गेंहू की फसल में पोषण के लिए एवम सिंचाई के सही समय के लिए

गेहूँ
गेंहू की फसल में पोषण के लिए एवम सिंचाई के  सही समय के लिए फसल पोषण देशी खाद व जैव उर्वरक 1. खेत की तैयारी के समय अच्छी सडी हुई 6-8 टन गोबर की खाद या 1 टन वर्मीकम्पोस्ट प्रति एकड़ प्रयोग करें। रसायनिक खाद 1. अच्छे विकास और अधिक उपज हेतु बुवाई के समय 40 kg यूरिया + 50 kg DAP + 30 kg MOP + 10 kg ज़िंक सल्फ़ेट / एकड़ प्रयोग करे। 2. बुवाई के 20-25 दिन बाद पर्याप्त नमी मे 40 kg यूरिया + 5 kg बेंटोनाइट सल्फर प्रति एकड़ प्रयोग करें। घुलनशील उर्वरको का स्प्रे 1. अच्छी वानस्पतिक वृद्धी के लिए ...
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सरसों की खेती (Mustard Cultivation) मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु

तोरिया की खेती
सरसों की खेती : विगत कुछ वर्षों से पीली सरसों की खेती किसानों में काफी प्रचलित हुई है। इस फसल की विभिन्न प्रजातियों के दाने पीले रंग के होते है जिसमें तेलांश तोरिया तथा राई की प्रजातियों से अधिक पाया जाता है। इसकी खेती मैदानी, तराई, भाभर तथा निचले मध्य पवर्तीय क्षेत्रों में सफलता पूर्वक की जाती है। सरसों की उन्नतशील प्रजातियाँ राई या सरसों के लिए बोई जाने वाली उन्नतशील प्रजातियाँ जैसे क्रांति, माया, वरुणा, इसे हम टी-59 भी कहते है, पूसा बोल्ड, उर्वशी, तथा नरेन्द्र राई, प्रजातियाँ की बुवाई स...
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तोरिया की खेती (Toria Cultivation) मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु

तोरिया की खेती
तराई-भावर में तोरिया की खेती (लाही), पीली सरसों एवं राई की खेती रबी मौसम में मुख्य तिलहनी फसल के रुप से की जाती है। इनकी उत्पादकता बढ़ाने हेतु फसलबार इन बिन्दुओं पर विशेष ध्यान दे। अल्प अवधि में अधिक उपज क्षमता की सामर्थ्य होने के कारण तोरिया को कैच क्राप के रुप में खरीफ एवं रबी मौसम के बीच मैदानी, तराई एवं भावर तथा निचले पर्वतीय क्षेत्रों में उगाकर अतिरिक्त लाभ अर्जित किया जा सकता है। तोरिया की खेती में बीज दर एवं बुवाई की विधि 4 कि.ग्रा. बीज की मात्रा प्रति हैक्टर प्रयागे करनी चा...
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मटर की खेती (Pea Farming) मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु

मटर की खेती Pea Farming
मटर की खेती : मटर रबी की एक प्रमुख दलहनी फसल है, विश्व में इसकी खेती भारत में सर्वाधिक होती है, मुख्य रूप से दाल एवं सब्जी में प्रयोग की जाती है, इसमे प्रोटीन और विटामिन प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। भूसंरक्षण की दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण फसल है। मटर की खेती के लिए कौन कौन सी प्रमुख प्रजातियाँ हैं? मटर की बुवाई के लिए संतुत प्रजातियाँ - जैसे की रचना, शिखा, मालवीय मटर-15, पन्त मटर-5, प्रकाश, जय, सपना, आदर्श, पन्त पी-42, तथा अमन प्रजातियाँ जिनमे किसी एक प्रजाति का चुनाव करके खेती सफलता प...
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मसूर की खेती (Split Red Lentil) मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु

मसूर की खेती
उत्तराखण्ड में मसूर रबी की एक प्रमुख फसल है। मसूर की खेती मे अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए निम्न बिन्दुओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए।   मसूर के खेती के लिए कौन कौन सी प्रमुख प्रजातियाँ हैं? मसूर की खेती में बुवाई की जाने वाली प्रमुख प्रजातियाँ जैसे की पूसा वैभव, आई पी एल८१, नरेन्द्र मसूर १, पन्त मसूर ५, डी पी एल १५ ,के ७५ तथा आई पी एल ४०६ इत्यादि प्रजातियाँ हैंI मसूर की खेती मे बीज की मात्रा समय से बुवाई                    : 30-40 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर देर से बुवाई    ...
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Highlights of 12th International Agriculture & Horti Expo 2016 -Pragati Maidan, New Delhi, India.

किसानश्री सम्मान: सम्मान, किसानों के उत्साह-वर्धन के लिए:
12th International Agriculture & Horti Expo 2016 -Pragati Maidan, New Delhi, India. 12th International Agriculture & Horti Expo 2016 -Pragati Maidan, New Delhi, India. In recent years India has been hosting International Events, which again proves the rising of the powerful nation. Yes we are talking about the 12th International Agriculture & Horti Expo 2016 -Pragati Maidan, New Delhi. International Agriculture & Horti Expo provides an excellent platform for the exporters,manuf...
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चने की खेती (Chickpeas Cultivation) मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।

चने की खेती
चने की खेती : दलहनी फसलो मे चना का प्रमुख सथान है अधिक पैदावार करने हेतु निम्न बिन्दुओं पर विशेष् ध्यान देना चाहिए। चने की खेती के लिए प्रमुख प्रजातियाँ चने की देशी प्रजातियाँ सामान्य प्रजातियाँ जैसे अवरोधी, पूसा 256, राधे, के 850, जे. जी. 16 तथा के.जी.डी-1168 इत्यादि प्रमुख प्रजातियाँ है, इसकी वुवाई करनी चाहिए, दूसरा आता है, देर से वुवाई करने वाली प्रजातियाँ होती है, जैसे की पूसा 372, उदय तथा पन्त जी. 186, इसके बाद आता है, काबुली चना जिसकी किसान भाई बुवाई करते है, इसके लिए प्रमुख प्रजातिय...
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अरहर कीट नियंत्रण – अरहर में होने वाले हानिकारक कीटों का प्रबंधन।

Split red gram bugs
अरहर कीट नियंत्रण : अरहर की फसल मे होने वाले कीटों का विवरण। अरहर कीट नियंत्रण : अरहर की फसल को कीटो से वचाव के लिए क्या करे फलीबेधक कीट इनकी गिडारे फलिय़ों के अदंर घुसकर दाने को खाकर हानि पहुॅचाती है। प्रौढ कीटो का अनुश्रवण करने के लिए 5-6 फरेमेने प्रपचं/है. की दर से फसल मे फूल आते समय लगाय़े यदि 5-6 माथ प्रति प्रपचं दो-तीन दिन लगातार दिखाई देतो निम्नलिखितमे किसी एक दवा का प्रयागे फसल मे फूल आने पर करना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो दसूरा छिडक़ाव 15 दिन के बाद करे, इससे अरहर की फसल का कीटो से वचाव ...
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Cluster farming / Organic Farms-India is approaching towards- Special Organic farming zones.

cluster-farming
What is "Cluster" Farming? Cluster farming- Yes its in the news , after turning Sikkim into a fully organic state, India is now looking  at a "cluster" approach to increase area under chemical-free (organic)farming in other states.  Many states in India have already started opting for this approach, by building exclusive organic farming zones. Lets see how much each state leading the pack of clusters (cluster farming) with: Maharashtra - 932 (leader) Madhya Pradesh- 880 Rajasthan ...
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अरहर (Split Red gram) की बुवाई का उपयुक्त समय एवं उन्नत खेती हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।

अरहर की खेती
अरहर की खेती अकेले या दूसरी फसलो के साथ सहफसली खेती के रूप में भी कर सकते है, सहफसली खेती के रूप में ज्यादातर ज्वार  बाजरा मक्का सोयाबीन की खेती की जा सकती है। अरहर की उन्नतशील प्रजातियाँ क्या होती है? तुवर की खेती के लिए दो प्रकार की उन्नतशील प्रजातियाँ उगाई  जाती है पहली अगेती प्रजातियाँ  होती है, जिसमे उन्नत प्रजातियाँ है पारस, टाइप २१, पूसा ९९२, उपास १२०, दूसरी पछेती या देर से पकने वाली प्रजातियाँ है बहार है, अमर है, पूसा ९ है, नरेन्द्र अरहर १ है आजाद अरहर १ ,मालवीय बहार, मालवीय चमत्...
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