स्टीविया(Stevia) की खेती कैसे करें?

वानस्पतिक नाम- स्टीविया रेबुडियाना
स्टीविया(Stevia)-उपयोग
सूखी पत्तियों का उपयोग पेय पदार्थो को मीठा करने, मोटापा को घटाने तथा मधुमेह को नियंत्रित करने में लाया जाता है।
प्रमुख रासायनिक घटक- इसकी पत्तियों में स्टीवियोसाइड एवं रिबिडियोसाइट तत्व मुख्य रूप से पाये जाते हैं।
पौध परिचय- यह एक शाकीय पौधा है। पत्तियां हल्के से गहरे हरे रंग की होती हैं। पौधों म़े सफेद रंग के छोटे-2 फूल निकलते हैं।
स्टीविया(Stevia)-जलवायु समशीतोष्ण जलवायु अधिक उपयुक्त होती है।
भूमि– समुचित जलनिकास, भुरभुरी, समतल, बलुई दोमट अथवा दोमट भूमि सबसे उपयुक्त होती है।
प्रवर्धन– इसका प्रवर्धन बीजों द्वारा, वानस्पतिक कल्लों अथवा जड़ सहित छोटे कल्लों द्वारा होता है।
पौधरोपण व भूमि की तैयारी– अक्टूबर या नवम्बर के महीने में पौधों की रोपाई 30×30 सेमी. दूरी पर पंक्तियों में करनी चाहिये। रोपाई के तुरन्त बाद सिंचाई करें।
खाद व उर्वरक– 10-15 टन सड़ी हुई गोबर की खाद या5-6 टन केंचुआ खाद तथा 60:60 किग्रा. फास्फोरस व पोटाश पौधरोपण के समय खेत में मिला देना चाहिये। कुल 120 किग्रा. नत्रजन को 3 बराबर मात्रा में खड़ी फसल में देना चाहिये।
सिंचाई– पूरी फसल की अवधि में 4-5 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है।
पत्तियों की तुड़ाई– पौधा रोपने के 2 महीने बाद पत्तियों की तुड़ाई आरम्भ करना चाहिये। इसमें करीब 3-4 बार पत्तियों की तुड़ाई की जा सकती है। अंत में सारी फसल को काट लेना चाहिये।
पत्तियों की सुखाई– पत्तियों को छाया में सुखाकर उचित रुप से भंडारण कर लेना चाहिये। भण्डारण, वायु रोधक डिब्बों अथवा पाली बैग में करते हैं।
उपज– सूखी पत्तियों का उत्पादन 12-15 कुंतल प्रति हेक्टेअर होता है।
[स्रोत- केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान लखनऊ]
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