जरूरी है| विभिन्न ऋतुओं के अनुसार मौन गृह का देख-रेख करते हुये मौन पालक अपेक्षाकृत अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। अतः एक मौनपालक को मौसम के अनुसार निम्न प्रकार से मौनगृह का ...
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औषधीय कृषि – कैमोमिल (Chamomile) या गुलेबबुना की खेती कैसे करें?

कैमोमाइल
कैमोमिल या गुलेबबुना की खेती कैसे करें? साधारण नाम- कैमोमिल, गुलेबबुना। वानस्पतिक नाम- कैमोमिला rikyutita। उन्नत किस्म- वेल्लरी, प्रशांत, सीमैप- सम्मोहक। उपयोग- फूल तथा उससे प्राप्त तेल, फूलों का उपयोग चाय, हर्बल , स्नान, सुगंधियों एवं सजावट के लिए तथा इसके तेल का उपयोग साबुन, कास्मेटिक, शैम्पू, क्रीम, फार्मास्युटिकल्स, घरेलू दवाइयां, माउथ वाश, सुगन्ध उपयोग एवं अरोमाथेरेपी में होता है। प्रमुख रासायनिक घटक- कैमोमिल के तेल में कैमोजुलिन रसायन की मात्रा 17-18 ℅ होती है। जल...
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मूली(Radish) उत्पादन की उन्नत तकनीक

radish(मूली )
radish(मूली ) उत्पादन की उन्नत  तकनीक   महत्व – मूली का उपयोग प्रायः सलाद एवं पकी हुई सब्जी के रूप में किया जाता है इसमें तीखा स्वाद होता है। इसका उपयोग नाष्ते में दही के साथ पराठे के रूप में भी किया जाता है। इसकी पत्तियों की भी सब्जी बनाई जाती है। मूली विटामिन सी एवं खनीज तत्व का अच्छा स्त्रोत है। मूली लिवर एवं पीलिया मरीजों के लिए भी अनुसंषित है। जलवायु मूली के लिए ठण्डी जलवायु उपयुक्त होती है लेकिन अधिक तापमान भी सह सकती है। मूली की सफल खेती के लिए 10-150से. तापमान सर्वोत...
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खस या वेटीवर(vetiver) की खेती कैसे करें??

vetiver(खस)
 खस या वेटीवर की खेती कैसे करें? साधारण नाम- खस, वेटीवर वानस्पतिक नाम- kraisopogan जिजैनियोइडिस उन्नत किस्में- के एस- 1, के एस- 2, धारिणी, केशरी, गुलाबी, सिम-व्रद्धि, सीमैप खस- 15, सीमैप खस- 22, सीमैप खुशनलिका। उपयोग- जड़ो से प्राप्त सुगन्धित तेल, कास्मेटिक, साबुन एवं इत्र आदि में प्रयोग किया जाता है। इसका तेल उच्च श्रेणी का स्थिरक होने के कारण चन्दन, लेवेंडर एवं गुलाब के तेल पर ब्लेंडिंग में प्रयोग होता है। इसके अतिरिक्त तम्बाकू, ...
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नवम्बर माह में मैदानी क्षेत्र एवं पर्वतीय क्षेत्र में होने वाली फसले, फल, पुष्प, पशुपालन।

नवम्बर माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाली फसले धान, उर्द  व मूगं देर से बोई गई  फसल की कटाई कर लें और सुखाकर भंडारण की व्यवस्था करें। मूगंफली देर से बोई गई फसल की खुदाई  करें। अरहर शीघ्र पकने वाली किस्मों  की 75-80 प्रतिशत फलियां पकने पर कटाई कर लें। लम्बी अवधि की किस्मों में फलीछेदक कीट के रोकथाम के लिए मोनाक्रोटोफेास (36 एस.एल.) 1250 मिली. या डाइमेथाऐट 3. 0 इ.सी. 660 मिली.लीटर दवा को आवश्यक पानी में  मिलाकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें। ताेरिया दाना भरने की अवस्था में यदि ...
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अक्टूबर माह में मैदानी क्षेत्र एवं पर्वतीय क्षेत्र में होने वाली फसले, फल, पुष्प, पशुपालन।

अक्टूबर माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाली फसले धान जो किस्में पक गई हो। उनकी कटाई कर लें। कटाई जड़ सेे सटाकर करें। भण्डारण हेतु दानों में नमी 12-14 प्रतिशत रखनी चाहिए। दरे से बोई गई फसल में फूल बनते समय खते में सिचांई  अवश्य करे। कभी-कभी गधी बगं का प्रकोप हो जाता है । इसकी रोक थाम के लिये इमिडाक्लाेिपड्र 17.8 एस.एल. का 150 मिली. या मोनोक्रोटाफास 36 एस. एल. का 1.4 मिली मात्रा प्रति हैक्टेयर  का फूल आने के बाद बूरकाव प्रात़ः या शाम को करें। मक्का समय से बोई गई फसल की  कटाई करे। सकंर व विजय मक...
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भारत में खेत नापने के लिए प्रयोग होने वाले मात्रक अथ्वा खेती के नाप|

खेती के नाप
खेती के नाप भारत में प्रयोग होने वाले खेती के नाप भारत के अधिकांश भागो में खेती के नाप के लिए गज, हाथ,गट्ठा, जरीब, बिस्‍सा, बिस्‍वॉनसी, उनवांनसी, कचवानसी,बीधा, किल्‍ला, एकड, हेक्‍टेअर, मरला, कनाल आदि मात्रकों का प्रयोग होता हैं। अगर इतिहास में झांके तो अकबर के शासनकाल के 1571 ई. से 1580 ई. (10 वर्षों) के आंकड़ों के आधार पर भू-राजस्व का औसत निकालकर ‘आइन-ए-दहसाला’ लागू किया गया। इस प्रणाली के अन्तर्गत राजा टोडरमल ने अलग-अलग फ़सलों पर नक़द के रूप में वसूल किये जाने वाला लगान का 1571 से...
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