टमाटर ऐसी फसल है जिसे पूरे वर्श उगाया जा सकता है। इसका प्रयोग सूप, सलाद, चटनी व अन्य कई रूपों में किया जाता है। टमाटर की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए निम्न उन्नत विधियां अपनानी चाहिए
टमाटर की किस्में/प्रजातियां
सामान्य किस्में : पूसा गौरव, पूसा शीतल, सालेनागोला , साले नबडा़ , वी.एल. टमाटर -1, आजाद टी-2, अर्का विकास, अर्का सौरभ,पंत टी-3
संकर किस्में : रुपाली, नवीन, अविनाश-2, पूसा हाइब्रिड-4, मनीशा , विशाली , पूसा हाइब्रिड-2, रक्षिता, डी.आर.एल-304, एन.एस. 852, अर्कारक्षक, अर्का सम्राट, अर्का अन्नया
टमाटर की पौधशाला तथा रोपाई
तराई :
नर्सरी – दिसम्बर/जनवरी
रोपाई– फरवरी-मार्च प्रथम सप्ताह
भावर क्षेत्र :
नर्सरी– अगस्त/सितम्बर
रोपाई– सितम्बर/अक्टूबर
पर्वतीय क्षेत्र :
सिंचित दशा (1400 मीटर तक)
नर्सरी – जनवरी/फरवरी , मई जनू
रोपाई – मार्च अप्रैल , जून-जुलाई
असिंचित दशा (2000 मीटर तक)
नर्सरी – मार्च/अप्रैल
रोपाई – मई/जून
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बीज की मात्रा
सामान्य किस्में : 500 ग्राम प्रति हैक्टर
संकर किस्में : 200-250 ग्राम प्रति हैक्टर
बीज शोधन
थायरम 2.0-2.5 ग्राम/प्रति कि.ग्रा. बीज से शोधन करें अथवा कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम/कि.ग्राबीज से शाे धत कर बुवाई करें।
दूरी
अधिक बढ़ने वाली किस्मो को 60 से.मी. कतार से कतार तथा 45 से.मी. पौध से पौध तथा कम वृद्धि करने वाली किस्मो को 45*45 से.मी
की दूरी पर रोपाई करें।मेड़ पर लगाने के लिए 75 से.मी. कतार से कतार तथा 30 से.मी. पौध से पौधों की दूरी रखें।
उर्वरक एवं खाद प्रति हैक्टर (20 टन गोबर की सड़ी खाद प्रति हैक्टर)
सामान्य किस्में : सिंचित दशा
नाइट्रोजन : 120 कि.ग्रा./है
फास्फोरस : 80 कि.ग्रा./है
पोटाश : 60 कि.ग्रा./है
संकर किस्में : सिंचित दशा
नाइट्रोजन : 150 कि.ग्रा./है
फास्फोरस : 90 कि.ग्रा./हैपोटाश
पोटाश : 90 कि.ग्रा./है.
