कोरोना संकट: एक बार फिर से पलायन: शहरों से अपने गांव की ओर:
कोरोना की इस महामारी के समय आज हमारे देश की आर्थिक स्थिति डगमगा रही है। अपने गांव, अपनी जन्मभूमि से पलायन करके शहर में रोजगार करने आये युवा आज या तो नौकरी से निकाले जा रहे हैं या महामारी से अपने और अपने परिवार को बचाने के लिए एक बार फिर पलायन कर रहे है। लेकिन इस बार पलायन वापस अपने उसी गांव अपनी जन्मभूमि की तरफ हो रहा है।
पलायन : कुछ खोया या मिला है एक मौका आत्मनिर्भर बनने का:
कोरोना संकट से उपजी महामारी के चलते युवाओं का शहर से वापस लौटना वैसे तो अच्छा नहीं है, लेकिन इसे एक संभावना एक मौके के रूप में भी देखा जा सकता है। नि:संदेह लोगों का इस तरह से पलायन हमारी सरकार के लिए चुनौती है, लेकिन हम सब प्रयास करें तो इसे एक अवसर में भी बदल सकते हैं। कोरोना वायरस की महामारी फैलने के बाद जब पांचवी बार पीएम नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को संबोधित किया था , उस सम्बोधन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ साथ कोरोना संकट से भी निपटने की राह दिखाई है.
खेती: स्वरोजगार: आत्मनिर्भरता
शहरों से गांव लौटे युवा खेती के जरिये अपना खुद का रोजगार स्थापित कर सकते है। बस जरूरत है खेती को रुचिकर और स्वरोजगारोन्मुखी बनाने की।
एक उचित योजना बना कर युवा अपने ही गांव में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों के उचित प्रबंधन से स्वावलंबी बन सकते हैं इतना ही नहीं अपने जैसे युवकों को रोजगार भी उपलब्ध करा सकते है। इससे हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास होग। एक बार महात्मा गांधी ने कहा था अगर हमें आत्मनिर्भर बनना है तो हमें अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को विकास की ओर अग्रसर करना होगा , तभी हम ग्रामीण युवाओं को रोजगार देने में सक्षम हो पाएंगे। खेती को कैसे एक सफल रोजगार में तब्दील कर सकते हैं उसके लिए पढ़ें: