सितम्बर माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाली फसले
अरहर फसल को पत्ती लपटेक एवं फलीबेधक कीट नुकसान पहुँचा सकते है। इन कीटों की रोकथाम लिये मोनोक्रोटोफास 3र्6 इ.सी. की 1.0 मिली. दवा या क्वीनालफास 25 इ.सी. की 1.0 मि.ली. दवा एक लीटर पानी में घोल कर छिड़काव व करना चाहिए। फाइटोपथोरा झुुसला की रोक थाम के लियेे रिडाेिमल 2.5 किग्रा प्रति हैक्टेयर की दर से आवश्यक पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।
सोयाबीन गडिर्ल बीटिल व फलीछेदक कीटों की रोकथाम के लिये कार्बारिल 50 प्रतिशत धूल चूर्ण 2.0 किग्रा या क्लोरोपायरीफास 2.0 इ.सी. 1.5 लीटर दवा काे आवश्यक पानी में घोल कर प्रतिशत हैकटर की दर से छिड़काव करें। आवश्यकतानुसार 10-15 दिन के अन्तराल पर पुन: छिड़काव करें। सूखा होने की स्थिति में फूल आने से फली बनाए समय एक सिचांई की आवश्यकता होते है।ज्यादा वर्षा वाले क्षेत्रों में जल निकास प्रबंध किया जाना आवश्यक है ।
मूंगफली फूल बनाने एवं नस्सों (खूटियाें) के भूमि में प्रवेश तथा फलियों के विकास के समय भूमि में पर्याप्त नमी आवश्यक है। नमी के अभाव में सिंचाई का प्रबन्ध करे। दीमक नियंत्रण के लिये 4.0 लीटर प्रति हैक्टर की दर से क्लोरोपायरीफास का प्रयोग करें।बडनिक्राेसिस रोग नियत्रंण के लिये फास्फेमिडान 85 प्रतिशत की 250 मि.ली. दवा प्रति हैक्टर को आवश्यक पानी में घोलकर छिड़काव व करें। टिक्का रोग नियत्रंण के लिये मैकाजेब 75 डब्ल्यू पी. का 2.5 किग्रा. दवा प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करें।
उर्द व मूंग यदि बुआई अगस्त माह में देर से की गई हो तो एेसी दशा में निराई बुआई केे 20-25 दिन के अन्दर तथा दूसरी निराई आवश्यकतानुसार 10-15 दिन के बाद करनी चाहिए। विषाणु रोेग को फैलाने वाले कीडे़ की रोक थाम के लिये क्वीनालफास 2. 5 इ.सी. दवा की 1.0 मिली. मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
धान मध्यम देर से पकने वाली जातियों में शेष 30 किग्रा नत्रजन तथा शीघ्र पकने वाली जातियों में शेष 25 किग्रा नत्रजन प्रति हैक्टर की दर से बालियां गोभी में टक्कर निकलने से पहले टॉपड्रेसिंग के रूप में दे। आवश्यकतानुसार सिचांई एवं जल निकास की व्यवस्था करे। यदि खेत में औसतन 8-10 प्रतिशत मृत गोभ तना छदे क एवं 10-15 भूरा/सफेद फुदका की संख्या प्रति पौधा दिखाई दे तो कीटनाशी का प्रयोग करे।
मक्का सिल्किगं से दाना पड़ने की अवस्था तक पर्याप्त नमी आवश्यक है। अतः आवश्यकतानुसार सिचांई की व्यवस्था करे।कीट नियत्रंण हेतू क्वीनालफास 2. 5 इ.सी. या कार्बारिल 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण 1.5 लाख किग्रा. प्रति हैक्टर की दर से करें तुलासिता एवं पत्तियों का झुलसा रोग नियत्रंण के लिये मैकाजेब 75 डब्ल्यू पी. की 2.5 किग्रा. हैक्टर की दर से आवश्यक पानी में घोलकर छिडक़ाव करें। सकुल व देशाी जातियां पक गई हों तो उनकी कटाई करे।
ताेरियो की बुआई इस माह के पहले पखवाड़े में कर दे।बुआई हेतु पीटी-30, पीटी-303, पी.टी. 507, भवानी, सगं म, उत्तरा इत्यादि किस्मों का चुनाव कर सकते हैं। बुआई हेतु 3-4 किग्रा बीज प्रति हैक्टर प्रयोग करें। बुवाई लाइनों में 30 से .मी. पर करें।बीज की गहराई 3-4 से. मी. तक हो। बुवाई के पर्वू बीज का शोधन 2.5 ग्राम थाइरम प्रति किग्रा बीज की दर से करे । सतुंलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करें। उवर्रकों में फास्फोरस के लिये सिंगिल सुपर फास्फटे का प्रयोग लाभदायक होता है क्योंकि इससे 12 प्रतिशत सल्फर की उपलब्धि हो जाती है।
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सितम्बर माह में पर्वतीय क्षेत्र होने में वाली फसले
धान असिंचित क्षेत्रों में झोंका रोग नियत्रंण के लिये लक्षण दिखाई देने पर काबेर्नडाजिम या एडिफन्फास की 14-20 ग्राम/मिली. मात्रा को 15-20 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। दस दिन के अन्तराल पर पुन: छिड़काव व आवश्यकतानुसार करें।खैरा रोग नियत्रंण हेतु 100 ग्राम जिकं सल्फेट को 400 ग्राम यूरिया अथवा 50 ग्राम बुझे हुए चूने के 20 लीटर पानी में घोल कर प्रति नाली छिडक़ाव करना चाहिए। पत्ती लपटेक कीट नियत्रंण के लिए क्रमशः र्डाइ मिथाऐट 3.0 इ.सी. को 3. मिली. प्रति नाली की दर से आवश्यक पानी में घोल कर छिड़काव करें। तना छेदक कीट नियत्रंण के लिये क्यूनालफास 2. 5 इ.सी.की 40 मिली. या क्लोरपायरीफास 2. 0 इ.सी. की 30 मिली. दवा के प्रति नाली की दर से 15-20 लीटर पानी में घोेल कर छिड़काव करें। यूरिया की टॉपड्रेसिंग शेष हो तो नमी होने की अवस्था में टॉपड्रेसिंग कर सकते है।
सोयाबीन खरपतवार नियंत्रण करें। कमला कीट एवं क्यूिलआप्स नामक कीट नियंत्रण के लिये क्यूनालफास 2. 5 इ.सी. दवा की 30 मिली मात्रा को 16-20 लीटर पानी में घोलकर प्रति नाली छिड़काव करें।मडुंवा,झगोंरा, रामदाना मडुंवा में झोंका रोग नियत्रंण के लिये धान में बताई गई विधि के अनुसार नियत्रंण करें। झंगोरा में कण्डुवा रोग के लिये, बुवाई के समय बीजापे चार ही उचित नियंत्रण है। रामदाना की खडी़ फसल मैं पर्णजालम कीट का प्रकोप होता है । इसके नियंत्रण के लिये मोनोक्रोटोफास 3. 0 इ.सी. दवा की 12-15 मिली दवा को 16-20 लीटर पानी में घोल कर प्रति नाली की दर से छिड़काव करें।
सितम्बर माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाली सब्जिया
टमाटर अच्छी पैदावार व आमदनी प्राप्त करने के लिये इस माह में रोपाई करें। खेत की आखिरी जुताई पर 75 किलोग्राम नत्रजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस व 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से डालें। 50*50 से. मी. की दूरी पर सायं काल के समय रोपाई करें। रोपाई तुरन्त बाद हल्की सी सिंचाई करें। पुरानी फसल में आवश्यकतानुसार निराई, गुडा़ई करें। तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें।
बैंगन फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें। यदि फल छेदक,कीट का आक्रमण अधिक दिखाई दे तो 0.2 प्रतिशत सेविन नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें। बीज वाली फसल से अवांछित पौधों को निकालें व पके फलों से बीज निकालकर सुखाये ।
मिर्च फसल में आवश्यकतानुासार निराई गुड़ाई व सिचांई करें।बीज वाली फसल से अवांछित पौधों को निकालें व पकी मिर्चाे को तोड़ कर सुखाये व बीज निकालें ।
करें। 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हैक्टेयर की दर से खड़ी फसल में डालें । मध्यकालीन फूलगोभी की रोपाई का उचित समय है। खेत की आखिरी जुताई पर 75 किलोग्राम नत्रजन, 100 किलोग्राम फास्फोरस व 100 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टर डाले। 50*50 से.मी. की दूरी पर रोपाई करें, व तुरन्त हल्की सी सिचांई करें। पातगोभी, गांठगोभी व पिछेती गोभी की पौधशाला में बुआई करें जिससे अक्टूबर माह में इनकी रोपाई की जा सके।
सितम्बर माह में पर्वतीय क्षेत्र में होने वाली सब्जिया
टमाटर फसल में आवश्यकतानुसार निराई, गुड़ाई व सिचांई करें। तैयार फलों को तोड़क़र बाजार भेजने की व्यवस्था करें।झुलसा नामक बीमारी के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत इन्डाेफिल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिडक़ाव करें।
बैंगन फसल में आवश्यकतानुसार शस्य क्रियायें करें व तैयार फलों को तोड़क़र बाजार भेजें । फल तथा तना छेदक नामक कीट के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत सेविन नामक दवा का घोल बनाकर एक छिडक़ाव करें।
फूल गोभी /गाठं गोभी तैयार गाे भियों की कटाई कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें ।फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुडा़ई व सिचांई करे।
खीरावर्गीय फसलें तैैयार फलों की तोड़ाई कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें।आवश्यकतानुसार निराई गुडा़ई व सिचांई कर। यदि कीटों की आक्रमण दिखाई दे ते 0.2 प्रतिशत से यविन नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
अदरक खुदाई कर बाजार भेज ने की व्यवस्था करें। फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुडा़ई व सिचांई करें।
सितम्बर माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाले फल
आम इस माह तक नए बाग की रोपाइ का कार्य पूरा कर लें। शाखा गाठं कीट की रोक थाम हेतु रोगोर (0.2 प्रतिशत ) का छिड़काव करें। श्याम वर्ण रोग की रोकथाम हेतु ब्लाइटाक्स-50 का छिडक़ाव करें। पछेती किस्मों की गुठलियों को इक्ट्ठा करके पौधशाला में बुआई करें।
अमरूद बरसाती फसल को तोड़ क़र बाजार भेजें। तनाबेध्क कीट की रोकथाम हेतु क्वीनालफास/मोनोक्रोटोफास का छिड़काव करें।
पपीता नए बाग लगाने हेतु पौधों की रोपाई का कार्य करें।
बेर चूणिर्ल आसिता की रोकथाम हेतु कैराथेन का छिडक़ाव करें।
लीची तना छेदक कीट की रोक थाम क९ लिए रूइ को पेट्रोल में भिगोकर, छिद्रों में भरकर इन छिद्रों को गीली मिट्टी से बदं कर दे।
कटहल पके फलों के बीजों को निकाल कर पौधशाला में बुआई करें। नए बाग लगाने के लिए रोपण का कार्य करें।
बेल पेड़ो पर शाटहाले रोग की रोकथाम हेतु ब्लाइटाक्स-50 का छिडक़ाव करे। नए बाग लगाने हेतु रोपण का कार्य करें।
करौंदा पके फलों की तुड़ाइ करके बीज निकाल लें तथा नए पौधें तैयार करने के लिए बीजों की पौधाशाला में बुआई करें।
सेब पछेती किस्मों के फलों को ताडे़क़र बाजार भेजें नसर्री के बीज पौधों पर टी-चश्मा चढा़एं। रूइया कीट की रोकथाम हेतु मेटासिस्टाक्स का छिड़काव करें। दुग्ध अंग मारी की रोक थाम हेतु बोर्डो मिश्रण (4:4:50) का छिड़काव करें।
नाशपाती पके फलों को तोड़क़र बाजार भेजें। रूइया कीट की रोक थाम हेतु मेटासिस्टाक्स का छिड़काव करें। दुग्ध अगं मारी की रोकथाम हेतु बोर्डो मिश्रण (4:4:50) का छिड़काव करें।
आड़ू एवं आलुबुखारा पेड़ों के तनों को चूने से पोत दें। पेडों पर बोरेक्स का छिड़काव करें।
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सितम्बर माह में होने वाले पुष्प
रजनीगंधा स्पाइक की कटाई- छटाई, पैकिगं एवं विपणन। ग्लैडियोलस के लिए क्यारियों की तैयारी करना। 10 किग्रा सड़े गोबर की खाद, 200 ग्राम सिगंल सुपर फास्फेट एवं 200 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में मिलाना।
सेब तथा नाशपती के विभिन्न उत्पाद तथा सबके गूदे को पोटेशियम मेटा-बाई्- सल्फाइड से काँच तथा प्लास्टिक की बडी़ बोतलों में परिक्षित किया जाता है।
पशुपालन
गाय-भैंस:- यदि पशु मिट्टी खा रहा है तो उसे सतुलिंत आहार के साथ-साथ 40 से 50 ग्राम खनिज मिश्रण दें साथ ही चिकित्सक के परामर्श के अनुसार अतं: कृमि नाशक दवा पिलायें। यकृत कृमि, निमाेनिया एवं दस्त से बचाव हेतु चिकित्सक की सलाह लें ।
भेड़ व बकरी:- भेड़ो में इस समय ब्यात चल रही होती है। इस कारण उनके बालों की सफाई का विशेष ध्यान रखते हुए समय पर आहार तथा पानी की भी व्यवस्था करें।
कुक्कुटः- जुलाई एवं अगस्त माह की तरह करें।
मत्स्यः- तालाब के पानी में प्लावको का निरीक्षण करें व संतोशप्रद मात्रा को कायम रखें। मछलियों के भार का 2-3 प्रतिशत की दर से परिपूर्ण आहार दें।
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