मई माह में मैदानी क्षेत्र एवं पर्वतीय क्षेत्र में होने वाली फसले, फल, पुष्प, पशुपालन।

मई माह में  मैदानी क्षेत्र में होने वाली फसले

गेहूॅं पूर्ण पकी फसल की अविलम्ब कटाई कर लेनी चाहिये। गहाई करके भण्डारण करे। आगामी वर्श में बीज के लिये प्रयोग किये जाने वाले गेहूँ को सौर ताप विधि से उपचारित करके रखें, ताकि फसल में खुला कण्डुआ रोग से बचाव हो सके।

जौ, चना व मसूर जिन फसलों की गहाई न की गई हो तो जल्द कर लें । भण्डारित कर लें ताकि वर्षा आदि से नुकसान न हो।

उर्द व मूंग फसलों की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। फलियों की तुड़ाई के बाद फसल को खेत में पलट देने से वह हरी खाद का कार्य करती है।

सूरजमुखी आवश्यकतानुसार सावधानीपूर्वक सिंचाई करें ताकि पौधे गिरे नहीं। पक्षियों (विशेषकर तोते व चिड़ियों) से फसल का बचाव करें । बिहार बालदार सूड़ी से सुरक्षा के लिये क्वीनालफास 25 ई.सी. की 1.0 लीटर दवा प्रति हैक्टर के हिसाब से ग्रसित स्थानों पर छिड़काव करें । जैसिड की रोकथाम के लिये मिथाइल-ओ-डिमेटान-25 ई.सी. की एक लीटर दवा को 600-800 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हैक्टर छिड़काव करें ।

बरसीम, रिजका चारे हेतु अन्तिम कटाई पिछली कटाई के 15 से 20 दिन बाद कर लें ।

जई जब दाने पक जाये, कटाई कर लें । खेत में 3-4 दिन सूखने के बाद ही मड़ाई करें ।

लोबिया 60-70 दिन की अवस्था में कटाई करें । आवश्यकतानुसार सिंचाई करें ।

मक्का अप्रैल में बोई गई फसलों में पानी लगायें तथा आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करें ।

धान सिंचाई की सुविधा वाले क्षेत्रों में देर एवं मध्यम समय में पकने वाली प्रजातियों का बीज पौधशाला में मई माह के अन्तिम सप्ताह से 15 जून तक डाल दें ।

गन्ना गर्मियों में सात से दस दिन के अंतर पर सिंचाई करें । माह के अन्त तक जो खाद निर्धारित मात्रा में देने से रह गई हो उसका प्रयोग करें । यदि फसल पर काले बग का प्रकोप है तो नियंत्रण के लिये 2.0 लीटर फेन्थेएट 50 ई.सी. का 1 लीटर या मोनोक्रोटोफास 36 एल.एल. के 750 मिली. पानी में घोलकर छिड़काव करें । इससे अंगोलाबेधक व अन्य कीट भी नियंत्रित होगें ।

मई माह में पर्वतीय क्षेत्र होने में वाली फसले

गेहूॅं, जौ,चना,सरसों, मटर,मसूर इन फसलों की पकने पर कटाई कर लें ताकि खेत में दाना झड़ने से होने वाली हानि को रोका जा सके। सही ढंग से सूखने पर गहाई कर भण्डारित कर लें ।

मंडुवा सीधी बुवाई के लिये उपयुक्त समय मई अन्त से जून मध्य तक है, मानसून की वर्षा से पहले अच्छी वर्षा होने पर मंडुवा की बुवाई की जा सकती है। सीधी बुवाई हेतु 160-200 ग्राम बीज प्रति नाली की आवश्यकता पड़ती है। पन्त मंडुवा -324 वी.एल. मंडुवा 149, वी.एल.मंडुवा-315, वी.एल.-149 एवं पी.आर.एम.1 इत्यादि उन्नतशील प्रजातियों का चयन बुवाई हेतु कर सकते है।

झंगोरा (मदिरा) परम्परागत ढंग से झंगोरा की बुवाई साधारणतया मार्च/अप्रैल में की जाती है। उन्नत प्रजातियों की बुवाई मई अन्त से मध्य जून तक की जा सकती है। असिंचित दशा में द्विफसली खेती में बुवाई हेतु उन्नतशील प्रजातियां जैसे वी. एल.-29, वी.एल.-172 एवं वी.एल. 2077 का चयन करे। प्रति नाली 160-200 ग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है।