यदि 20 टन गोबर की खाद का प्रयोग किया जा रहा हैं। उस दशा में उर्वरक की मात्रा आधी कर दी जाए।
उर्वरक देने की विधि
नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा खेत की अन्तिम जुताई के समय मिलानी चाहिए। गोबर की खाद की सम्पूर्ण मात्रा रोपाई से 15-20 दिन पहले ही मिलानी चाहिए। नत्रजन की शेष मात्रा सिंचित दशा में खरपतवार नियंत्रण के पश्चात् रोपाई के 30-35
दिन बाद देनी चाहिए। असिं चत दशा में नत्रजन का प्रयोग वर्षा के सहारे करना चाहिए तथा इसका प्रयागे दो बार में करना चाहिए ।
सहारा देना
फसल को सहारा देना आवश्यक है। इसके लिए स्थानीय उपलब्ध लकड़ी का प्रयोग किया जा सकता है।
सिंचाई, निराई-गुड़ाई तथा नमी संरक्षण
रोपाई के उपरान्त तुरन्त सिंचाई की आवश्यकता होती है। पर्वतीय क्षेत्र में रोपाई सायं के समय की जानी चाहिए। पौध लगाने के 20-25
दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करनी चाहिए तत्पश्चात् आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। पर्वतीय क्षेत्र में पौधों के तनों पर मिट्टी
चढ़ानी चाहिए। असिंचित दशा में वर्षा के एक-दो सप्ताह पूर्व टमाटर की रोपाई करनी चाहिए। प्रारम्भ में पौधों को लोटे से प्रति दिन या 2-3
दिन के अन्तराल पर पानी देकर जीवित रखा जाता है। वर्षा प्रारम्भ होने पर पौधे स्थापित हो जाते हैं। खेत में जल निकास का उचित प्रबन्ध
करना चाहिए। अप्रैल से जून माह तथा सितम्बर से नवम्बर माह तक दो कतारों के मध्य पलवार बिछानी चाहिए।
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वृद्धि नियामक
2, 4-डी (सोडियम साल्ट-80 प्रतिशत) की 1.25 ग्राम दवा 200 लीटर पानी में घोलकर शीतकाल में रोपाई के 30, 45 व 60 दिन पर तीन
छिड़काव करें।
पलवार सूखी घास अथवा जंगली पौधों की पत्तियॉं हो सकती हैं। असिंचित दशा में पलवार का बिछाना अधिक लाभकारी होता है। यह खरपतवार के नियंत्रण के साथ नमी को भी संरक्षित करती है।
कीट नियंत्रण
फलबेधक : फूल आते समय न्यूवालिरोन 1.5 मिली/ली. अथवा कार्बराइल के 0.2 प्रतिशत घोल के दो छिड़काव 12 दिन के अन्तर पर करें।
छिड़काव 50 प्रतिशत फूल आने पर किया जाना चाहिए।
कटुवा कीट : रोपाई के तुरन्त पश्चात् क्लोरोपाईरीफास के 0.2 प्रतिशत घाले का छिड़काव पौधों तथा भूमि पर करना चाहिए।
व्याधि नियंत्रण
अगेती झुलसा रोग, पछेती झुलसा रोग तथा फल का काला पड़ना :
इनकी रोकथाम हेतु मैनकोजेब के 0.25 प्रतिशत घाले का छिड़काव करें। पछेती झुलसा रागे के नियत्रंण हेतु रिडोमिल या डायथेन जडे -78 के 0.2 प्रतिशत घाले का छिड़काव करें। फल काला होने पर टमाटर के पौधों को सहारा देकर खड़ा रखें तथा पानी का निकास अच्छा रखें इसकी राके थाम हेतु उपरोक्त फफूंदीनाशी में से किसी एक का छिड़काव करे। घोल में 0.2 प्रतिशत स्टीकर का प्रयोग करे। पलवार का प्रयोग जहॉ पानी की उपलब्धता कम हो वहाँ करना चाहिए। बैक्टीरियल विल्ट (जीवाणु उखटा या ग्लानि) की रोकथाम हेतु उचित फसल चक्र अपनाये। स्ट्रैप्टोसाईक्लीन के 0.01 प्रतिशत तथा कापरआक्सीक्लोराइड के 0.3 प्रतिशत घोल की ड्रैचिंग मिलाकर करें। जल निकास का प्रबन्ध करे।
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कटाई एवं उपज
तराई तथा भावर क्षेत्रों में सामान्य किस्मों से 250-300 कु./है. तथा संकर किस्मों से 450-500 कु./है. उत्पादन प्राप्त हो जाता है।
punjab me tomato kab lage gi
टमाटर की फसल साल मे दो बार बीज बुआई करके की जाती है | शरद कालीन फसल के लिए बीज बुआई जुलाई से सितंबर तक तथा बसत कालीन या गरमी की फसल लेने हेतु नवंबर से दिसम्बर तक बीज की बुआई करके नसँरी तैयार कर रोपाई कर फसल ले सकते है किन्तु पहाड़ी भागो मे मार्च से अप्रैल माह मे भी बीज बुआई करके पोध तैयार होने पर रोपाई कर फसल ले सकते है|
Kya abhi bhi tamatar laga sakte hain?Kab tak?raibareliu.Par se..
टमाटर आमतौर पर ग्रीष्म ऋतु में होनेवाली फसल है। इसके लिए गर्म और नर्म मौसम की जरूरत है। टमाटर का पौधा ज्यादा ठंड और उच्च नमी को बर्दाश्त नहीं कर पाता है। ज्यादा रोशनी से इसकी रंजकता, रंग और उत्पादकता प्रभावित होता है। विपरीत मौसम की वजह से इसकी खेती बुरी तरह प्रभावित होती है। बीज के विकास, अंकुरण, फूल आना और फल होने के लिए अलग-अलग मौसम की व्यापक विविधता चाहिए। 10 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान और 38 डिग्री सेंटीग्रेड से ज्यादा तापमान पौधे के विकास को धीमा कर देते हैं।
टमाटर के पौधे का विकास 10 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच होता है लेकिन सबसे अच्छी वृद्धि 21 से 24 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में होता है। 16 डिग्री से नीचे और 27 डिग्री से ऊपर का तापमान को उपयुक्त नहीं माना जाता है। टमाटर का पौधा पाला को बर्दाश्त नहीं कर पाता है और इस फसल को कम से मध्यम स्तर की बारिश की जरूरत होती है। साथ ही ये 21 से 23 डिग्री के मासिक औसत तापमान में अच्छा परिणाम देता है। ज्यादा पानी का दबाव और लंबे वक्त तक सूखापन टमाटर के फल में दरार पैदा कर देता है। अगर फल निकलने के दौरान पौधे पर अच्छी रोशनी पड़ती है तो टमाटर गहरा लाल रंग का हो जाता है।
Gujarat me cheray tamato kab laga ye. Nursery kab laga ye
गुजरात मे चेरी टमाटर लगाने हेतु आप अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से जानकारी ले सकते हैटमाटरकी नई वेराइटी चेरी टमाटर एचएटी 20 कि यह सामान्य अवस्था में 25 दिनों तक सुरक्षित रहेगा। एक एकड़ में 250 से 300 क्विंटल उत्पादन मिलेगा। बाजार में प्रति किलो 80 से 100 रुपए कीमत मिलेगी। इसमें बीमारी की संभावना नगण्य रहेगी। पौधे पांच मीटर तक लंबे हो सकते हैं। टमाटर की इस नई वेराइटी को पूर्वी क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र (आईसीएआर) के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। अग वे
बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, असम आदि राज्यों में इस वेराइटी से अधिक उत्पादन मिलेगा। पॉलीहाउस में इस वेराइटी से 9 माह तक उत्पादन लिया जा सकता है, जबकि खुले खेतों में पांच से छह माह तक उत्पादन मिलेगा। सितंबर-अक्टूबर में लगाने पर 60 दिनों में उत्पादन मिलने लगेगा। टमाटर में मूर्छा रोग की बीमारी अधिक होती है, जबकि यह इससे मुक्त रहेगा। लाइकोपेन अधिक होने से इसका कलर गहरा लाल होता है। काफी छोटा होने के कारण सलाद में इसे काटे उपयोग किया सकता है, ताकि बैक्टीरिया की संभावना नहीं रहती है
चेरी टमाटर एचएटी 20 प्रजाति (वेराईटी) का बीज कहाँ से मिलेगा कृपया जानकारी देने का कष्ट करे धन्यवाद
अपने नजदीकी कृषि विभाग अथवा कृषि विकास केंद्र आदि से सम्पर्क करे उचित रहेगा |
सर क्या यू पी में रैनी सीजन में टमाटर की खेती की जा सकती है क्योंकि बरसात में रोग अधिक लगते हैं और फल भी फटने लगते हैं कृपया मार्गदर्शन करें धन्यवाद ।
हाँ पाँली हाउस मे खेती की जा सकती है
सर मे अभी 2 साल से साग -सब्जी करने लगा हूँ पर मेहनत बहुत लग रही है और किट नियंत्रण करने मे बहुत मसकत करना पड रही हैं ये सफेद मच्छर मरते ही नही है ओर पौधे को बिगाड देते है तो कृपया ऐसी कोई बागवानी बताये जो मे एक बार अपने खेत में लगाऊं और उसमें अच्छी मेहनत करू वह 3-4 साल तक मुझे फल दे सके और अच्छा मुनाफा मिल पाए कृपया ऐसी कोई उन्नत किस्में बताएं धन्यवाद
ऐसी बागवानी कर सकते है पर आपने अपने जिले व प्रदेश का नाम नहीं दिया है उचित होगा कि अपने जिले के कृषि अधिकारी से सम्पर्क करे अथवा पूरी जानकारी भेजे ताकि आपको जानकारी दी जा सके
अवनीश 2 टमाटर की लम्बाई तथा लम्बी डनडीयो के सहारे बरसाती टमाटर के रूप मै लगाया जा सकता है
टमाटर की लंबाई अवश्य दे
हाइब्रिड की स्थिति में दो मीटर बांस के डंडे के सहारे पौधारोपन किया जाता है। वहीं, बड़े रिज एरिया में 90 सेमी चौड़ा और 15 सेमी ऊंचाई रखी जाती है। इस विधि से टमाटर की खेती कर सकते है इससे पौधे लम्बे होगे और फल भी खूब मिलेगा
Sir ye bath sakte h ki Kya me tamatar ki narsari may me deal sakta hu or agar tamatar ki pedawar Jada ho to koi jagah h jha me saply Kar saku please btaye
आधा प्रशन समझ मे नहीं आ रहा है पैदावार ज्यादा होने पर नजदीक की मन्डी के साथ ही माँग के अनुसार मन्डी का चुनाव कर सकते है
pili mitti me kharib season ka tomato ho sakta hai kya ? aur koun si kism ka seed lena hai. from durg chhattisgarh
बलुई दोमट भूमि टमाटर उत्पादन के उचित है ताकि पानी न भरने पाय
पूसा रूबी, पूसा गौरव, पूसा उपहार,
पंत बहार, पंत टमाटर-ंउचय3 बीजो का उपयोग कर सकते है
Sir, Mai Muzaffarpur Bihar se hu kya yaha arka rakshak tomato aur shimla mirch July-August
laga sakte hai.
भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR) द्वरा विकसित किया गया है। जिस की पैदावार आम प्रजाति के पौधों से कही अधिक है। इस प्रजाति के एक पौधे से 19 किलो टमाटर का उत्पादन प्राप्त हुआ है। अगर आपके यहाँ पर इस समय टमाटर की खेती होती है तो आप भी कर सकते है शिमला र्मिच को लगा सकते है पर पानी खेत मे न भरता हो
nice article
Sir mai
छत्तीसगढ़ी बिलासपुर से हूं मैं टमाटर की खेती करना चाहता हूं कब किस माह में टमाटर की रोपाई करूं ताकि मुझे अच्छी फसल अच्छी लाभ मिल सके इसकी जानकारी आप मुझे देंगे तो बड़ी मेहरबानी होगी धन्यवाद
टमाटर आमतौर पर ग्रीष्म ऋतु में होनेवाली फसल है। इसके लिए गर्म और नर्म मौसम की जरूरत है। टमाटर का पौधा ज्यादा ठंड और उच्च नमी को बर्दाश्त नहीं कर पाता है। ज्यादा रोशनी से इसकी रंजकता, रंग और उत्पादकता प्रभावित होता है। विपरीत मौसम की वजह से इसकी खेती बुरी तरह प्रभावित होती है। बीज के विकास, अंकुरण, फूल आना और फल होने के लिए अलग-अलग मौसम की व्यापक विविधता चाहिए। 10 डिग्री सेंटीग्रेड से कम तापमान और 38 डिग्री सेंटीग्रेड से ज्यादा तापमान पौधे के विकास को धीमा कर देते हैं।
टमाटर के पौधे का विकास 10 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच होता है लेकिन सबसे अच्छी वृद्धि 21 से 24 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में होता है। 16 डिग्री से नीचे और 27 डिग्री से ऊपर का तापमान को उपयुक्त नहीं माना जाता है। टमाटर का पौधा पाला को बर्दाश्त नहीं कर पाता है और इस फसल को कम से मध्यम स्तर की बारिश की जरूरत होती है। साथ ही ये 21 से 23 डिग्री के मासिक औसत तापमान में अच्छा परिणाम देता है। ज्यादा पानी का दबाव और लंबे वक्त तक सूखापन टमाटर के फल में दरार पैदा कर देता है। अगर फल निकलने के दौरान पौधे पर अच्छी रोशनी पड़ती है तो टमाटर गहरा लाल रंग का हो जाता है।अतः अपने जिले के मौसम के हिसाब से ही फसल का चुनाव करे
SIR ,M STATE U.P KE DIST-ALIGARH SE BELONG KARTA HU .
SIR, IS TIME P TOMATO KI KON SI KISM KAO LAGANA ACCHA RAHEGA .
JISME KAM SE KAM ROG V BIMARIYA AATI HO.
WAISE M LAST 3 YEARS SE ABHILAS APNE KHETON M LAGA RAHA HU.
JISME KAI ROG ATE H AUR BAHUT PROBLEM HOTI H JISKI WAJAH SE LAHAT BHI JYA AATI H .
TO SIR TOMATO KI KOI ACCHI SI KISM KE BAARE M BATAE KI KRAPA KARE.
DHANYAD
संस्थान ने टमाटर की ये नई किस्म जो विकसित की है, उसके एक पौधे से 19 किलो टमाटर का उत्पादन हुआ है। रिकॉर्ड बनाने वाली टमाटर की इस नई उन्नतशील किस्म का नाम अर्का रक्षक है। भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने परिशोधन खेती के तहत उन्नतशील किस्म के इस पौधे से इतना उपज हासिल किया।
इसके अतिरिक्त लेख पढे
Sir main MANOJ RAWAT uttrakhand ke nainital se hu .meri tamatar k poudhe sukh sahe hai.kuch suggest kare
पौधे के बीमारी के लक्षण व फोटोज भेजे हो सके अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र जोलीकोट से सम्पर्क कर सकते है . (email-id – [email protected])
मेरा नाम राकेश मार्कोले मै chattishgarh से हू सर जी मे अर्क रक्षक 20 फ़रवरी को पौध रोपण करने वाला हूँ मुझे फसल उत्पादन सही मिल पायेगी या नही क्योकि गर्मी बढ्ने के कारण कुछ गलत प्रभाव तो नही होगा कही फुल और फल के समय गर्मी बढ़ जायेगा तो क्या उपाय करु कस्ट करके बताये सर जी
इसकी खेती किसी भी मौसम में की जा सकती है।
जनवरी से अक्टूबर तक हम बीजाई यानी बीज बो सकते हैं।
पौधे नवम्बर तक लगाए जा सकते हैं।
दिसम्बर और जनवरी में ठंड अधिक होता है इसलिए इस माह में बीजाई से बचना चाहिए।
इसका उत्पादन फसल 140 से 150 दिनों में तैयार हो जाता है।
वानस्पतिक नाम तथा उतपनित स्थान बताइए
टमाटर विश्व में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली सब्जी है। इसका पुराना वानस्पतिक नाम लाइकोपोर्सिकान एस्कुलेंटम मिल है। वर्तमान समय में इसे सोलेनम लाइको पोर्सिकान कहते हैं। बहुत से लोग तो ऐसे हैं जो बिना टमाटर के खाना बनाने की कल्पना भी नहीं कर सकते।[2] इसकी उत्पति दक्षिण अमेरिकी ऐन्डीज़ में हुआ। मेक्सिको में इसका भोजन के रूप में प्रयोग आरम्भ हुआ और अमेरिका के स्पेनिस उपनिवेश से होते हुये विश्वभर में फैल गया।
sir main uttarakhand se hun pauri districk se . hamare pahadi chetron main kis parkaar ke sabjiyan adhik maatra main ho sakti hai jisse acha munfa ho sake or logon ka kheti ke parti lagav bana rahe.
वे सभी सब्जी की खेती हो सकती है वहां की जलवायु के अनकूल हो तथा बाजार मे मांग पूरे साल बनी रहती है आप अपने नजदीकी कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क कर अधिक जानकारी ले सकते है