आ गया ऐतिहासिक कानून :वन नेशन, वन एग्री मार्केट’ :जिसका था हर किसान को इंतज़ार

आ गया ऐतिहासिक कानून :जिसका था हर किसान को इंतज़ार
जहाँ एक और दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है इसी के बीच किसानों के हक़ में एक अच्छा फैसला आया है.
आखिरकार किसानों के लिए वो ऐतिहासिक कानून आ ही गया है ,जिसका वे बरसों से इंतजार कर रहे थे. केंद्र सरकार ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें मजबूती प्रदान देने हेतु बहुत अच्छा निर्णय लिया है. अब देश के हर इंसान का पेट भरने वाले हमारे अन्नदाता किसान भी भूखे पेट नहीं सोयेंगे.

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क्या है ये ऐतिहासिक कानून :

आ गया ऐतिहासिक कानून :जिसका था हर किसान को इंतज़ार

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इतिहास में पहली बार किसान किसी भी राज्य में अपनी फसल उचित दाम पर बेच सकते हैं। ‘वन नेशन, वन टैक्स’ और ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ के बाद हमारे किसानों के लिए ‘वन मार्केट’ का सपना साकार होने जा रहा है .इस क़ानून के अनुसार एक किसान को अपने अनाज को कहीं भी बेचने की आजादी होगी. इस ऐतिहासिक क़ानून को नाम दिया गया है -‘वन नेशन, वन एग्री मार्केट
अभी तक, किसानों को पूरे देश में फैली ६९०० कृषि उपज विपणन समितियों मंडियों में अपनी कृषि उपज बेचने की अनुमति थी. मंडियों के बाहर कृषि उपज बेचना किसानों के लिए प्रतिबंधित था.
कोरोना महामारी के बीच इस क़ानून के आने के बाद ,अतिरिक्त प्रतिस्पर्धा के बीच भी हमारे किसान लाभकारी मूल्य प्राप्त कर सकेंगे.

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ऐतिहासिक कानून : ‘वन नेशन, वन एग्री मार्केट’ : कैसे है किसानों के लिए बेहतर:

मंत्रिमंडल के फैसले के अनुसार पैन कार्ड वाले किसी भी किसान से लेकर कंपनियां, प्रोसेसर और एफपीओ अधिसूचित मंडियों के परिसर के बाहर बेच सकते हैं. खरीदारों द्वारा तुरंत या तीन दिनों अंदर ही किसानों को भुगतान किया जाना अनिवार्य होगा. इसके अलावा अनाज की डिलीवरी के बाद एक रसीद देनी होगी. मंडियों के बाहर व्यापार करने के लिए कोई ‘इंस्पेक्टर राज’ नहीं चलाया जा सकेगा. ‘वन नेशन, वन एग्री मार्केट’ के इस क़ानून के बाद किसानों को मंडियों के बाहर व्यापार करने में कोई कानूनी बाधा अब नहीं आएगी.

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