बादाम की खेती घाटी एवं ऊँचे पर्वतीय क्षेत्र में की जाती है।
बादाम की मुख्य किस्में : केलिफोर्निया पेपर सेल, नान पेरिल, ड्रेक, थिनरोल्ड, आई.एक्स.एल., नीप्लस अल्ट्रा, फ्रेगनेस
परागकर्ता किस्में : आई.एक्स.एल., नीप्लस अल्ट्रा के 20 प्रतिशत पौधे लगाने चाहिए। केलिफोर्निया पेपर सेल हेतु आई.एक्स.एल. अच्छी परागकारक किस्में हैं।
बादाम की रोपण की दूरी एवं विधि
बादाम के पौधों को 5 मी. लाइन से लाइन तथा 5 मी. पौधे से पौधे की दूरी पर लगाना चाहिए। पौधों को लगाने, गड्ढा खोदने एवं भरने की विधि सेब के समान करें।
उर्वरक एवं खाद
बादाम के लिए 10 कि.ग्रा. गोबर की सड़ी खाद, 30 ग्रा. नाइट्रोजन , 20 ग्रा. फॉस्फोरस तथा 20 ग्रा. पोटाश प्रति वृक्ष आयु के अनुसार प्रति वर्ष देना चाहिए। यह मात्रा 6 वर्ष के पश्चात् स्थिर कर देनी चाहिए। गोबर की खाद, नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस एवं पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा का प्रयागे दिसम्बर माह में तथा शेष नाइट्रोजन का प्रयोग फल तोड़ने के पश्चात अगस्त-सितम्बर माह में करना चाहिए।
काट-छांट
बादाम में हल्की काट-छाटं करनी चाहिए। फलदार वृक्षो में प्रतिवर्ष शीत ऋतु में पुरानी फलने वाली टहनियों का लगभग पाचं वा भाग निकाल देना चाहिए। इसके साथ-साथ रोगग्रस्त शाखाएं, बीच में एक दूसरे से टकराने वाली शाखाओं तथा पुराने स्पर को काटकर निकाल देना चाहिए।
सिंचाई, निराई-गुड़ाई तथा नमी संरक्षण
जहाँ पानी की सुविधा हो उन स्थनों पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए। थालों को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए तथा मार्च-अप्रैल माह में प्रत्यके थाले में 10 से मी. मोटी पलवार बिछा देना चाहिए। वर्षा ऋतु में पलवार को थालों की गुड़ाई करके अच्छी तरह मिटटी में मिला देना चाहिए। इसके बाद दूसरी गुड़ाई शीत ऋतु में उर्वरक मिलाते समय करनी चाहिए।
फसल सुरक्षा
कीट नियंत्रण
पर्णकुचन रोग – इसकी रोकथाम आड़ू़ के समान करें ।
व्याधि नियंत्रण
गादे निकलना – यह सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से तथा जीवाणु द्वारा होता है। बोरेक्स 0.4 प्रतिशत का छिड़काव अपै्रल, मई तथा जून में करे। जीवाणु गमोसिस के लिए व्लाइटाक्स-50 के 0.25 प्रतिशत घोल के तीन छिड़काव 15 दिन के अन्तर पर करना चाहिए
प्रभावी बिन्दु
- बादाम में कटाई-छंटाई हल्की करनी चाहिए तथा कटे भाग पर चौबटिया पेस्ट का लेप लगाना चाहिए।
- परागकारक किस्मों के 20 प्रतिशत पौधे लगाने चाहिए।
- किस्मों के चुनाव में सावधानी रखनी चाहिए।
- गोदं निकलने की समस्या का निदान करें।
- पर्णकुचं न रोग तथा कीटां े का उपचार करें।
- पलवार का प्रयोग करें।
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