जानिए कैसे होती है लीची (Lychee) के बाग की स्थापना एवं देखभाल (अथ्वा -लीची की उन्नत खेती कैसे करें?)

लीची एक स्वादिष्ट फल है। इसकी खेती उन क्षेत्रो मे सफलतापूर्वक की जा सकती है जहाँ गर्म हवालों (लू) तथा पाले का प्रकोप न होता हो।

लीची

लीची के बाग की स्थापना

प्रजातियॉं

जल्दी पकने वाली -मुजफ्फरपुर, शाही, अर्ली बेदाना, अर्ली लार्ज रेड

देर से पकने वाली -लेट बेदाना, कलकतिया, बम्बई, कस्बा

मध्य समय से पकने वाली – राजे सेटेंड , स्वर्णरूपा, लेट लार्ज रेड,देहरारोज

बाग लगाने का समय एवं दूरी

जुलाई से सितम्बर। 10*10 मी. तथा सघन बागवानी के लिए 5*5 मी. की दूरी पर बाग लगायें।

गड्ढ़े का आकार एवं भराई

1*1*1 घन मी. का गड्ढा़ खोदें। गड्ढे़ में खोदी गयी मिट्टी 3 भाग, लीची के पुराने बाग की मिट्टी 1 भाग, सड़े गोबर की खाद 15 किग्रा, नीम की खली 2 किग्रा., सिंगल सुपर फास्फेट 1 किग्रा. तथा म्यूरेटआफॅ पोटाश 500 ग्रा0 का मिश्रण प्रति गड्ढ़े के हिसाब से भरें। इसके बाद सिचाई करें तथा पौधें लगा दे।

लीची के बाग मे की जाने वाली क्रियायें

जनवरी

प्रथम पक्ष

1. छोटे पौधों को पाले से बचाने के लिए छप्पर से ढककर रखें।
2. घनी, सूखे , व्याधित तथा एक दूसरे पर छा रही शाखाओं को काटकर पेड़ से अलग कर दें।

द्वितीय पक्ष

1. वृक्ष के चारो ओर थाला तथा बाग में सिचाईं की नालिया बनाये।
2. छोटे पौधों की सिंचाई करें।
3. माइट की रोकथाम के लिए कैल्थेन 12 मिलीप्रि त 10 लीटर पानी या रोगोर 1 मिली. प्रति ली. पानी के हिसाब से घाले बनाकर छिड़काव करें।
4. बागों की सफाई रखें।

फरवरी

प्रथम पक्ष

1. यदि जनवरी के दूसरे पखवाड़े के कार्य पूरे न हुए हो तो उन्हें पूरा करें।
2. सूक्ष्म पोषक तत्वों के मिश्रण (जस्ता, मैंग्नीज, बोरॉन , तांबा , लोहा  और मैग्नीशियम-प्रत्यके 0.2 प्रतिशत) का वृक्षो पर छिड़काव करे। विशेष रूप से 0.4 प्रतिशत जिंक सल्फेट (0.2 प्रतिशत बुझे हुए चूने के पानी मे मिलाकर या 10 ग्रा0 यूरिया प्रति लीटर पानी में मिलाकार) के घाले का छिड़काव करें।

द्वितीय पक्ष

1. यदि पाले का प्रभाव समाप्त हो गया हो तो पखवाड़ेके अंत तक छोटे पौधो के ऊपर से छप्पर हटा दे।
2. फलदार वृक्षो में नाइट्रोजन की तिहाई मात्रा (400 ग्रा0) प्रति वृक्ष दके र बाग की सिचाईं कर दें।
3. फूल आने से पहले पेड़ो पर मैलाथियॉन 0.15 प्रि तशत + 20 पी.पी.एम. एन.ए.ए. + 0.2 प्रि तशत जिंक सल्फेट (बुझे हुए चूने के साथ मिश्रित) का छिड़काव करें।
4. छोटे वृक्षो की सिंचाई करें।

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मार्च

प्रथम पक्ष

1. छोटे पौधों की सिंचाई करें तथा यदि पेड़ो के ऊपर से छप्पर न हटाये गये हों तो उन्हें हटा दे।
2. यदि फरवरी के द्वितीय पक्ष में छिड़काव न किया गया हों तो बागों में छिरकाव करें ।
3. बागों की सफाई रखे। नये बागों की सिंचाई करें ।
4. यदि माइट का प्रकोपअधिक हो तो रोगोर (0.2 प्रतिशत) का छिड़काव करें ।

द्वितीय पक्ष

1. बाग में फलू आते समय किसी भी कीटनाशी का छिडक़ ाव न करें।
2. बाग में मधुमख्यो के बक्से रखें।
3. नये बागों की हल्की सिंचाई करें।
4. बागों की सफाई रखें।

अप्रैल

प्रथम पक्ष

1. नये वृक्षो एवं फलदार वृक्षो की सिंचाई करें।
2. 20 पी.पी.एम. एन.ए.ए. का छिड़काव करें।
3. बाग की निराई गुड़ाई करें।

द्वितीय पक्ष

1. फलदार वृक्षो में एक तिहाई नाइट्राजे न (400 ग्रा0) डालकर सिंचाई करें।
2. कार्वरिल 50 डब्ल्यू.पी. के 2.0 मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें।
3. 1.0 प्रतिशत बोरेक्स का छिड़काव करें।
4. वृक्षो के नीचे पलवार बिछाये।

मई

प्रथम पक्ष

1. फलदार बागों में 70% से अधिक आर्द्रता बनाये रखने के लिए 7 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें।
2. फलदार वृक्षों पर 20 पी.पी.एम. एन.ए.ए. +1 बोरेक्स + कार्वरिल 50 डब्ल्यू.पी. (2.0 मिली. प्रति ली. पानी) का छिड़काव करें।
3. फलों को फटने से बचाने के लिए बाग में दोपहर से पहले सादे पानी का छिड़काव करें।

द्वितीय पक्ष

1. बाग में आर्द्रता बनाये रखने के लिए सिंचाई तथा सादे पानी का छिड़काव जारी रखें।
2. वृक्षों पर 20 पी.पी.एम. एन.ए.ए.+1 प्रतिशत बोरेक्स +2 मिली. कार्वरिल 50 डब्ल्यू.पी. (प्रति लीटर पानी) का छिड़काव करें।
3. जल्दी पकने वाली किस्मों के परिपक्व फलां के, जिसमें कुल घुलनशील ठोस पदार्थ 18 प्रतिशत तथा छिलके का रंग गुलाबी या लाल हो गया हो, गुच्छों को शाखा सहित काटकर अलग कर लें।
4. फलों का उचित रखरखाव करें जिससे छिलके का रंग भूरा न पड़ने पायें तथा फलों को बाजार भजे दे।
5. नये बाग का रेखांकन कर गडढ़ो की खुदाई करें।

जून

प्रथम पक्ष

1. फलों की तुडा़ई से 1 सप्ताह प्रुव बाग में सिंचाई बंद कर दे।
2. फल तोड़ने से 3-4 दिन पूर्व सादे पानी का छिड़काव भी बंद कर दे।
3. फलों की तुडा़ई सुबह एवं शाम के समय ही करें।
4. देर से पकने वाली प्रजातयो जैसे कलकतिया एवं लेट बेदाना की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।

द्वितीय पक्ष

1. देर से पकने वाली प्रजातयो की तुड़ाई करें।
2. फलों की तुडा़ई पूर्ण होने के बाद वृक्षो की आवश्यक कटाई छंटाई करें।
3. फलों की तुडा़ई के पश्चात नाइटा्र जे न की एक तिहाई मात्रा (400 ग्राम), 500 ग्राम फास्फोरस, 600 ग्राम पोटाश एवं 100 किग्रा. गोबर की खाद का प्रयोग प्रति वृक्ष के हिसाब से करें।
4. नये पौधों तैयार करने के लिए मातृ वृक्षो पर गुंटी बांधने का कार्य करें।
5. नये बाग लगाने के लिए खोदे गये गडढ़ो की भराई करें।

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जुलाई

प्रथम पक्ष

1. पौधों में यदि खाद एव उर्वरक न दिये गये  हो तो दे दे।
2. मातृ वृक्षो पर गुंटी बांधने की क्रिया जारी रखें।

द्वितीय पक्ष

1. वर्षा न होने की दशा में नये पौधों की सिंचाई करें।
2. कीड़ो से बाग को बचाने  के लिए कार्वरिल 50 डब्ल्यू.पी. 2 मिली. प्रति ली. पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें।
3. मातृ वृक्षो पर गुंटी बांधने की क्रिया जारी रखें।

अगस्त

प्रथम पक्ष

1. बागों में खरपतवार नियंत्रण करें।

द्वितीय पक्ष

1. बागों की सफाई रखें।

सितम्बर

प्रथम पक्ष

1. नया बाग लगाने के लिए जिन गडढ़ो को जून में भराई की गयी है उनमें पौधों को राे पत करके सिंचाई करें।
2. जुलाई में बांधी गयी गुटी को मातृ पौधों से अलग करके (जड़े निकलने पर) रूट ट्रेनर अथवा पॉली बैग में लगाकर छायादार स्थान पर रख दे।
3. वृक्षो पर मेटासिस्टाक्स (0.1 प्रतिशत) का छिड़काव करें।

द्वितीय पक्ष

1. लीची के कम उत्पादक पुराने वृक्षो में जाला निकलने (मुख्य तने से 150 सेमी. से 200 सेमी की चौड़ाई में 30 सेमी. गहरी नाली बनाना) की क्रिया करें तथा 15 दिंनो तक जड़ों को खुला रखने के पश्चात् उन्हें बंद कर दें।
2. पूरे बाग में हैरो चलाकर बाग की सफाई करें।
3. विगत वर्ष लगाये गये बाग के मृत पौधों के स्थान पर नये पौधे राे पत कर दें।
4. तना छेदक तथा छाल खाने वाले गिडार का प्रभावी नियंत्रण करें।

अक्टूबर

प्रथम पक्ष

1. यदि जून जुलाई में शीघ्र वर्षा होने के कारण फास्फारे स, पोटाश एवं गोबर की खाद देने की क्रिया न सम्पन्न की जा सकी हो इन्हें देकर हल्की सिचाई कर दें।
2. पौधों पर सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव करें।

द्वितीय पक्ष

1. प्रथम पक्ष के अपूर्ण कार्यो को पूरा करें।
2. लीची माइट के प्रकोप की दशा में प्रभावित शाखाओं एवं पत्तियों को काटकर जला दें तथा वृक्ष पर कैल्थेन (12 मिली. प्रति 10 लीपानी) अथवा रोगोर (0.2 प्रतिशत) का छिड़काव कर दें।
3. लीची माइट न होने की दशा में पत्ती खाने वाली गिडार के लिए मोनोक्रोटोफास 0.04 प्रतिशत का छिड़काव कर दे।
4. थालो की गुड़ाई करके सफाई रखे।

नवम्बर

प्रथम पक्ष

1. नये लगे बागों की हल्की सिंचाई करें।
2. थालो की गुड़ाई एवं बाग की सफाई करें।

द्वितीय पक्ष

1. बाग की सफाई करें तथा थालो में 200 ग्राम क्लोरपाइरीफास धूल प्रति वृक्ष के हिसाब से छिड़क दे।
2. नये पौधों को पाले से सुरक्षा के लिए छप्पर बना लीची की प्रमुख समस्याएँ और समाधान दें। छप्पर को दक्षिण दिशा में प्रकाश के लिए खुला छोड़ दें।

दिसम्बर

प्रथम पक्ष

1. अगर नवम्बर में छप्पर नहीं बन पाये है तो पौधों को पाले से बचाने के लिए छप्पर बनाये।
2. नये वृक्षो की सिंचाई करें।

द्वितीय पक्ष

1. तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिए छेद को तार द्वारा भली-भांति साफ करके उसमें 5 प्रतिशत नुवानॅ अथवा रूई को मिट्टी के तले में भिगोकर छेद में भर दें और छेद को गीली मिट्टी से ढक दे।
2. नये वृक्षो को जाड़े से बचाने के लिए बाग की सिंचाई करें।

पुराने बागों का जीर्णोद्धार

लीची के ज्यादा पुराने बाग जो बहुत घने तथा अनुत्पादक हो गये हो तथा फलों की गुणवत्ता में कमी आ गयी हो, को जीर्णोंद्धार द्वारा ठीक किया जा सकता है। इसके लिए दिसम्बर- जनवरी के महीने में मुख्य शाखाओं को जमीन से 4-6 फीट की ऊचांई पर काट दिया जाता है तथा कटे भाग पर ब्लाईटॉक्स-50 का गाढा घोल बनाकर पुताई कर दी जाती है। कुछ समय पश्चात् कटी शाखाओं से काफी संख्या में शाखाएँ निकल आती हैं। इन नई शाखाओं में से तने के चारो तरफ 4-5 स्वस्थ एवं आजे स्वी शाखाओं को छोड़कर बांकि शाखाओं को निकाल देते हैं। इस प्रकार लगभग तीन वर्षो में बाग में पुनः फलत प्रारम्भ हो जाती है। इस बात पर अवश्य ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह कार्य विषेशझा की देखरेख में  ही किया जाय।

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