पपीते(Papaya) की फसल- किसानों को कम समय में अधिक लाभ कमाने का अवसर |पपीते के पत्ते का जूस डेंगू बुखार को ठीक करने का एक सिद्ध तरीका

पपीते(Papaya)
वानस्पतिक नाम-  केरिका पपाया |  पपीता कैरिकेसी परिवार का एक महत्त्वपूर्ण सदस्य है You can also check out : खरबूजे(Muskmelon) की उन्नत खेती कैसे करें पपीता बहुत ही पौष्टिक एवं गुणकारी फल है। किसान पपीता की खेती अकेले या अमरूद, आम, बेर व नींबू के पेड़ों के बीच खाली जगह पर भी कर सकते हैं। पपीता को घर के आंगन में भी उगाया जा सकता है। पपीता लगाने के डेढ़ वर्ष बाद फल मिलने लगते हैं। कम समय, कम क्षेत्र, कम लागत में अधिक पैदावार व अधिक आय| पपीता स्वास्थ्यवर्द्धक तथा विटामिन ए से भरपूर फल होत...
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जानिए कैसे होती है अमरूद(Guava) के बाग की स्थापना एवं देखभाल

अमरूद
अमरूद भारत का एक लोकप्रिय फल है। पोशक गुणों में अमरूद सबे से भी अच्छा हैं। बार्वेडोज़ चेरी और आंवला के बाद विटामिन ‘सी‘ की मात्रा इसमें अन्य फलों से अधिक पाई जाती है। अमरूद की उन्नत प्रजातियाँ 1. पतं प्रभात : यह अमरूद की नवीन किस्म हैं। इस किस्म के पेड़ ऊपर बढ़ने वाले, मध्यम ऊंचाई के होते हैं। इस किस्म के पेड़ की पत्तिंया अपेक्षाकृत अधिक लम्बी एवं चौड़ी होती हैं। फलों का आकार गाले , सतह चिकनी, पकने पर आकर्षक पीला, गूदा सफदे तथा फल खाने में मीठे एवं स्वादिष्ट होते हैं। इसके बीज छोटे तथा मुलायम ह...
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लीची की प्रमुख समस्याएँ और समाधान -लीची की सघन बागवानी

लीची
लीची सेपिन्डेसी कुल का एक सदाबहार, उपोष्ण कटिबन्धीय फल है। इसका मूल स्थान दक्षिण चीन माना जाता है। भारतवर्ष में लीची का आगमन सत्रहवीं शताब्दी के अन्त में म्यान्मार होते हुए उत्तर पूर्वी राज्यों में हुआ। भारत में लीची की बागवानी मुख्य रुप से बिहार, उत्तराखण्ड, पश्चिमी बंगाल, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश के तराई वाले क्षेत्रों , त्रिपुरा, असम, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा दक्षिण भारत के नीलगिरी क्षेत्रों में की जा रही है। भारत में लीची की बागवानी 74.4 हजार हैक्टर क्षेत्रफल में की जा रही है, जिससे 48...
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जानिए कैसे होती है लीची (Lychee) के बाग की स्थापना एवं देखभाल (अथ्वा -लीची की उन्नत खेती कैसे करें?)

लीची
लीची एक स्वादिष्ट फल है। इसकी खेती उन क्षेत्रो मे सफलतापूर्वक की जा सकती है जहाँ गर्म हवालों (लू) तथा पाले का प्रकोप न होता हो। लीची के बाग की स्थापना प्रजातियॉं जल्दी पकने वाली -मुजफ्फरपुर, शाही, अर्ली बेदाना, अर्ली लार्ज रेड देर से पकने वाली -लेट बेदाना, कलकतिया, बम्बई, कस्बा मध्य समय से पकने वाली - राजे सेटेंड , स्वर्णरूपा, लेट लार्ज रेड,देहरारोज बाग लगाने का समय एवं दूरी जुलाई से सितम्बर। 10*10 मी. तथा सघन बागवानी के लिए 5*5 मी. की दूरी पर बाग लगायें। गड्ढ़े का आकार एव...
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जानिए कैसे होती है आम (Mango) के बाग की स्थापना एवं देखभाल ?

आम
आम फलों का राजा कहा जाता है। व्यापारिक तौर पर इसकी खेती समुद्र तल से 600 मीटर की ऊचांई तक सफलतापूर्वक की जाती है। आम बाग की स्थापना प्रजातियॉं जल्दी पकने वाली - गौरजीत, बम्बई हरा, बम्बई पीला,पंत सिन्दूरी मध्य समय में  पकने वाली - दशहरी, लगंडा़ , रतालै , लखनऊ सफेदा देर से पकने वाली - आम्रपाली, मल्लिका, चौसा, तैमूरिया, फजरी बाग लगाने का समय एवं दूरी :- फरवरी-मार्च व जुलाई से अगस्त। पौध से पौध एवं कतार से कतार 10*10 मीटर। चौसा, लगड़ा एवं फजरी 12*12 मीटर। गड्ढे का आकार एवं भराई ...
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बादाम (Almonds) के अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।

बादाम
बादाम की खेती घाटी एवं ऊँचे पर्वतीय क्षेत्र में की जाती है। बादाम की मुख्य किस्में : केलिफोर्निया पेपर सेल, नान पेरिल, ड्रेक, थिनरोल्ड, आई.एक्स.एल., नीप्लस अल्ट्रा, फ्रेगनेस परागकर्ता किस्में : आई.एक्स.एल., नीप्लस अल्ट्रा के 20 प्रतिशत पौधे लगाने चाहिए। केलिफोर्निया पेपर सेल हेतु आई.एक्स.एल. अच्छी परागकारक किस्में हैं। बादाम की रोपण की दूरी एवं विधि बादाम के पौधों को 5 मी. लाइन से लाइन तथा 5 मी. पौधे से  पौधे की दूरी पर लगाना चाहिए। पौधों को लगाने, गड्ढा खोदने एवं भरने  की विधि सेब क...
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अखरोट (Walnut) के अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।

अखरोट
अखरोट की बागवानी पर्वतीय क्षेत्र में 1600 मीटर से लेकर 2400 मीटर तक की जाती है। अखरोट की मुख्य किस्में फ्रेंक्वेटे, हार्टले, ब्लैकमोर, ट्यूटले, गोविन्द, रूपा, रत्ना रोपण की दूरी एवं विधि इसके वृक्ष 10 मी. कतार से कतार तथा 10 मी. पौधे से पौधे की दूरी पर सेब में दी गई विधि से लगाना चाहिए। अखरोट की कलमी कागजी किस्मों को ही लगाना चाहिए। उर्वरक एवं खाद 50 ग्रा. नाइट्रोजन, 50 ग्रा. फास्फोरस तथा 25 ग्रा. पोटाश प्रति वृक्ष प्रति वर्ष आयु के अनुसार देना चाहिए। यह मात्रा 20 वर्ष के पश्च...
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खुबानी (Apricot) के अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।

खुबानी
खुबानी की खेती मुख्यतः मध्य पर्वतीय क्षेत्र में की जाती है तथा इस फसल पर कीट एवं रोग का आक्रमण भी कम होता है। खुबानी की मुख्य किस्मे शीघ्र पकने वाली- शिपलेज अर्ली, न्यू लार्ज अर्ली, चौबटिया मधु,चौबटिया अलंकार मध्य समय - कैशा, मोरपाक्र, टर्की, चारमग्ज देर से  - रायल, सेंट , अम्ब्रियोस , चौबटिया केसरी, मोरपार्क, हलमनै एवं हारकाटे अधिक ऊंचे क्षत्रे के लिए। सुखाकर मेवे के रुप- चारमग्ज, पैरा पैरोला, सफेदा, शकरपारा मीठी गिरी वाली-सफेदा, चारमग्ज, नगेट, नारी, शकरपारा रोपण की दूरी एव...
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अलूचा (Plum) के अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।

अलूचा
अलूचा की बागवानी पर्वतीय क्षेत्र, घाटी तथा तराई एवं भावर तक सफलतापूर्वक की जाती है। इसकी किस्में  निम्न हैं। अलूचा की प्रमुख किस्में पर्वतीय क्षेत्र (मध्य व ऊँचे क्षेत्र के लिए) शीघ्र तैयार होने वाली- मिथले , फर्स्टप्लम , रामगढ मेनार्ड मध्य समय मे- सेंटारोज़ा , विक्टोरिया , बरबंकै , न्यूप्लम , रेड ब्यूटी देर से - मेनार्ड , सतसुमा , मैरीपोजा घाटी, तराई एवं भावर क्षत्रे -तितरो , जामुनी , फ्ला 1-2 परागकर्ता किस्म - अलूचा की अच्छी फसल के लिए बगीचे में दो तीन किस्मो को एक साथ लगान...
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आड़ू (Peaches) के अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।

आड़ू
आड़ू की खेती मध्य पर्वतीय क्षत्रे, घाटी तथा तराई एवं भावर क्षेत्रों में की जाती है। यह शीघ्र फल देता है। अतः इसकी बागबानी को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। आड़ू की प्रमुख किस्में पर्वतीय क्षेत्र (मध्य व ऊँचे क्षेत्र के लिए) शीघ्र पकने वाली-जून अर्ली, अलेक्जेन्डर, अर्लीव्हाइटजाईट मध्यम समय- एलवर्टा, हेल्स अर्ली, क्राफोर्ड अर्ली (तोतापरी), अर्ली रिवर्स, जे.एच. हेल्स, पैराडीलक्स देर से पकने वाली-जुलाई अलवर्टा, रेड नेक्ट्रीन, गोल्डेन बुश, पैरीग्रीन, स्टारकिंग डेलीशस परागण-अधिकांश किस्म...
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