जनवरी माह मे होने वाली फसलें, सब्जिया अवं फल।

जनवरी माह में मैदानी क्षेत्र होने वाली फसलें

तोरिया, राई/ सरसों देर से बोई गई तोरिया की फसल की जब 75 प्रतिशत फलियां सुनहरे रंग की हो जाये तो काटकर उसे अच्छी प्रकार सुखाकर मड़ाई कर लें। राई-सरसों में फूल एवं फलियां लगते समय सिंचाई करें। राई-सरसों में बालदार सूड़ी का प्रकोप दिखाई दे तो इसकी रोकथाम के लिये क्लोरपायरी फास 20 ई.सी. की 1.25 लीटर दवा को आवश्यक पानी में मिलाकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करें। यदि झुलसा, सफेद गेरूई या तुलसिता रोगों में से किसी रोग का प्रकोप हो तो जिंक मैंगनीज कार्बामेट 75 प्रतिशत की 2.0 किग्रा. दवा को आवश्यक पानी में मिलाकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करना चाहिए।

मसूर, मटर, चना विलम्ब तथा समय से बोये गये चने या मसूर में आवश्यकतानुसार एक निराई करें। समय से बोई गई फसल में पहली सिंचाई के बाद वायु संचार के लिये निराई करें जिससे जड़ों की गांठों का विकास अच्छा हो। चने की फसल में एक सिंचाई फूल आने से पूर्व करनी चाहिए। जनवरी के आखिरी सप्ताह में रतुआ रोग दिखाई देना शुरू होता है। इसके नियंत्रण के लिए जिंक मैंगनीज कार्बामेट के 2.5 किग्रा. मात्रा को 700-800 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करना चाहिए। चने के फली छेदक कीट की रोकथाम के लिए फलियां बनना शुरू होते ही एक छिड़काव क्यूनालफास 25 ई.सी. की 1.25 लीटर या साइपरेमेथ्रिन 500-600 मिली. लीटर दवा को 600-800 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करना चाहिए। मसूर में माहू कीट की रोकथाम के लिए फास्फोमिडान 85 ई. सी. 200-300 मिली. या मिथाइल-ओ-डिमेटान 25 ई.सी. 1.0 लीटर दवा को आवश्यक पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

You can also check outराई की खेती

गेहूँ पीला रतुआ रोग के प्रकोप का लक्षण दिखाई देते ही प्राेपीकोनाजाल 500 मिली या हक्साकोनेजोल
1 लीटर/है. का छिड़काव करें। फसल की अवस्थानुसार सिंचाई करें। खरतपवारों की रोकथाम हेतु फसल की बुआई के बाद लगभग 25-30 दिन के अन्दर एक बार निराई-गुड़ाई करके इन्हें खेत से निकाल दें। खरपतवारों की रोकथाम हेतु 2,4 डी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत की 625 ग्राम दवा प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग करें। सोडियम साल्ट की जगह यदि 2,4 डी. ईस्टर साल्ट 36 प्रतिशत उपलब्ध हो तो 1.38 लीटर दवा को 600-800 लीटर पानी में घोलकर उपयु क्त समयानुसार छिड़काव करें। फसलों में जिंक को कमी को दूर करने के लिये 5 किग्रा.जिंक सल्फेट की 2 प्रतिशत यूरिया को 600 लीटर घोल में मिलाकर प्रति हैक्टर की दर से दो पर्णीय छिड़काव बोने के 30-35 व 50-55 दिन बाद करना चाहिए।

जौ बुवाई के 25-30 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें । कल्ले निकलते समय 1⁄4बुवाई के 30-35 दिन के अन्दर1⁄2 सिंचाई करें।

बरसीम, रिजका जई इन चारे वाली फसलों को उचित समय पर कटाई करें और समय≤ पर सिंचाई करें। अगर जई की प्रथम कटाई नहीं की गई है तो प्रथम कटाई की जाये।

गन्ना पेड़ी तथा शरदकालीन गन्ने की कटाई की तैयारी करें। सबसे पहले जो मेड़ गन्ने के लिए बनाई है उसे हटाकर तेजधार वाले गड़ासें से जमीन से कटाई करें।शरदकालीन गन्ने में निकले जल कल्लों को काट दें। गन्ने की पताई में आग न लगाकर खेत से निकाल कर कम्पोस्ट बनायें या पेड़ी की फसल में पलवार के रूप में प्रयोग करें।

जनवरी माह में पर्वतीय क्षेत्र होने वाली फसलें

गेहूं आवश्यकता एवं सुविधानुसार सिंचाई अवश्य करें। निराई कर घास निकाल दें।पर्याप्त नमी होने पर असिंचित गेहूँ की फसल में आधा किलो एवं सिंचित गेहूँ में 2-2.5 किग्रा. यूरिया प्रति नाली की दर से डाले। चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण के लिये बुवाई के 40 दिन पर 2,4 डी. सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत को 12 ग्राम/नाली की दर से 16 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

जौ असिंचित दशा में बोई गई फसल पर वर्षा होने पर पहले पखवाड़े की भांति यूरिया की टापडेसिंग अवश्य करें ।निराई करके घास भी निकाल दें ।

मसूर, मटर खरपतवार की निराई कर दें।सफेद विगलन रोग दिखने पर कार्बेन्डाजिम के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें।

तोरिया,सरसों तोरिया तथा सरसों में माहू कीट के प्रकोप होने पर 1लीटर डाइमेथोएट 30 ई.सी. या मोनोक्रोटोफास 36 एस.एल. का 1.4 ली. प्रति हैक्टर को पानी में घोलकर छिड़काव करें।

You can also check outगुलाब के फूलों मे अधिकतम उत्पादन

जनवरी माह में मैदानी क्षेत्र होने वाली सब्जिया

आलू सामान्य फसल की खुदाई करके आलूओं को बाजार भेजने की व्यवस्था करें । बीज वाली फसल की पत्तियों की कटाई का कार्य 15 जनवरी से पहले अवश्य कर दें। पिछेती झुलसा नामक बीमारी के बचाव के लिए इन्डोफिल-45 नामक दवा का 0.2 प्रतिशत का घोल बनाकर छिड़काव करें ।

टमाटर फसल की आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई व सिंचाई करें ।तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें ।

बैंगन बीज वाली फसल से तैयार (पके)फलों से बीज निकालें व सुखायें। ग्रीष्म कालीन फसल की रोपाई के लिए खेत की तैयार करें।

मटर तैयार फलियों की तुड़ाई करें, छंटाई करें व बाजार भेजने की व्यवस्था करें। बीज वाली फसल से अवांछित पौधों को निकालें। सफेद चूर्णिल आसिता नामक बीमारी के बचाव के लिए गंधक 3 किग्रा. या डाइनोकेप 48 ई.सी. 600 मिली. या टाइकोडर्मा 80 ई.सी0 500 मिली. दवा का 2-3 छिड़काव 10 दिन के अंतराल पर करें।

फूलगोभी, पातगोभी, गांठ गोभी तैयार गोभियों की कटाई करें, छंटाई करें व बाजार भेजने की व्यवस्था करें। फसल में आवश्यकतानुसार निराई। गुड़ाई व सिंचाई करें। बीज वाली फसल से अवांछित पौधों को निकालें।

मूली, गाजर,शलजम तैयार जड़ो की खुदाई व सफाई करें। पानी से धुलाई करें व बाजार भेजने की व्यवस्था करें। बीज वाली फसल के लिए उत्तम जड़े उखाड़े।1/3 भाग काटकर 60 50 सेमी. की दूरी पर रोपाई करें।

प्याज इसकी रोपाई का उत्तम समय है। तैयार खेत में उर्वरक डाले । सिंचाई के साधन के अनुसार क्यारियां
तैयार करें ।तैयार क्यारियों में 20 ग 10 सेमी. की दूरी पर रोपाई करे। रोपाई सांयकाल के समय करना उचित
रहता है। रोपाई के बाद हल्की सी सिंचाई करें।

लहसुन फसल में आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई व सिंचाई करें।50 किग्रा. यूरिया खड़ी फसल में डालें।

पालक, मेथी, धनियां तैयार पत्तियों की कटाई कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें। बाजार भेजने से पूर्व छोटी-छोटी गड्ड़िया बना लें। कटाई के बाद 25 किग्रा. यूरिया खड़ी फसल में डालें व हल्की सी सिंचाई करें ।

लोबिया, राजमा, भिण्डी इन फसलों की बुवाई का समय आ रहा है। खेत की तैयारी करें । उत्तम किस्म वाले बीजों की व्यवस्था करें।

मिर्च ग्रीष्म कालीन फसल की रोपाई हेतु पौधशाला में बीज की बुवाई करें ।

खीरावर्गीय खीरा, ककड़ी, करेला, खरबूज, तरबूज की बुवाई का समय आ गया है। अतः अगेती फसल प्राप्त करने के बीज की बुवाई करें।

You can also check outदालचीनी की खेती

जनवरी माह में पर्वतीय क्षेत्रों होने वाली सब्जिया

आलू घाटियों में आलू बोआई का समय आ चुका है। खेत की तैयारी करें व बोआई की व्यवस्था करें।

टमाटर तैयार फलों की तुड़ाई कर बाजार भेजें ग्रीष्मकालीन रोपाई के लिये पौध तैयार करें |

मूली, गाजर, शलजम खुदाई कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें- छंटाई करें- बीजवाली फसलों में अवांछित पौधों को निकालें व कीटनाशी का एक छिड़काव करें।

पालक,मेंथी इन फसलों की कटाई करें व गड्ड़िया बनाकर बाजार भेजें। अवांछित पौधों को निकाले तथा आवश्यकतानुसार निराई व सिंचाई करें।

लोबिया, राजमा, भिण्डी इन फसलों की बोआई का समय आ गया है। घाटियों में बोआई करें । बीज उत्तम होना चाहिये। जमीन में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।

फूलगोभी,पात गोभी, गांठगोभी तैयार गोभियों की कटाई कर बाजार भेजें – बीज वाली फसलों से अबांछित पौधों को निकालें ।

खीरावर्गीय फसलें घाटियों में इनकी बोआई का समय है। शीघ्र ही बोआई की व्यवस्था करें।

जनवरी माह में मैदानी क्षेत्रों होने वाले फल

आम छोटे पौधों को पाले से बचाने के लिए छप्पर का प्रबन्ध करें। जिस रात पाला पड़ने की संभावना हो, बाग में धुआं करें । बाग व थालों की सफाई करने के बाद, थालों में गोबर की खाद व फास्फोरसधारी उर्वरकों का प्रयोग करें ।

केला बाग में अवांछित पुत्तियों को निकाल दें।15 दिन के अंतराल से सिंचाई करें।

नीबूवर्गीय फल पके फलों को तोड़कर बाजार भेजें। बाग में गोबर की खाद व फास्फोरसधारी उर्वरक का प्रयोग करें। जनवरी माह में नींबू की कटाई छटाई करें ।गोर्सति रोग की रोकथाम के लिए पेड़ों के तने पर बोर्डो लेप लगाएं।

अमरूद फलों की चिड़ियों से रक्षा करें। बाग को साफ रखें। पके फलों की तुड़ाई करके बाजार भेजें। अंगूर नए बाग लगाने हेतु गड्ढ़ों की भराई का कार्य पूर्ण कर लें। इस माह के अंतिम सप्ताह में एक वर्ष पुरानी मूल सहित लताएं गड्ढें के बीच में लगाकर सिंचाई करें। इसके बाद भूमि तल से 45 से. मी. छोड़कर पौधों की छंटाई करें।

पपीता बाग की सिंचाई करें। पाला की संभावना होने पर बाग में धुआं करें। पेड़ पर फलों को टाट से ढक दें। फास्फोरस व पोटाशधारी उर्वरकों को प्रयोग करके गुड़ाई करें।

बेर बाग की सफाई करें । फल मक्खी की रोकथाम हेतु डाइमेक्रान या मैलाथियान का छिड़काव करें।

लीची छोटे पौधों का पाले से बचाव करें। फलदार पौधों में गोबर की खाद व फास्फोरसधारी उर्वरकों को थाले में प्रयोग करके मिट्टी में मिला दें।

लोकाट फलों को चिड़ियों से बचाएं। बाग की सफाई व सिंचाई करें।

आवंला फल विगलन की रोकथाम हे तपू ब्लाइटाक्स-50 के घोल का छिड़काव करें। बाग की सफाई करें। अगेती व मध्यम समय में पकने वाली किस्मों के फलों को तोडकर बाजार भेजें |

कटहल फलदार वृक्षों में गोबर की खाद तथा फास्फोरसधारी उर्वरक का प्रयोग करें । छोटे पौधों का पाले से बचाव करे करें तो। बाग की सिंचाई करें। पेड़ के मुख्य तनों व थालों में फालीडाल धूल का बुरकाव करें।

बेल बाग की सफाई करके सिंचाई करें।

करौंदा बाग की सफाई करके सिंचाई करें। बड़े पौधों के थालों में गोबर की खाद व फास्फोरस धारी उर्वरक का प्रयोग करें |

You can also check outअदरक की खेती

जनवरी माह में पर्वतीय क्षेत्रों  होने वाले फल

सेब व नाशपाती नए बाग लगाने हेतु खोदे गए गड्ढ़ों की भराई का कार्य इस माह के प्रथम सप्ताह तक पूरा कर लें।निचली कम शीत वाली पहाड़ियों पर पौध रोपण का कार्य इस माह के अंतिम सप्ताह तक पूर्ण कर लें।पौध रोपण के बाद उनकी सधाई हेतु कटाई-छंटाई करें। कटे भाग पर चैबटिया लेप लगा दें। फलदार व छोटे पेड़ों में गोबर की खाद व फास्फोरसधारी उर्वरक का प्रयोग करें।

आडू, खुबानी आलू बुखारा व बादाम नए बाग लगाने हेतु गड्ढों की भराई का कार्य पूर्ण कर लें । बाग में गोबर की खाद व फास्फोरस उर्वरक का प्रयोग करें । बाग के पेड़ों की काट-छांट प्रारम्भ कर दें । तराई, भाभर व मैदानी क्षेत्रों में आडू व आलूबुखारा की कम ठंड चाहने वाली किस्मों की रोपाई का कार्य पूर्ण करें।

अखरोट, पांगर, भोटिया बादाम, पीकन नट नए बाग लगाने हेतु गढ्ढों की भराई का कार्य पूर्ण कर लें। बाग में गोबर की खाद व फास्फोरस उर्वरक का प्रयोग करें। पेड़ो की सधाई व काट-छांट का कार्य प्रारम्भ कर दें ।

जनवरी माह में होने वाले पुष्प

गुलाब की क्यारियों की निराई, गुड़ाई व आवश्यकतानुसार सिंचाई, बडिंग तथा जमींन में इसके कलम लगाने का कार्य। मांहू से बचाव हेतु मोनोक्रोटोफांस या डायमिथोऐंट एक मिली. प्रतिलीटर पानी के घोल का छिड़काव।

ग्लैडियोलाई में मौसम के अनुसार सप्ताह में एक या दो बार सिंचाई। तैयार स्पाइकों को काटना, ग्रेडिंग तथा विपणन हेतु बाजार भेजना।

रजनीगन्धा के बल्बों के रोपण हेतु क्यारियों की 45 सेमी. गहरी खुदाई कर 15 दिन तक छोड़ना |

मेंथा:- मेंथा के सकर्स और तनों की रोपाई।

जनवरी माह में  फल एवं सब्जी संरक्षण

इस माह अमरूद का जैम, जेली पनीर तथा डिब्बाबन्दी की जा सकती है। नींबू से अचार तथा स्क्वैश, नींबू वर्गीय फलों से स्क्वैश, मार्मलैड तथा सन्तरा व माल्टा के छिलकों से कैण्डी बनायी जा सकती है। नींबू सन्तरा व माल्टा के रस को स्क्वैश तथा कार्डियल बनाने के लिए, लकड़ी प्लास्टिक तथा शीशे की बड़ी बोतलों में पौटेशियम मेटा बाइसल्फाइड 1⁄42.5 ग्राम प्रति लीटर1⁄2 डालकर सुरक्षित किया जा सकता है। लाल मिर्च का भरवा अचार तथा अन्य सब्जियों के तेल तथा सिरके के अचार बनाए जा सकते है। टमाटर से जैम, कैचप चटनी आदि तथा आँवले से जैम, मुरब्बा कैण्डी तथा अचार बनाया जा सकता है। मेंथा के सकर्स और तनों की रोपाई।

जनवरी माह में पशु पालन

गाय-भैंस: गाय/भैंसों को साफ रखें। पशुओं को सूखे में रहने दे। नियमित रूप से संतुलित आहार दें । पशुओं को कृमिनाशक दवाएं देकर उन्हें स्वस्थ रखे ।

भेंड़े व बकरी: भेंड़ बकरियों को कृमिनाशक दवाएं दें तथा उन्हें सर्दी से बचाकर रखें। मादा भेड़ों से अच्छी व अधिक ऊन प्राप्त करने के लिए अच्छी नस्ल के नर भेड़ो से मिलाएं।

कुक्कुट: मुर्गियों को सर्दियों से बचाए। मुर्गी घरों में बिछावन गीला न होने दें।दिन व रात मिलाकर 16 घण्टे रोशनी दें इसके लिए सुविधानुसार बिजली के बल्बों को जला कर रखें।

मत्स्य: 2 कु./है. की दर से चूने का प्रयोग करें । मछलियों को खीचने वाले जाल से पकड़ कर पोटेशियम परमैग्नेट के हल्के घोल में डुबो कर पुनः तालाब में छोड दें। तालाब में पानी का स्तर 1 से 1.5 मी. तक बनाये रखें ।खाद व उर्वरक न डालें ।

मौन: मौन गृहों को ठण्डा से बचाने के लिए पुआल की टाट बनाकर मौनगृहों को ढक देना चाहिए। यदि मौन गृह में भोजन की कमी हो एवं शीतलहर का असर हो तो मौनगृहों में कृत्रिम भोजन दिया जाना चाहिए। यदि अष्टपादी का प्रकोप हुआ हो तो 20 मिग्रा सल्फर पाऊडर प्रति फ्रेम के हिसाब से बुरकाव करें।

3 thoughts on “जनवरी माह मे होने वाली फसलें, सब्जिया अवं फल।

  1. february mah me Lobiya bona achha rahega

    1. agriavenue says:

      कृपया अपना उत्तर यहां देखें
      http://agriavenue.com/question-archive/

  2. isme kaun si khad ka prayog kare or bone ka tarika batane ki kast kare

    please

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *