झंगोरा (मादिरा/साॅवा) की उन्नत फ़सल कैसे करे ?

पर्वतीय क्षेत्रों की उपराऊ भूमि में परम्परागत द्विवर्षीय फसल चक्र ‘‘मडुुवा-परती-चेतकी धान/ झंगोरा-गेहू  के अन्र्तगत झंगोरा या मादिरा की खेती की जाती है। यह दाने के साथ-साथ चारे के लिए भी एक महत्वपूर्ण फसल है।

झंगोरा

झंगोरा की उन्नत किस्में

वी.एल.-29: यह अल्पावधि 1⁄485-90 दिन1⁄2 वाली किस्म है।

वी.एल. मादिरा-172ः यह मध्यम अवधि वाली 1⁄495-100 दिन1⁄2 वाली किस्म है।

पी.आर.जे.-1ः यह विलम्ब अवधि वाली 1⁄4120-130 दिन1⁄2 किस्म है। उपरोक्त किस्मों से लगभग 20-25 कु./है. 1⁄440-50 कि.ग्रा. प्रति नाली1⁄2 दाने की उपज ली जा सकती है, साथ ही लगभग 100 कुन्तल प्रति है. 1⁄42 कुन्तल प्रति नाली1⁄2 चारा प्राप्त होता है।

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झंगोरा की बुवाई  का समय

क्षेत्र की ऊँचाई के अनुसार इसकी बुवाई साधारणतया मार्च के द्वितीय पक्ष से अप्रैल के प्रथम पक्ष तक की जाती है। ऊँचाई वाले क्षेत्रों में मार्च का द्वितीय पखवाड़ा तथा निचले घाटी क्षेत्रों में अप्रैल का द्वितीय पखवाड़ा उपयुक्त है।

झंगोरा में बीज की मात्रा एवं बुवाई विधि

कुल 8-10 कि.ग्रा. प्रति हैैक्टर 1⁄4160-200 ग्रा. प्रति नाली1⁄2 बीज की आवश्यकता होती है। झंगोरा या मादिरा की बुवाई साधारण दशा में छिटकवां विधि से की जाती है। अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए उथले कूॅडों में बुवाई करनी चाहिए। कॅूड़ से कॅूड़ की दूरी 30 से.मी. रखे ।

झंगोरा की खेती में उर्वरक का प्रयोग

40 कि.ग्रा. नत्रजन तथा 20 कि.ग्रा. फास्फोरस प्रति हैक्टर 1⁄4क्रमशः 800 व 400 ग्रा. प्रति नाली1⁄2 प्रयोग करने से अच्छी फसल मिलती है। फास्फोरस की सम्पूर्ण मात्रा तथा नत्रजन की आधी मात्रा जुताई के समय कॅूड़ में डाल देना चाहिए। शेष नत्रजन बोने के लगभग एक माह पश्चात् प्रथम निराई के शीघ्र बाद टाॅप-ड्रेसिंग  के रुप में प्रयोग करना चाहिए।

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फ़सल में  खरपतवार नियंत्रण

बीज बोने के लगभग एक माह के भीतर ही निराई करके खरपतवार निकाल देना चाहिए। बुवाई के लगभग तीन सप्ताह बाद 2, 4-डी 1⁄4650 ग्रा./है. या 13 ग्रा./नाली1⁄2 का छिड़काव करने से चौड़ी  पत्ती वाले खरपतवारों का नियंत्रण किया जा सकता है।

फसल सुरक्षा

फ़सल में रोग नियंत्रण

झंगोरा मादिरा में कंडुवा रोग की रोकथाम हेतु फफूँदीनाशक रसायन थीरम या कार्बोनडाज़िम  1⁄42 ग्रा./ कि.ग्रा. बीज1⁄2 से बुवाई से पूर्व बीज उपचार करना चाहिए।

कीट नियंत्रणः तना छेदक कीट इस फसल को अधिक क्षति पहँुचाता है। अतः इसकी रोकथाम असिंचित धान की भाॅति करे ।

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झंगोरा की उपजः

20-25 कु./है. 1⁄440-50 कि.ग्रा. प्रति नाली1⁄2 दाना तथा 100 कुन्तल चारा प्रति हैक्टर प्राप्त होता है।

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