गेहूं की अधिकतम पैदावार प्राप्त करने के लिए निम्न बिन्दुओं पर विशेष ध्यान देना चाहिएः -
उन्नतशील प्रजातियों का चयन क्षेत्रानुसार परिस्थिति विशेष हेतु संस्तुत प्रजातियों का चुनाव करे । अपने प्रक्षेत्र पर 2-3 प्रजातियों की बुवाई करें ताकि रोग एवं कीटों के प्रकोप होने पर उपज में कमी न्यूनतम हो।
भूमि की तैयारीः-
बुवाई के समय खेत में खरपतवार एवं ढेले न हो तथा पर्याप्त नमी होनी चाहिए। अतः खेत में नमी की कमी हो तो जुताई से पूर्व पलेवा करे । खेत में ओट 1⁄4जब आसानी से जुताई की जा सके...
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Oil Seed Crops (तिलहनी फसलें)
जाने सूरजमुखी( Sunflower) की उन्नत खेती कैसे करे ?
उन्नत किस्में
सकंर किस्में पकने की अवधि (दिन) उपज (कु./है. )
एस.एस.एच.-6163 90-95 20-22
एन.एस.एफ.एच.-36 90-95 22-24
पी.ए.सी.-3776 95-100 22-24
सुपर ज्वालामुखी 105-110 ...
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जाने तिल( Sesame – Seed) की उन्नत खेती कैसे करे ?
तिल की उन्नत किस्में
घाटी वाले क्षत्रे (1000 मीटर) तथा तराई एवं भावर क्षत्रे के लिए निम्न प्रजातियाँ हैं।
प्रजातियाँ पकने की अवधि (दिन) उपज(कु./है.)
टा-4 90-100 6-7
टा-12 85-90 5-6
टा-78 80-85 6-7
शेखर 80-85 6-7
प्रगति 85-90 ...
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सोयाबीन की खेती (Soybean Cultivation) मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु
सोयाबीन की खेती : उत्तराखण्ड में सोयाबीन खरीफ की मुख्य तिलहनी फसल है। सोयाबीन में 20 प्रतिशत तेल व 40 प्रतिशत प्रोटीन पाई जाती है। सोयाबीन से दूध, दही, पनीर, आटा, नमकीन एवं कई अन्य प्रकार के व्यजंन भी बनाये जाते है। सोयाबीन की खेती मैदानी क्षेत्रों में अभी हाल में ही कुछ वर्षो से शुरू हुई हैI इसमे 40 से 50 प्रतिशत प्रोटीन तथा 20 से 22 प्रतिशत तक तेल की मात्रा पाई जाती हैI इसके प्रयोग से शरीर को प्रचुर मात्रा में प्रोटीन मिलती हैI प्रदेश के बुंदेलखंड के सभी जनपदों एवम बदाऊ, रामपुर, बरेली, शा...
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राई की खेती (Rye) मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।
तिलहनी फसलों में राई का प्रमुख स्थान है। राई की खेती सीमित सिंचाई की दशा में अधिक लाभदायक हैं।
राई की उन्नत किस्में
मैदानी, तराई, भावर व घाटी के सिंचित क्षेत्रों के लिये उपयुक्त प्रजातियाँ
प्रजाति
उत्पादन
क्षमता
पकने कीअवधि
उपयुक्त
नरेन्द्र अगेती राई-4
14-16
100-110
अगेती बुआई हेतु
पंत राई-19
20-25
115-119
अगेती बुआई हेतु
पंत राई-19
20-28
125-130
समय से बुआई, सिंचित
कृष्णा
20-28
128-132
समय से बुआई, सिंचित
पंत राई-20
25-30
125-127
समय से ब...
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सरसों की खेती (Mustard Cultivation) मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु
सरसों की खेती : विगत कुछ वर्षों से पीली सरसों की खेती किसानों में काफी प्रचलित हुई है। इस फसल की विभिन्न प्रजातियों के दाने पीले रंग के होते है जिसमें तेलांश तोरिया तथा राई की प्रजातियों से अधिक पाया जाता है। इसकी खेती मैदानी, तराई, भाभर तथा निचले मध्य पवर्तीय क्षेत्रों में सफलता पूर्वक की जाती है।
सरसों की उन्नतशील प्रजातियाँ
राई या सरसों के लिए बोई जाने वाली उन्नतशील प्रजातियाँ जैसे क्रांति, माया, वरुणा, इसे हम टी-59 भी कहते है, पूसा बोल्ड, उर्वशी, तथा नरेन्द्र राई, प्रजातियाँ की बुवाई स...
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तोरिया की खेती (Toria Cultivation) मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु
तराई-भावर में तोरिया की खेती (लाही), पीली सरसों एवं राई की खेती रबी मौसम में मुख्य तिलहनी फसल के रुप से की जाती है। इनकी उत्पादकता बढ़ाने हेतु फसलबार इन बिन्दुओं पर विशेष ध्यान दे। अल्प अवधि में अधिक उपज क्षमता की सामर्थ्य होने के कारण तोरिया को कैच क्राप के रुप में खरीफ एवं रबी मौसम के बीच मैदानी, तराई एवं भावर तथा निचले पर्वतीय क्षेत्रों में उगाकर अतिरिक्त लाभ अर्जित किया जा सकता है।
तोरिया की खेती में बीज दर एवं बुवाई की विधि
4 कि.ग्रा. बीज की मात्रा प्रति हैक्टर प्रयागे करनी चा...
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