तोरई के प्रकार
पंत तोरई-1, कल्यानपुर हरी चिकनी, पूसा सुप्रिया, पूसा चिकनी, पूसा नसदार, स्वर्ण मनजरी, स्वर्ण उपहार, अर्का सुमित, पंजाब बहार
बुवाई
पर्वतीय एवं तराई-भावर : लौकी के समान बुवाई करें।
बीज की मात्रा : 5 कि.ग्रा/हैरोपाई : 100*50 से.मी. की दूरी पर रोपाई करनी चाहिए तथा वर्षा ऋतु की फसल को लकड़ी अथवा मचान का सहारा देना चाहिए।
खाद एवं उर्वरक
तोरई की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस एवं 60 कि.ग्रा. पोटाश का प्रयोग करें। इसके साथ-साथ 10...
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Vegetables&Fruits(सब्जी/फल-उत्पादन)
सब्जी/फल-उत्पादनकी उन्नत तकनीक.
(Best Techniques to grow different Vegetables& Fruits)
क्या आप जानते हो सेम(Beans, Green Beans) की उन्नत खेती कैसे होती है ?
As per famous Encyclopedia - Wikipedia "Green beans are the unripe, young fruit and protective pods of various cultivars of the common bean (Phaseolus vulgaris).Immature or young pods of the runner bean (Phaseolus coccineus), yardlong bean (Vigna unguiculata subsp. sesquipedalis), and hyacinth bean (Lablab purpureus) are used in a similar way.Green beans are known by many common names, including French beans, string beans, snap beans, and snaps."
सेम(Beans) की उन्नत खेती कैसे करे ?
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करेला (करेले- Bitter Gourd) की उन्नत खेती
करेले के प्रकार
किस्में -कल्यानपुर सोना, कल्यानपुर वारामासी, प्रिया, पूसा विशेष, कोयम्बटूर लांग, पूसा दोमौसमी, अर्काहरित,पंत करेला
संकर - पूसा, हाइब्रिड, एन.बी.जी.एच.167, आर. एच.आर.वी. जी.एच-1
करेले की नर्सरी तथा रोपाई
तराई एवं भावर : लौकी के समान
पर्वतीय क्षेत्र 1500 मी. : लौकी के समान बीज की मात्राः 5 कि.ग्रा./हैक्टर
रोपाई : 150 ग् 60 से.मी. दूरी पर रोपाई अथवा बुवाई करना चाहिए।
उर्वरक
करेला की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस एवं 60 क...
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जानिए कैसे होती है अमरूद(Guava) के बाग की स्थापना एवं देखभाल
अमरूद भारत का एक लोकप्रिय फल है। पोशक गुणों में अमरूद सबे से भी अच्छा हैं। बार्वेडोज़ चेरी और आंवला के बाद विटामिन ‘सी‘ की मात्रा इसमें अन्य फलों से अधिक पाई जाती है।
अमरूद की उन्नत प्रजातियाँ
1. पतं प्रभात : यह अमरूद की नवीन किस्म हैं। इस किस्म के पेड़ ऊपर बढ़ने वाले, मध्यम ऊंचाई के होते हैं। इस किस्म के पेड़ की पत्तिंया अपेक्षाकृत अधिक लम्बी एवं चौड़ी होती हैं। फलों का आकार गाले , सतह चिकनी, पकने पर आकर्षक पीला, गूदा सफदे तथा फल खाने में मीठे एवं स्वादिष्ट होते हैं। इसके बीज छोटे तथा मुलायम ह...
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लीची की प्रमुख समस्याएँ और समाधान -लीची की सघन बागवानी
लीची सेपिन्डेसी कुल का एक सदाबहार, उपोष्ण कटिबन्धीय फल है। इसका मूल स्थान दक्षिण चीन माना जाता है। भारतवर्ष में लीची का आगमन सत्रहवीं शताब्दी के अन्त में म्यान्मार होते हुए उत्तर पूर्वी राज्यों में हुआ। भारत में लीची की बागवानी मुख्य रुप से बिहार, उत्तराखण्ड, पश्चिमी बंगाल, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश के तराई वाले क्षेत्रों , त्रिपुरा, असम, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा दक्षिण भारत के नीलगिरी क्षेत्रों में की जा रही है। भारत में लीची की बागवानी 74.4 हजार हैक्टर क्षेत्रफल में की जा रही है, जिससे 48...
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जानिए कैसे होती है लीची (Lychee) के बाग की स्थापना एवं देखभाल (अथ्वा -लीची की उन्नत खेती कैसे करें?)
लीची एक स्वादिष्ट फल है। इसकी खेती उन क्षेत्रो मे सफलतापूर्वक की जा सकती है जहाँ गर्म हवालों (लू) तथा पाले का प्रकोप न होता हो।
लीची के बाग की स्थापना
प्रजातियॉं
जल्दी पकने वाली -मुजफ्फरपुर, शाही, अर्ली बेदाना, अर्ली लार्ज रेड
देर से पकने वाली -लेट बेदाना, कलकतिया, बम्बई, कस्बा
मध्य समय से पकने वाली - राजे सेटेंड , स्वर्णरूपा, लेट लार्ज रेड,देहरारोज
बाग लगाने का समय एवं दूरी
जुलाई से सितम्बर। 10*10 मी. तथा सघन बागवानी के लिए 5*5 मी. की दूरी पर बाग लगायें।
गड्ढ़े का आकार एव...
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जानिए कैसे होती है आम (Mango) के बाग की स्थापना एवं देखभाल ?
आम फलों का राजा कहा जाता है। व्यापारिक तौर पर इसकी खेती समुद्र तल से 600 मीटर की ऊचांई तक सफलतापूर्वक की जाती है।
आम बाग की स्थापना
प्रजातियॉं
जल्दी पकने वाली - गौरजीत, बम्बई हरा, बम्बई पीला,पंत सिन्दूरी
मध्य समय में पकने वाली - दशहरी, लगंडा़ , रतालै , लखनऊ सफेदा
देर से पकने वाली - आम्रपाली, मल्लिका, चौसा, तैमूरिया, फजरी
बाग लगाने का समय एवं दूरी :- फरवरी-मार्च व जुलाई से अगस्त। पौध से पौध एवं कतार से कतार 10*10 मीटर। चौसा, लगड़ा एवं फजरी 12*12 मीटर।
गड्ढे का आकार एवं भराई
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बादाम (Almonds) के अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।
बादाम की खेती घाटी एवं ऊँचे पर्वतीय क्षेत्र में की जाती है।
बादाम की मुख्य किस्में : केलिफोर्निया पेपर सेल, नान पेरिल, ड्रेक, थिनरोल्ड, आई.एक्स.एल., नीप्लस अल्ट्रा, फ्रेगनेस
परागकर्ता किस्में : आई.एक्स.एल., नीप्लस अल्ट्रा के 20 प्रतिशत पौधे लगाने चाहिए। केलिफोर्निया पेपर सेल हेतु आई.एक्स.एल. अच्छी परागकारक किस्में हैं।
बादाम की रोपण की दूरी एवं विधि
बादाम के पौधों को 5 मी. लाइन से लाइन तथा 5 मी. पौधे से पौधे की दूरी पर लगाना चाहिए। पौधों को लगाने, गड्ढा खोदने एवं भरने की विधि सेब क...
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अखरोट (Walnut) के अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।
अखरोट की बागवानी पर्वतीय क्षेत्र में 1600 मीटर से लेकर 2400 मीटर तक की जाती है।
अखरोट की मुख्य किस्में
फ्रेंक्वेटे, हार्टले, ब्लैकमोर, ट्यूटले, गोविन्द, रूपा, रत्ना
रोपण की दूरी एवं विधि
इसके वृक्ष 10 मी. कतार से कतार तथा 10 मी. पौधे से पौधे की दूरी पर सेब में दी गई विधि से लगाना चाहिए। अखरोट की कलमी कागजी किस्मों को ही लगाना चाहिए।
उर्वरक एवं खाद
50 ग्रा. नाइट्रोजन, 50 ग्रा. फास्फोरस तथा 25 ग्रा. पोटाश प्रति वृक्ष प्रति वर्ष आयु के अनुसार देना चाहिए। यह मात्रा 20 वर्ष के पश्च...
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खुबानी (Apricot) के अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।
खुबानी की खेती मुख्यतः मध्य पर्वतीय क्षेत्र में की जाती है तथा इस फसल पर कीट एवं रोग का आक्रमण भी कम होता है।
खुबानी की मुख्य किस्मे
शीघ्र पकने वाली- शिपलेज अर्ली, न्यू लार्ज अर्ली, चौबटिया मधु,चौबटिया अलंकार
मध्य समय - कैशा, मोरपाक्र, टर्की, चारमग्ज
देर से - रायल, सेंट , अम्ब्रियोस , चौबटिया केसरी, मोरपार्क, हलमनै एवं हारकाटे अधिक ऊंचे क्षत्रे के लिए।
सुखाकर मेवे के रुप- चारमग्ज, पैरा पैरोला, सफेदा, शकरपारा
मीठी गिरी वाली-सफेदा, चारमग्ज, नगेट, नारी, शकरपारा
रोपण की दूरी एव...
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