चने मे
कीट की लट्टे हरे रंग की सवा इन्च लम्बी होती है, जो बाद में गहरे भूरे रंग की हो जाती है। ये आरम्भ में चने की पत्तियों को खाती है। फली लगने पर उनमें छेद करके अन्दर का दाना खाकर खोखला कर देती है।
– फसल में फूल आने से पहले तथा फली लगने के बाद मैलाथियॉन 5 प्रतिशत या मिथाइल पैराथियॉन 2 प्रतिशत या कार्बेरिल 5 प्रतिशत चूर्ण का 20-25 किलो प्रति हैक्टेयर की दर से बुरकें। जब फसल पर 90 प्रतिशत फूल आ जावे तो आवश्यकतानुसार एक और भुरकाव करें।
– पानी की सुविधा वाले स्थानों में फूल आने के समय मैलाथियॉन 50 ई.सी. या क्यूनालफॉस 25 ई.सी. एक लीटर या मोनोक्रोटोफॉस 36 एस.एल.सी. 750 से 800 मिली लीटर या क्लोरोपायरिफॉस 20 ई.सी. का प्रति हैक्टेयर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। अथवा
– एन.पी.वी. 250 एल.ई. 125 मिली लीटर को 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़कें। आवश्यकतानुसार दूसरा छिड़काव 10 दिन बाद करें। छिड़काव शाम के समय करें ताकि दवा का असर अधिक रहे। अथवा
– एसीफेट 75 एस.पी. का 800 ग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से बुवाई के 20-25 एवं 40-45 दिन बाद छिड़काव करें।
चने की खेती करना चाहता हु ?
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सर जी मै भी चने की खेती करना चाहता हु कृपया उचित सलाह दे की कब इसकी बुवाई करे तथा किन किन उर्वरक का बुवाई मे उप्योग करे इसकी दूरी कितनी रखे
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