गहत (Horse Gram) के अधिकतम उत्पादन हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।

Horse Gram Pulse
गहत उत्तराखण्ड के पहाडी़ क्षेत्र मे उगाने वाली प्रमुख दलहनी फसल है। गहत की कौन सी ऐसी प्रजातियाँ है, जिनका इस्तेमाल हम खेती के लिए करे? प्रजाति उत्पादकता (कु./हे.) पकने की अवधि (दिनों में) वी.एल.गहत-1       10-15             150-155 वी.एल.गहत-8      10-13             125-130   You can also check out : उर्द कीट प्रबंधन गहत की बुवाई का समय इसकी बुवाई जनू के प्रथम पखवाडे मे की जाती है। बुवाई में बीज की मात्रा 40-50 कि.ग्रा./है 800 ग्रा/नाली बुवाई कता...
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राजमा (Red Kidney Beans) की अधिकतम खेती के लिये ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु|

राजमा की खेती
राजमा की खेती रबी ऋतू में की जाती है | यह भारत में उत्तर के मैदानी क्षेत्रो में अधिक उगाया जाता है | मुख्य रूप से हिमालयन रीजन की के पहाड़ी क्षेत्रो तथा महाराष्ट्र के सतारा जिले में इसका उत्पादन अधिक किया जाता है| राजमा की खेती के लिए किस प्रकार से हमें अपने खेतों की तैयारी करनी चाहिए? खरीफ की फसल के बाद खेत की पहली जुटाई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद में दो-तीन जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करनी चाहिए | खेत को समतल करते हुए पाटा लगाकर भुरभुरा बना लेना चाहिए इसके पश्चात ही बुवाई करनी चा...
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उर्द कीट प्रबंधन – उर्द में लगने वाले कीट का नियंत्रण।

black gram
उर्द में लगने वाले कीट की संभावनाए, और उन पर कैसे नियंत्रण स्थापित करे  । उर्द में लगने वाले कीट तना मक्खी सुडिय़ा द्वारा ने को खोखला अथवा सुरगं बनाकर नुकसान पहुॅचाया जाता है। जिसस पौधा पीला पडक़र बाद में सुख जात है। बुवाई के पर्वू बीज का इमिडाक्लाेप्रड का 3 मि.ली. अथवा डायमथ्ऐट 30 ई.सीका 8 मि.ली./कि.ग्रा. की दर से उपचारित कर के बुवाई करें। मानाक्रेटेफेस/डाईमथ्ऐट/मिथाइल डिमटेन 1.0 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से फसल जमाव के एक सप्ताह बाद छिडक़ाव करे। बिहार रोमिल सूड़ी सिडयॉ पत्तिया का खाक...
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उर्द (Urad Daal) की फसल के अधिकतम उत्पादन हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।

उर्द
उर्द (उरद) की खेती खरीफ एव जायद में की जाती है। उर्द देश की एक मुख्य दलहनी फसल है, इसकी खेती मुख्य रूप से खरीफ में की जाती है, लेकिन जायद में समय से बुवाई सघन पद्धतियों को अपनाकर करने से अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है, उर्द की खेती पूरे उत्तर प्रदेश के सभी जिलो में की जाती है । उर्द की कौन सी ऐसी प्रजातियाँ है, जिनका इस्तेमाल हम खेती के लिए करे? मुख्य रूप से दो प्रकार की प्रजातियाँ पायी जाती है, पहला खरीफ में उत्पादन हेतु जैसे कि - शेखर-3, आजाद उर्द-3, पन्त उर्द-31, डव्लू.वी.-108, पन्...
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गेहूँ फसल सुरक्षा – गेहूँ मे लगने वाले प्रमुख रोग और कीट का नियंत्रण।

गेहूँ
गेहूँ में लगने वाले कीट एवं चूहों के प्रकोप एवं हानि लक्षण और रोकथाम के उपाय निम्नवत है। गेहूं में होने वाले रोग का नियंत्रण कटाई प्रबंधन   कीट का नाम प्रकोप और हानि रोकथाम के उपाय दीमक पौधे की प्रत्येक अवस्था में कीट जड़ों पर आक्रमण करते हैं। प्रभावित पौधें आसानी से उखड़ जाते है। कच्चे गोबर का प्रयोग खेत में नहीं करे। सड़ी गोबर की खाद ही प्रयोग करें। फिप्रोनिल 5 एफ.एस के 6 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन कर बीज का आधा घटां छाया म सुखाकर बुवाई करें। खडी़...
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धान में  होने वाले हानिकारक कीटों का प्रबंधन।

धान के हानिकारक कीट
धान में प्रभावी कीट प्रबंधन धान हेतु मुख्य कीटों के आर्थिक कगार सारणी-1 में दिया जा रहा है। धान के हानिकारक कीट से होने वाली हानि के लक्षण एवं इनके प्रबंधन हेतु संस्तुत कीटनाशी रसायनों का विवरण सारणी-2 में दिया गया है। रसायनों का दूसरा छिड़काव 7-10 दिन पर करे ।  प्रत्येक छिड़काव में एक ही रसायन का प्रयोग नहीं करे। धान की फसल में धान के हानिकारक कीट का आर्थिक  कगार स्तर (सारणी-1) कीटों का नाम आर्थिक कगार स्तर धान का हिस्पा 2 प्रौढ़ या दो ग्रसति पत्तियॉ प्रति हिल ...
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जानिये कैसे होती है धान के खेत की स्थापना एवं प्रमुख रोग नियत्रंण प्रबंधन

खेती: स्वरोजगार
विश्व में धान (चावल) के कुल उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा कम आय वाले देशों में छोटे स्तर के किसानों द्वारा उगाया जाता है। इसलिए विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास और जीवन में सुधार के लिए दक्ष और उत्पादक धान (चावल) आधारित पद्धति आवश्यक है | धान की खेती चीन, भारत और इंडोनेशिया में शुरू हुई, जिससे धान (चावल) की तीन किस्में पैदा हुई – जेपोनिका, इंडिका और जावानिका धान की नर्सरी डालने एवं रोपाई का उचित समय क्षेत्र नर्सरी नर्सरी डालने का समय पौध की रोपाई का समय मैदानी...
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