जानिए कैसे होती है अमरूद(Guava) के बाग की स्थापना एवं देखभाल

अमरूद भारत का एक लोकप्रिय फल है। पोशक गुणों में अमरूद सबे से भी अच्छा हैं। बार्वेडोज़ चेरी और आंवला के बाद विटामिन ‘सी‘ की मात्रा इसमें अन्य फलों से अधिक पाई जाती है।

अमरूद

अमरूद की उन्नत प्रजातियाँ

1. पतं प्रभात : यह अमरूद की नवीन किस्म हैं। इस किस्म के पेड़ ऊपर बढ़ने वाले, मध्यम ऊंचाई के होते हैं। इस किस्म के पेड़ की पत्तिंया अपेक्षाकृत अधिक लम्बी एवं चौड़ी होती हैं। फलों का आकार गाले , सतह चिकनी, पकने पर आकर्षक पीला, गूदा सफदे तथा फल खाने में मीठे एवं स्वादिष्ट होते हैं। इसके बीज छोटे तथा मुलायम होते हैं। इस किस्म की औसत उपज 100-125 किग्रा. प्रति पेड़ प्रति वर्ष हैं। यह किस्म उत्तराखण्ड एवं उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त पायी गयी हैं।

2. सरदार (लखनऊ-49) : इस किस्म के पेड़ फैलावदार तथा मध्यम ऊंचाई के होते हैं। फल मध्यम से बड़े खरु दरी सतह वाले, धारीदार एवं पकने पर पीले रगं के होते हैं। फल का गूदा सफदे , मुलायम , सुवासयुक्त , हल्की खटास लिए मीठा होते हैं। इसके बीज थोड़े बड़े संख्या में अपेक्षाकृत कम परन्तु थोड़े कड़े होते हैं। इस किस्म की आसै त उपज भी 100-125 कि.ग्रा . प्रति पेड़ प्रति वर्ष हैं। यह किस्म उत्तराखण्ड एवं उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त पायी गयी हैं।

3. इलाहाबाद सफेदा : यह उत्तर प्रदेश की एक प्रसिद्ध तथा इलाहाबाद क्षेत्र की एक लोकप्रिय किस्म हैं। इस किस्म के पेड़ सीधे ऊपर बढ़ने वाले, मध्यम ऊचाँई के होते हैं। फल का आकार गोल, सतह चिकनी, छिलका पकने पर पीला आरै गूदा सफदे , मुलायम, सुवासयुक्त मीठा होता है। इस किस्म की औसत उपज 80-100 किग्रा. प्रति पेड़ प्रति वर्ष है।

4. चित्तीदार : यह किस्म इलाहाबाद सफेदा के समान होती है परन्तु इसके फलो के छिलकें पर लाल रगं की चित्तिया पायी जाती हैं। फल गाले , अपेक्षाकृत छोटे, चिकने तथा छिलका चित्तीदार हल्का पीला होता हैं। फल का गूदा सफदे , मुलायम, सुवासयुक्त मीठा होते हैं। इस किस्म की औसत उपज 60-75 किग्रा. प्रति पेड़ प्रति वर्ष है।

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अमरूद के पौधों की रोपाई

उत्तराखण्ड के मैदानी बागों एवं घाटियां में जुलाई से सितम्बर तक पौधे लगाये जाते है। सिंचाई की समुचित व्यवस्था होने पर मार्च-अप्रलै में भी पौधे लगाये जा सकते है। एक वर्षीय पौधे को लगाने के लिए 3*3*3(3 घन फिट) आकार के गड़ढे की खुदाई 6-8 मीटर पौधे से पौधे एवं पंक्ति से पंक्ति की दूरी पर करें। गड्ढे में मिट्टी के साथ गोबर की सडी़ हुई खाद मिलाकर भरें तत्पश्चात् पौधे लगाये।

खाद एवं उर्वरक

पौधे की रोपाई के बाद निम्न तालिका के अनुसार खाद एवं उर्वरक की मात्रा प्रति पौधा प्रति वर्ष निम्नलिखित हैः

खाद एवं उर्वरकको पौंधो के चारों तरफ मुख्य तने से 1.0-1.5 मीटर की दूरी पर डालकर मिट्टी में मिला दें। नत्रजन तत्व की मात्रा आधी- आधी गोबर अक्टबू र एवं जनू तथा गाबे र की खाद, फास्फोरस एवं पोटाश तत्व की पूरी मात्रा केवल एक बार दिसम्बर-जनवरी में दें। बागवान यदि शरद ऋतु की फसल ले रहे हैं तो फास्फोरस एवं पोटाश की सम्पूर्ण मात्राए जून-जुलाई माह में देना उचित रहता है।

