कोरोना संक्रमण :गिलोय एक अमृत: गिलोय की खेती

कोरोना संक्रमण : हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता :

GiloyPlant

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से दुनिया का कोई भी देश नहीं बचा है. लाखों लोग संक्रमित होके अस्पतालों में परिवार से दूर जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. कई को यह वायरस अपना निवाला बना चुका है. जो लोग अभी तक संक्रमित नहीं हुए हैं वो भी डर डर से जी रहे हैं ये सोच के जाने कब अगला नंबर उनका हो. कोरोना की वैक्सीन तो अभी तक नहीं आयी है लेकिन हम इस वायरस से बचने के लिए अपने अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता को अच्छा कर सकते हैं. चिकित्सक भी इस बात को मानते हैं कि जिसके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होगी उनके संक्रमित होने की आशंका कम होगी.

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में गिलोय एक अमृत :

हमारे आस-पास खाली मैदान में व पेड़ों पर मिलने वाली औषधियां रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ने में काफी कारगर हैं। इस समय हर कोई अब अपने प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाने के लिए सभी तरह का तरीका अपना रहा है। आज एक ऐसी ही औषधि के बारे में बताने जा रहे हैं जो आसानी से हम अपने घरों में लगा सकते हैं और ये रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उत्तम उपाय है.
आयुर्वेद विभाग तो इस महामारी में गिलोय को अमृत समान बताता है।

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गिलोय की खेती: बाजार में स्थान 

बुखार, नज़ला, हैजा,डेंगू, पेट संबंधी बीमारियां और अब ये कोरोना, इतनी बीमारियों के बीच जी रहा इंसान भी अब एलोपैथी दवाईयों से तंग आ गया है. ऐसे में लोग बीमारियों से पूरी तरह मुक्ति पाना चाहते हैं और गिलोय उनकी मदद करता है. गिलोय की खेती के बारे में बहुत कम लोगो को ही जानकारी है. गिलोय की खेती किसान को लाखों और करोड़ों का मालिक बना सकती है क्योंकि गिलोय का दवाई बनाने में बहुत प्रयोग होता है. अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार की बात कहें तो गिलोय अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में बहुत महंगा और बहुत उच्च स्थान रखता है.

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गिलोय की खेती: उपयुक्त परिस्थितियां 

जलवायु :
उप उष्णकटिबंधीय जलवायु और नमी वाला मौसम
मिटटी:
रेतिली, पथरीली, बंजर से लेकर दोमट चिकनी मिट्टी
प्रवर्धन:
बीज तथा वानस्पतिक कलमों दोनों से किया जा सकता है.

 

कैसे लगाएं गिलोय:
गिलोय के बीजों की अंकुरण क्षमता अच्छी नहीं होती है. इसके लिए हम गिलोय की कटिंग को मई-जून महीने में नर्सरी तैयार करके हल्की छायादार स्थान पर लगा सकते हैं। कलम का ८-१० इंच हिस्सा भूमि से ऊपर होना चाहिए और जड़ का हिस्सा जमीन में दो तिहाई अंदर होना चाहिए। जब तक कलम फूट नहीं जाती तब तक हल्का पानी देते रहना होगा।

 

खाद:
१० टन/हे. गोबर की सड़ी हुई खाद भूमि की तैयारी के समय
२०-२५ किलोग्राम नाइट्रोजन
३० किग्रा फास्फोरस तथा ३० किग्रा पोटाश
तीन महीने की फसल होने पर १५ किग्रा/ हे. की दर से नाइट्रोजन का छिड़काव

 

सिंचाई:
कलम लगाने के बाद हल्की सिंचाई
उसके बाद शुष्क क्षेत्रों में : १२-१५ दिन के अंतर पर सिंचाई
नम जलवायु वाले क्षेत्रों में: २०-२५ दिन के अंतर पर सिंचाई
अधिक दिनों तक फसल रखने पर आवश्यक्तानुसार पानी बढ़ाया जा सकता है.

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