मक्का : मक्का की बुवाई मध्यम ऊंचे पहाड़ी एवं अत्याधिक ऊंचे क्षेत्रों में अप्रैल अन्त से मई प्रारम्भ तक तथा निचली पहाड़ी क्षेत्रों में मई अन्त से मध्य जून तक करें । प्रति नाली 360-400 ग्राम बीज बुवाई हेतु पर्याप्त होता है। वी.एल.मक्का-42, वी. एल.-16, वी.एल.-88, वी.एल.-41, वी.एल.11, नवजोत, वी.एल.अम्बर (पापकार्न के लिये) आदि प्रजातियों का क्षेत्रानुसार चयन कर सकते हैं।

रामदाना बुवाई का उपयुक्त समय पहली वर्षा के तुरन्त बाद मई माह के द्वितीय पक्ष से जून का प्रथम पक्ष है। इसकी बुवाई हेतु प्रति नाली 30-40 ग्राम बीज पर्याप्त है।

काकुन बुवाई का उपयुक्त समय मई का द्वितीय सप्ताह है। कम समय की फसल होने के कारण इसकी बुवाई जून के प्रथम पक्ष में की जा सकती है। अधिक उपज लेने हेतु पी.आर.के.-1 उन्नतशील प्रजाति का चयन करें । प्रति नाली 200 ग्राम बीज प्रयोग करें ।

सोयाबीन : सोयाबीन की बुवाई मई के अन्तिम सप्ताह से जून के दूसरे सप्ताह तक की जा सकती है। प्रति नाली 1.5 किग्रा. बीज की दर से बुवाई करें । वी.एल. एस-1, वी.एल.सोया-2, पी.के.-416, पी.के.-327, पी. के.-564, वी.एल.सोया-21, वी.एल.सोया-47, पी.एस-1092, पी.एस.-1042, पी.एस.-1225, पी.आर. एस.-1, इत्यादि प्रजातियों का बुवाई हेतु चयन किया जा सकता है।

मई माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाली सब्जिया

टमाटर तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें । इस माह में तापक्रम अधिक होता है अतः फल रंग बदलने वाली स्थिति में ही तोड़ के तथा बाजार भेजें । फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई निराई-गुड़ाई करें । बीज वाली फसल से पूर्ण पके फलों को तोड़कर बीज निकालने की व्यवस्था करें । फलों को काटकर रस व बीज को प्लास्टिक के बर्तन में डालकर 48 घण्टे के लिए रखें व सड़ने दें, बाद में साफ पानी से धोय़ें । बीज अलग हो जायेगें उनको इतना सुखायें कि नमी मात्रा 8 प्रतिशत से अधिक न हो।

बैंगन इस माह में फल बड़ी मात्रा में तैयार होते हैं । अतः उनको तोड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें । पानी छिड़के व बाजार भेजें । यदि फल तथा तनाछेदक का आक्रमण हो तो फल तोड़ने के बाद 0.29 प्रतिशत सेविन नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव अवश्य ही करें । खड़ी फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई व निराई-गुड़ाई करें ।

फूल गोभी,पात, गोभी,गांठ गोभी इस माह में बीज वाली फसलों की कटाई का काम भी पूरा करें । बीज की सफाई करें, ऐसा सुखायें की नमी की मात्रा 8 प्रतिशत से अधिक न हो।

मूली, गाजर व शलजम सम्भवतः सभी फसलों के बीज तैयार होगें । गाजर के छोटे अम्बेल्स को तोड़ दें उनका बीज जमाव व गुणवत्ता के दृष्टिकोण से अच्छा नहीं होता है। फसलों की कटाई करें । खलिहान पर सुखायें तथा बीज निकालें । बीजों की सफाई कर इतना सुखायें कि नमी 8 प्रतिशत से अधिक न बचें ।

प्याज यदि आवश्यक हो तोे एक हल्की सी सिंचाई करें । आखरी सप्ताह में पत्तियों को जमीन की सतह से झुका दें जिससे गांठे सख्त हो जाती है।

लहसुन यदि खुदाई अभी तक नहीं हुई है तो खुदाई करें । दो दिन तक खेत में सूखने दें बाद में छोटी-छोटी गठरिया बनाकर नमी रहित स्थान पर 10 दिन तक सुखाय़ें, बाद में नम रहित स्थान पर भण्डारण करें ।

पालक, मेंथी सभी फसलों के बीज तैयार हो गये हैं । कटाई कर खलिहान पर सुखायें व बीज निकालें।

