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Author: agriavenue
फल और सब्जियों की उन्नत और अधिकतम खेती .
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प्रमुख फफूंदीनाशी रसायन एवं उनका उपयोग करने की प्रक्रिया
मैंकोजेब
यह डाईबियोकार्बा मेट ग्रुप का एक स्पर्शजन्म फफूंदीनाशी है। यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं विविध उपयागे वाला कवकनाशी रसायण है जो 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण के रूप में आता है इस उपयागे मुख्य रूप से पत्ती धब्बा झुलसा श्यामवर्ण, रतुआ,तुलासिताआदि रोगो से बचाव हेतु सुरक्षात्मक छिड़काव के लिए किया जाता है। इसकी 2 से 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर 7 दिन के अन्तराल पर किया जाता है। यह बाजार में डाइथने एम-45, इण्डोफिल एम-45, एमगार्ड, कोरोथेन, यूथेन इत्यादि व्यवसायिक नामों से...
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जानिये सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व, कमी के लक्षण एवं उपचार
अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की भाँति सूक्ष्म पोषक तत्व भी पौधों की बढ़वार एवं उनसे प्राप्त होने वाली उपज पर प्रभाव डालते है। यद्यपि सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता फसल को कम मात्रा में ही होती हैं परन्तु इसका तात्पर्य है कि इनकी महत्ता कम है कदापि सत्य नहीं है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होने पर उपज एवं उत्पाद की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। इसके अतिरिक्त इनकी कमी होने पर भरपरू मात्रा में नत्रजन, फोस्फरस एवं पोटाश उर्वरकों के प्रयोग करने पर भी अच्छी उपज नहीं प्राप्त होती है। सूक्ष्म पोषक तत्...
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मुख्य पोषक तत्वों का महत्व, कमी के लक्षण एवं विभिन्न फसलों हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिंदु
पौधों की वृद्धि के लिए 18 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। ये पोषक तत्वों को मिट्टी, पानी एवं वायुमण्डलीय गैसों द्वारा पौधों को प्राप्त होते है। इन 18 पोषक तत्वों में से कुल 6 पोषक तत्व मुख्य पोषक तत्वों की श्रेणी में आते हैं जैसे- नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम एवं सल्फर। यदि मिट्टी में इन आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है तो पौधों अपना जीवन-चक्र सफलतापूर्वक पूरा नहीं कर पाते है।
मुख्य पोषक तत्वों की कमी के लक्षण
पौधों में पोषक तत्वों की कमी या असन्तलु न अव्यवस्था ...
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जानिये कैसे होती है मक्का की खेत की स्थापना एवं प्रमुख रोग नियत्रंण प्रबंधन
मक्का, धान एवं गेहूँ के बाद तीसरी मुख्य खाद्यान्न फसल हैं, इसे पोपकोर्न, स्वीटकोर्न, ग्रीनकोर्न एवं बेबीकोर्न के रूप में पहचान मिल चुकी है। इसके अतिरिक्त इसे खाद्य तेल, रातिब, शराब आदि में भी उपयोग में लाया जा रहा है। मक्का को अनाज, दाना एवं चारे के रूप में सदियों से प्रयागे में लाया जा रहा है।
मक्का की प्रजातियों का चुनाव
मक्का की प्रजातियों को पकने के आधार पर तीन मुख्य भागों में बाँटा गया है।
1.अगेती या शीघ्र पकने वाली प्रजातियां (75-80 दिन अवधि)- ये प्रजातियां बाढ़ ग्रस्त एवं असिंचित क्...
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राइसबीन की खेती मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।
पर्वतीय क्षेत्रों के लिए राइसबीन एक उपयुक्त फसल है। मध्य एवं ऊॅचाई (1500-2200 मी. तक) वाले क्षेत्रों में जहाँ पर दूसरी दलहनी फसल जैसे उर्द, मूँग , अरहर आदि उगाना सम्भव नहीं होता है, वहॉ राइसबीन की फसल सुगमतापूर्वक उगाई जा सकती है। पर्वतीय क्षेत्रों में इसे नौरंगी तथा रगड़मांस आदि नामों से जाना जाता है।
आमतौर पर राइसबीन की फसल मिश्रित खेती के रूप में ली जाती है। परन्तु इसकी शद्धु खेती अधिक लाभदायक होती है। ‘‘राइसबीन-गेहूॅ’’ एक आदर्श फसल चक्र है जिससे गेहुँ की फसल को वांछित नत्रजन की मात्रा का क...
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