तोरई के प्रकार
पंत तोरई-1, कल्यानपुर हरी चिकनी, पूसा सुप्रिया, पूसा चिकनी, पूसा नसदार, स्वर्ण मनजरी, स्वर्ण उपहार, अर्का सुमित, पंजाब बहार
बुवाई
पर्वतीय एवं तराई-भावर : लौकी के समान बुवाई करें।
बीज की मात्रा : 5 कि.ग्रा/हैरोपाई : 100*50 से.मी. की दूरी पर रोपाई करनी चाहिए तथा वर्षा ऋतु की फसल को लकड़ी अथवा मचान का सहारा देना चाहिए।
खाद एवं उर्वरक
तोरई की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस एवं 60 कि.ग्रा. पोटाश का प्रयोग करें। इसके साथ-साथ 10 टन/ है. सड़ी गोबर की खाद का भी प्रयोग करना चाहिए।
सिंचाई, निराई-गुड़ाई, खरपतवार नियंत्रण : लौकी के अनुसार करें।
कीट एवं व्याधि नियंत्रण : लौकी के अनुसार करें।
उपज : अच्छी देखरेख पर 200-250 कुन्तल/हैक्टर उत्पादन प्राप्त होता है।
फल फूल नहीं अरे है और फल गिर रहा है।
तोरई जोकि लौकी के परिवार से है इसमे फूल दो प्रकार के आते है एक मे फल लगा होता है और दूसरे मे फल नहीं होता है शुरू मे बिना फल वाले फूल ज्यादा खिलते है उसके बाद फल वाले फूल खिलना प्रारंभ होते है ऐसा नहीं कि सारे फल वाले फूलो पर फल बढना लगे जिस पर परागण हो जाएगा वह ही वडा फल बनेगा शेष दोनो तरह के फूल गिर जाएंगे अतः खेत मे नमी बनाए रखे जल्द ही आपको तुरई भी दिखना शुरू हो जाएगी