पौधों की कटाई-छंटाई

अमरूद के पौंधो फैलाव लिये बढ़वार करते है। अतः इनकी कटाई – छटाई करनी पड़ती  हैं। तने के निचले भाग से निकले कल्लों को अवश्य काट दें। मार्च के महीने में रोगी , सुखी एवं जमीन से छूती हुई शाखाआें को काट देना चाहिए।

फलत एवं फसल नियंत्रण

उत्तरी भारत एवं उत्तराखंड के तराई क्षेत्रां में अमरूद के पेड़ पर वर्ष में दो बार फूल आते हैं। अप्रैल-मई तथा जून-जुलाई। अप्रैल-मई के फूल से बरसात में तथा जून-जुलाई के फूल से अक्टूबर से जनवरी तक फल मिलते है। बरसात की फसल में कीड़ो एवं बीमारियों का प्रकोप अधिक होता है तथा फल भी घटिया मिलता है। जाड़े की फसल लेना अधिक लाभदायक होता है। जाड़े की फसल लेने के लिए मार्च -मई में पेड़ो को पानी देना बिल्कुल बन्द कर दें। फलस्वरूप पौधों में फल कम रूकेगा।

पौधों की आयु वर्ष गोबर की खाद (किग्रा.) नत्रजन तत्व (ग्रा.) फॉस्फोरस तत्व (ग्रा.) पोटाश तत्व (ग्रा.)
1-2 10-15 75 65 50
3 20 150 130 100
4 30 225 200 150
5 40 300 265 200
6 50 375 330 250
6 से ऊपर 60 450 400 300

जून से पौधों को आवश्यक खाद एवं पानी देने पर पर्याप्त मात्रा में फलू एवं फल निकलकर जाड़ो की अच्छी फसल देते है।

पन्तनगर में किये गये प्रयोगों में यह पाया गया है कि यदि मई माह में अमरूद केपौधोंपर 600-800 मिलीग्राम नैप्थलीन एसिटिक एसिड प्रति लीटर पानी में घाले कर 15 दिन के अन्तर से दो बार छिड़काव कर दे तो अधिकांश फूल गिर जाने से बरसात की फसल कम हो जाती है तथा जाड़े में अच्छी फसल मिलती है। इसके अतिरिक्त मई के पहले पखवाड़े में नई बढ़वार के शीर्ष से 3/4 भाग का कृन्तन अथवा नये प्ररोह पर एक जोड़ी पत्ती छोड़कर ऊपर से समस्त नये प्रप्ररोहों का कृन्तन करके बरसात की फसल कम की जा सकती है और जाड़े में अच्छी पैदावार ली जा सकती है। एक जोड़ा पत्ती कृन्तन एक सरल व कम खर्चीली विधि है जिसे अधिकांश बागवान अपना रहे है।

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फसल सुरक्षा

अमरूद में कई प्रकार के रागे लगते है जिसमे उकठा रागे तथा तना कैंकर रागे मुख्य है। उकठा रोग से अधिक हॉनि होती है। इसमें  पेड़ सुखाकर मर जाते है इसका अब तक कोई प्रभावकारी इलाज नहीं है। थाले से उचित जल निकास तथा उर्वरक का संतुलित प्रयोग करना चाहिए। उकठा रोग से ग्रस्त पेड़ो को उखाड़ कर जला दें। थायरम (0.3 प्रतिशत) के घोल से गड्ढे की मिट्टी को उपचारित करें। तना कैंकर रागे के प्रकोप से तने की छाल बीच से चिटक कर सूखने लगती है। पौधों पर लगे सूखे फल को सूखी टहनी सहित काट कर अलग कर दें। जनू -जुलाई में इन्डाे फल एम-45 के 0.2 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें। वर्षा के बाद रोगग्रस्त छाल को तेज चाकू से निकालकर ब्लाइटाक्स-50 तथा अलसी के तेल का गाड़ा लेप लगाये। लखनऊ-49 (सरदार) प्रजाति इस रोग के लिए अवरोधी है।

कीड़े

फलो की मक्खी के राके थाम के लिए जून माह में मैलाथियान 2 मिली. प्रति लीटर पानी घोल के दो छिड़काव 12-15 दिन के अन्तराल से करे।

फलों को तोड़ना

पौधों लगने के बाद तीन वर्ष से पौधे फल देने लगते हैं। फल जब हरे रंग से पीले रंग में बदलने लगे त तुड़ाई कर लें, वरना गिरकर अथवा चिड़ियों द्वारा नकु सान पहुंचता है। पूर्ण वयस्क पेड़ से 100-125 किग्रा. फल प्रि त वर्ष प्राप्त हो जाते  है।

36 thoughts on “जानिए कैसे होती है अमरूद(Guava) के बाग की स्थापना एवं देखभाल

  1. Rahul meena says:

    Amrud ke patye murja gye

    1. agriavenue says:

      अमरूद का पौधा कितना बड़ा है तथा कितने बर्ष का है स्पष्ट करे हो सके तो पौधे का फोटो एवं सूखे पत्ते की फोटो भेज दे तो ही कुछ बताना उचित होगा

  2. श्रीमान जी नमस्कार मैने पौने किल्ले में अमरुद का बाग लगाया हुआ है जिसमें अमरुद मुंह की तरफ से फटनें व सुंडिया लगने लगी है मैने एक बार स्प्रै कर दी है परन्तु फिर भी रोग हट ही नही रहा है कृप्या ईलाज बतायें ताकि बाग को बचाया जा सकें ।

    1. agriavenue says:

      अमरूद में कीड़े व बीमारी का प्रकोप मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में होता है। जिससे पौधों में वृद्धि तथा फलों की गुणवत्ता दोनों पर बुरा प्रभाव पडता है। अमरूद के पेड में मुख्य रूप से छाल खाने वाले कीड़े, फल छेदक, फल में अंड़े देनेवाली मक्खी, शाखा बेधक आदि कीट लगते हैं। इन कीटों के प्रकोप से बचने के लिए नीम की पत्तियों की उबले पानी का छिडकाव करना चाहिए। आवश्यकता पडने पर कीट लगे पौधे को नष्ट कर देना चाहिए

  3. आशिष says:

    मेरे घर के बगिचे में एक अमरुद का पेड जो तीन साल का है.पर उसमें अभी तक फल नही लगें.
    कोई उपाय बताये.

    1. agriavenue says:

      अमरूद की प्रजाति पर निर्भर करता है फिर भी सन्तुलित खाद पौधे मे लगा दीजिये

  4. Krishan says:

    Chidiya or other pakshi pure ped ke Flo ko krab kr. Diya koi upay btaye

    1. agriavenue says:

      यदि अमरूद के पेड को जाल से या पुराने कपडों से नीचे तक डक दे तो चिडिया गिलहरियों आदि से बचाया जा सकता है

  5. Goutam nagar says:

    अमरूद का बगीचा लगाना है कोनसी कीसम लगाए और कोनसे टाइम पर लागए क्रपया जानकारी दे

    1. agriavenue says:

      अमरूद की जानकारी हेतु हमारा लेख पढे|

  6. Manjeet says:

    Amrudh ke pte jar gye h or sukh rha h 1year ka h

    1. agriavenue says:

      अमरूद में प्रमुख रोग उखठा व तना कैंसर आदि हैं। पिछले कुछ वर्षों में अमरूद के बागानों में उखटा रोग ने अपने पैर पसार लिए हैं, जिसमें तने का ऊपरी भाग उचित भोजन न मिल पाने के कारण सूखना शुरू हो जाता है और धीरे-धीरे पूरा पेड़ ही रोग की चपेट में आकर सूख जाता है। भूमि की नमी भी उखठा रोग को फैलाने में सहायक होती है। रोगी पौधे को तुरंत निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए। तना कैंसर रोग फाइसेलोस्पोरा नामक कवक द्वारा होता है। इसकी रोकथाम के लिए रोग ग्रसित डालियों को काटकर जला देना चाहिए तथा कटे भाग पर ग्रीस लगा कर बंद कर देना चाहिए।

  7. Aamir says:

    Mere amrood pe white rui jesi bimari lg Rahi ilah btaye

    1. agriavenue says:

      यह कीट की वजह से होता है इसकी रोकथाम के लिए डाइमिथोएट 2 मि.ली. 0.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी का छिड़काव करे। या क्यूनालफॉस 2 मि.ली. पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं।

  8. Amit kheri barki hisar says:

    2साल के अमरूद पौधे की बढ़वार कम है अधिक बढ़वार के लिए कोन सी उर्वरक का प्रयोग करे

    1. agriavenue says:

      पौधौ मे सन्तुलित खाद यानि कि यूरिया, पोटाश, फास्फेट के साथ साथ गली हुई गोबर की खाद भी देना उचित होना |

  9. महेबूब खान माटी says:

    मेरे अमरूद के पोधो अचानक मुरझाने लगते हैं और दो दिन मे सूख जाते हैं 1 वर्ष के हैं अभी 5 पोधो एक साथ सूख गए हैं दीमक की समस्या हैं उसके लिए Chlorophyriphos देता हूं फिर भी ये समस्या रहाती है अभी किसी के कहने पर Coc की मात्रा दी हैं कुछ स्थाई निदान बताए

    1. agriavenue says:

      इमिदाकलोप्रिड प्रणालीगत कीटनाशक है आप इसका प्रयोग करे |

      1. महेबूब खान माटी says:

        Imidacloprid कितना ओर कब डाल सकते हैं एक वर्ष के पोधा है

    2. महेबूब खान माटी says:

      सर एक हमारे यहां की भाषा में देवको के नाम से एक हड्डी नुमा कांटेदार kharpatvar होता है जो सिर्फ अरंडी व जीरे की फसल मे होता है जो पूरी फसल को नुकसान पहुंचा कर खराब कर देता है फसल की जड़ों से निकलने पर पूरी फसल जमीन से बाहर निकल जाती है ये अभी तक तो सिर्फ अरंडी ओर ईसबगोल जीरे में ही पाया गया है जो उसी जमीन मे दूसरी फसल उगाने पर उसमे नहीं उगता है

  10. प्रमोद कुमार शर्मा says:

    मैं राजस्थान के सवाई माधोपुर से हूं। यहां हजारों एकड़ में अमरूद क बगीचे हैं, लेकिन कुछ सालों से इन में नीमोटोड का प्रकोप दिखाई दे रहा है। जड़ में काली गांठ पड़ जाती है और कुछ दिन में जड़ समाप्त होकर पौधा सूख जाता है। हमने कारबोफुरान, देने के दो दिन बाद प्रोपेकानाजोल एवं नीम आयल भी जड़ों में डाला है। इसके बावजूद पौधों का मरना जारी है। अगर कोई कारगर उपाय होता बताएं। यहां हजारों किसान इस रोग के कारण बर्बाद हो रहे हैं।

    1. agriavenue says:

      पौधों की आयु अनुसार ५० से १५० ग्राम रोबोफ्यूटान ३सी नामक दवा थावले में डालकर गुडाई करनी चाहिए। इसके अलावा गर्मी में गहरी जुताई की जाएगी।

  11. राजेश says:

    सर दौ साल का अमरूद व किनू के पौधे है इनके अधिक बढवार व फल के लिए कया करना चाहिए

    1. agriavenue says:

      सन्तुलित खाद का प्रयोग करना चाहिए|

  12. Banty meena says:

    Amrud ke ful ger rhe h rokne ke upar

    1. agriavenue says:

      सभी फल नहीं रूकते है हो सके खिरे फलो को जाँच ले कि कोई कीडा या बीमारी की वजह तो नहीं है तभी कुछ कहना उचित होगा|

  13. Shrikant says:

    Meri badi ke amrood ke ped ke patte pile pad rhe h kya karan h or upay bataye

    1. agriavenue says:

      आपके पौधे के आसपास पानी तो नहीं भरा है यदि ऐसा है तो भी पत्तियों पीली पड सकती है या फिर कीट भी हो सकते है कृपया पूरी जानकारी भेजे

  14. Ajay meena says:

    Sr hmne 5mhine phle amrudo ka bgicha lgaya h unme bhut pode sukh gye unka koi upai btao achi meidisin ka naam btao

    1. agriavenue says:

      अमरूद के पौधो के लिए मिट्टी का चुनाव करना आवश्यक होता है पानी नहीं भरना चाहिए कुछ पौधे तो सूख ही जाते उनकी जगह नये पौधे लगा दे अपने नजदीक के कृषि विभाग से सम्पर्क करे|

  15. R says:

    Sir me Radheshyam Gurjar bhilwara
    rajasthan se hu mere banas river ke just tach pr jamin h me unmese 4 biga me amrud lagana chahta hu to muje sari jankari chaiye WhatsApp no.9116380922

    Help me

    1. agriavenue says:

      अपने नजदीकी मृदा जाँच केंद्र जाकर जानकारी ले सकते है कि उस मिट्टी मे अमरूद की बागवानी हो सकती है या नहीं|

  16. Pschaudhary says:

    मेरे अमरूद के पेड़ मै सफेद सा फल के आस पास और पत्तियों पर भी है जिससे फल नहीं रुक पाते है फल काले पड़कर गिर जाते है कोई दवाई बताए

    1. agriavenue says:

      फोटो भेजे तो अच्छा रहेगा

      1. बलराम मकौल says:

        मेरे पास लाल अमरूद का 3 साल का पौधा है उसमें फल ज्यादा बड़ा नही हो रहा जल्दी पककर टूट जाता है कृपया कोई समाधान बताए

        1. agriavenue says:

          सन्तुलित खाद लगाए तथा पौधे को बडा होने दे सब ठीक हो जाएगा

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