भिण्डी, लोबिया तैयार फलियों को बाजार भेजने की व्यवस्था करें । भिण्डी की फसल में आवयकतानुसार पानी दें । लोबिया व राजमा की फलियों को भी तोड़ लें व सुखाकर बीज निकालें । वर्षा ऋतुू में अगेती फसल प्राप्त करने के लिये भिण्डी व लोबिया की बुवाई की जा सकती है। पूसा सावनी, पूसा ए-4, परमनी क्रांति, अर्का, अनामिका, अर्का अभय, उत्कल, गौरव भिण्डी की व पूसा कोमल, पूसा वर्षाती व पूसा-2, पूसा फाल्गुनी, पूसा ऋतुराज, अरका गरिमा, अरका सुमन, अरका सिद्धार्थ फसली लोबिया की अच्छी किस्में हैं ।

मिर्च तैयार मिर्चे को तोड़कर बाजार भेजें । फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । फलों पर धब्बे दिखाई दे रहे हों तो 0.2 प्रतिशत इन्डोफिल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें । बीज वाली फसल में मैलाथियान 5 ई.सी. का 2.0 मिली. प्रति ली. पानी का भी छिड़काव करें साथ ही साथ उपरोक्त सभी शस्य क्रियायें अपनायें। शिमला मिर्च के तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें व फसल की गुड़ाई करें ।

खीरावर्गीय फसलें तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें यदि आवश्यक हो तो एक बार सिंचाई

करें । बीज वाली फसलों के तैयार फलों को इकट्ठा कर बीज निकाले, गूंदे तथा बीजों को 48 घण्टे के लिए सड़ने दें । बाद में साफ पानी में धो लें व अच्छी तरह सुखाएं। अगेती फसलो को वर्षा ऋतु में प्राप्त करने के लिए लौकीए तोरईए करेला व खीरा की फसलों की बुवाई के लिए खेत की तैयारी शुरू कर दें ।

अदरक, हल्दी, अरबी सभी फसलें जमकर तैयार हो गई होगीं। अतः आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करें । अरबी की फसल में हल्की सी मेड़ बनाये। नई पत्तियों की छोटी.छोटी गड्डियां बनाकर बाजार भेजें है। कभी.कभी इस फसल में झुलसा का भी प्रकोप होता है। अतः बचाव के लिए 0.2 प्रतिशत इन्डोफिल .45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें । कीटों के बचाव के लिए उपयुक्त कीटनाशी का छिड़काव करें ।

चौलाई जिन क्षेत्रों में चैलाई की पत्तियों की मांग हो वहां पर इसकी बुवाई की जा सकती है। छोटी चैलाई व बड़ी चैलाई इसकी उन्नत किस्में हैं। इसकी बोआई तैयार खेत में 30 सेमीण् की दूरी पर बनी कतारों में करें। बीज वाली फसलों से फलों को तोड़कर बीज निकालने की व्यवस्था करे। बीज निकालें व सुखाय़ें । ताकि नमी की मात्रा 8 प्रतिशत से अधिक न हो।

अदरक, हल्दी तथा अरबी : अदरक व अरबी की खुदाई करके बाजार भेजने की व्यवस्था करें ।बाजार भेजने के पूर्व कीट तथा रोगग्रस्त गांठों को निकाल दें । हल्दी की पत्तियां पीली पड़ना शुरू हो जाती हैं, यदि पूर्णतया पीली पड़ गयी हों तो कटाई करें जिससे कि जड़े सख्त हो जाय़ेंगी|

मई माह में पर्वतीय क्षेत्र में होने वाली सब्जिया

आलू फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । झुलसा नामक बीमारी के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत इन्डोफिल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव अवश्य करें । फसल कमजोर दिखाई दे तो 50 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल में डालें ।

टमाटर तैयार फलों की तुड़ाई कर बाजार भेजने की व्यवस्था करे। फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। झुलसा बीमारी के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत इन्डोफिल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें ।

बैंगन तैयार फलों की तुड़ाई कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें व फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । पौधों की वृद्धि अच्छी नहीं है तो खड़ी फसल में 50 किलोग्राम यूरिया डालें ।

मिर्च शिमला मिर्च फसल में आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई व सिंचाई करें । तैयार फलियों को

तोड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें । फसल में 50 किलोग्राम यूरिया डालकर हल्की सी सिंचाई

करें।

भिन्डी/लोबिया राजमा फलियों की तुड़ाई कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें तथा फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । यदि फसल बीज वाली है तो पकी फलियों को तोड़कर सुखायें व बीज निकालें ।

खीरावर्गीय फसलें : फसलों में आवश्यकतानुासार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । पौधों की वृद्धि अच्छी

नहीं हो रही है तो 10-15 ग्राम यूरिया प्रति थाला डालें तथा हल्की सी सिंचाई करें ।

पालक, धनियां मेंथी पत्तियों की कटाई करें – छोटी छोटी गड्डियां बनायें व बाजार भेजने की व्यवस्था करें । फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । कटाई के बाद 25 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल में डालें व हल्की सी सिंचाई करें।

मूली तैयार जड़ों को उखाड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था कर बाजार भेजने से पूर्व जड़ों की सफाई करें । ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इसकी बोआई भी की जा सकती है। फसल में आवश्यकतानुसार निराई  व सिंचाई गुड़ाई करें ।

फूलगोभी, पातगोभी, गांठगोभी खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । पौधों की वृद्धि अच्छी नहीं हो रही है तो 50 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल में डालकर सिंचाई करें । यदि कुछ फूल तैयार हो रहे हों तो उनको बाजार भेजने की व्यवस्था करे।

अदरक, हल्दी खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई, गुड़ाई व सिंचाई करें । मिट्टी चढ़ायें व खड़ी फसल में 50 किलोग्राम यूरिया डालें व हल्की सी सिंचाई करें यदि अभी तक बोआई नहीं की है तो शीघ्र ही बोआई करने की व्यवस्था करें ।

मई माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाले फल

आम नए बाग लगाने के लियेे रेखांकन करके गडढ़े खोद लें । बोरेक्स का छिड़काव करें। फलों को

चिड़ियों से बचाएं। एक सिंचाई करें ।

केला सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई करें। अवांछित पत्तियों को निकाल दें । नए बाग लगाने के लिए गड़ढे खोदें । बाग में लगी हुई धारों को पत्तियों से ढक दें ।

नीबूवर्गीय फल नए बाग लगाने के लिए रेखांकन करके गडढ़े खोद लें । बाग में 15 दिन के अंतराल

पर सिंचाई करें । फलों को गिरने से बचाने हेतु एन ए. ए. का छिड़काव करें ।

अमरूद नए बाग लगाने के लिए रेखांकन करक गडढ़े खोद लें । फलदार वृक्षों में फसल नियंत्रण हेतु नए कल्लों की छंटाई एक जोड़ी निचली पत्ती छोड़कर करें अथवा 15 दिन के अंतराल पर एन.ए.ए. 600-800 पी.पी.एम. का छिड़काव दो बार करें ।

पपीता बाग की सिंचाई 15 दिन के अंतराल पर करें ।

अंगूर बाग में 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें । फलों की चिड़ियों से रक्षा करें । अगेती किस्मों के पके गुच्छों को तोड़कर बाजार भेजें ।

बेर नए बाग लगाने के लिए रेखांकन करके गडढ़े खोद लें । पुराने वृक्षों की छंटाई करें ।

लीची बाग में 15 दिन के अंतराल दो बार से सिंचाई करे। नए बाग लगाने के लिए रेखांकन करके गडढ़े खोद ले। फलों को फटने से बचाने के लिए पानी का छिड़काव करें ।

लोकाट बाग में 15 दिनों के अंतराल दो बार पर सिंचाई करें । फलों को तोड़कर बाजार भेजें । फल मक्खी की रोकथाम के लिए मैलाथियान का छिड़काव करे। नए बाग लगाने के लिए रेखांकन करके गडढे खोद लें ।

आंवला बाग की सिंचाई करें । नए बाग लगाने के लिए रेखांकन करके गडढ़े खोद लें ।

कटहल बोरेक्स (0.8 प्रतिशत) के दो छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर  करें। फल विगलन रोग की

रोकथाम के लिए ब्लाइटाक्स-50 का एक छिड़काव करें । फलों को तोड़कर बाजार भेजें । नए बाग लगाने के लिए रेखांकन करके गडढ़े खोद लें ।

फालसा बाग की 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें । पके फलों को तोड़कर बाजार भेजें ।

आडूू अगेती किस्मों के फलों को तोड़कर बाग की सिंचाई करें ।

नाशपाती बाग की सिंचाई करें ।

आलूबुखारा बाग की सिंचाई करें ।

मई माह मेंपर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले फल

सेब जिन स्थानों पर सिंचाई की सुविधा हो, उन बागों की सिंचाई करें । पत्ती खाने वाले कीट की रोकथाम के लिए सेविन का छिड़काव करें

नाशपाती बागों की सिंचाई करे। पत्ती खाने वाली कीट की रोकथाम के लिये सेविन का छिड़काव करें ।

आडू़ फलों की चिड़ियों से रक्षा करें ।

खुबानी फलों की चिड़ियों से रक्षा करें । अगेती किस्मों के फलों को तोड़ कर बाजार भेजें ।

आलूबुखारा फूलों की चिड़ियों से रक्षा करें । फल विगलन से बचाने के लिए ब्लाइटाक्स-50 का छिड़काव करें ।

चेरी अगेती किस्मों के फलों को तोड़कर बाजार भेजें ।

अखरोट बाग की सिंचाई करें । पत्ती खाने वाले कीट की हानि से बचाने के लिए सेविन का एक छिड़काव करें ।

बादाम बाग में ब्लाइटाक्स-50 का छिड़काव करें । पत्ती खाने वाले कीट से रक्षा हेतु सेविन का छिड़काव करें ।

कीवीफल बाग की सिंचाई करे।

मई माह में होने वाले पुष्प

गुलाब में आवश्यकतानुसार गुड़ाई एवं सिंचाई। रजनीगंधा में 15 दिन के अन्तराल पर निम्नलिखित
पोषक तत्व के मिक्सचर को 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से पर्णीय छिड़काव
(फसल अवधि में कुल 16 छिड़काव)।
1- यूरिया – 1.108 किग्रा.
2- डी.ए.पी. -1.308 किग्रा.
3- पौटेशियम नाइट्रेट – 0.875 किग्रा.

4- टी. पाल – 0.1 प्रतिशत।

मेंथा:- मेंथा में 10-12 दिन के अन्तर पर सिंचाई तथा निकाई गुड़ाई। नत्रजन की अवशेष एक तिहाई

मात्रा (40-50 किग्रा./है.) की टापड्रेसिंग।

फल-सब्जी संर क्षण

लीची का रस, स्क्वैश तथा डिब्बाबन्दी तथा इसके रस को परिरक्षी पदार्थ से सुरक्षित किया जाता है।
अनानास की डिब्बाबन्दी, जैम, रस, स्क्वैश तथा सिरप (शरबत) बनाया जा सकता है। आँधी से गिरे हुए कच्चे आम से अचार, चटनी तथा इसे सुखाकर अमचूर बना सकते हैं । पके आम से जैम तथा स्क्वैश एवं गूदे को परिरक्षी पदार्थ पौटेशियम -मैटा-बाई सल्फाइड से सुरक्षित रखा जा सकता है। प्लम (आलू-बुखारा), आडू तथा खुबानी से जैम चटनी तथा डिब्बाबन्दी एवं इन फाकों को सुखाकर सुरक्षित रखा जा सकता है। बेल का शर्बत, जैम तथा इसकी डिब्बाबन्दी कर सकते है।

पशुपालन

गाय-भैंस:- गर्मी से बचाव हेतु पंखा-कूलर यदि उपलब्ध हो तो लगाय़ें । दिन में दो बार पशुओं के स्नान हेतु व्यवस्था करें । गलाघोंटू, लगड़िया एवं एथे्रक्स रोग हेतु पशु चिकित्सक से परामर्श कर टीकाकरण करें ।

भेड़ ़ व बकरी:- भेड़ों की ऊन काटने से पहले भेड़ों में पुट्ठे सूजने/पेट में कीड़े होने आदि रोग के

बचाव हेतु पशु चिकित्सक की सलाह लें ।

कुक्कुटः– रानीखेत एवं चेचक का टीका टीका लगवाय़ें । गर्मी से बचाव के लिए आवश्यक उपाय

को जैसे छत पर घास या छप्पर डालें तथा इसें गीला करें । पंखे अथवा कूलर का प्रयोग करें। पानी
के बर्तन बढ़ाये ठंडा व साफ पानी पीने को दें ।

मुर्गियों को इलैक्ट्रौलाइट पाऊडर ठण्डे पानी में डालकर पिलाय़ें ।

मत्स्यः– तालाबों की मिट्टी का रासायनिक विश्लेषण करें।

पानी की जांच करें। अवांछनीय एवं भक्षक मछलियों को निकाल दें (1 मी. पानी की गहराई वाले तालाब में 25 कुन्तल महुआ की खली डालकर बार बार जाल चलाकर)।

तालाबों से जलीय कीटों व खरपतवारों की सफाई सुनिश्चत करें ।

मौन:- मौन गृहों को सूरजमुखी के फसल में स्थानान्तरित करें । गर्मी से बचाव के लिए मौन गृह छाया में रखें । मौन वाटिका के आस-पास ताजा पानी का प्रबंध करें । अष्टपादी से बचाव के लिए सल्फर का प्रयोग करें । चीटीं से बचाव के लिए स्टेंण्ड में कटोरियों में पानी का प्रयोग करें ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *