गन्ने की बिजाई का नया तरीका
गन्ने (sugarcane) की बिजाई करने के लिए अद्भुत तकनीक-गन्ना लगाने की गडढा बुवाई विधि भरतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, द्वारा विकसित की गई हैं। दरअसल गन्ना बुवाई के पश्चात प्राप्त गन्ने की फसल में मातृ गन्ने एवं कल्ले दोनों बनते है । मातृ गन्ने बुवाई के 30-35 दिनों के बाद निकलते हैं, जबकि कल्ले मातृ गन्ने निकलने के 45-60 दिनों बाद निकलते है। इस कारण मातृ गन्नों की अपेक्षा कल्ले कमजोर होते है तथा इनकी लंबाई, मोटाई और वजन भी कम होता है । उत्तर भारत में गन्ने में लगभग 33 प्रतिशत अंकुरण हो पाता है, जिससे मातृ गन्नों की संख्या लगभग 33000 हो पाती है, शेष गन्ने कल्लों से बनते है जो अपेक्षाकृत कम वजन के होते है। इसलिये यह आवश्यक है कि प्रति हैक्टेयर अधिक से अधिक मातृ गन्ने प्राप्त करने के लिए प्रति इकाई अधिक से अधिक गन्ने के टुकड़ों को बोया जाए। गोल आकार के गड्ढों में गन्ना बुवाई करने की विधि को गड्ढा बुवाई विधि कहते हैं।
गन्ने की बिजाई करने के लिए अद्भुत तकनीक है ये
इस विधि को कल्ले रहित तकनीक भी कहते हैं।
- इस विधि से गन्ना लगाने के लिए सबसे पहले खेत के चारों तरफ 65 सेमी. जगह छोड़े तथा लंबाई व चौड़ाई में 105 सेमी. की दूरी पर पूरे खेत में रस्सी से पंक्तियों के निशान बना लें।
- इन पंक्तियों के कटान बिंदु पर 75 सेमी. व्यास व 30 सेमी. गहराई वाले 8951 गड्ढे तैयार कर लें।
- अब संस्तुत स्वस्थ गन्ना किस्म के ऊपरी आधे भाग से दो आँख वाले टुकड़े सावधानी पूर्वक काट लें।
- इसके पश्चात 200 ग्राम बावस्टिन का 100 लीटर पानी में घोल बनाकर 10-15 मिनट तक डुबों कर रखें।
- बुवाई पूर्व प्रत्येक गड्ढे में 3 किग्रा. गोबर की खाद 8 ग्राम यूरिया, 20 ग्राम डी.ए.पी., 16 ग्राम पोटाश, और 2 ग्राम जिंक सल्फेट डालकर मिट्टी में अच्छी प्रकार मिलाते है।
- अब प्रत्येक गड्ढे में साइकिल के पहिये में लगे स्पोक की भांति, दो आँख वाले उपचारित गन्ने के 20 टुकड़ों को गड्ढे में विछा दें।
- तत्पश्चात 5 लीटर क्लोरपायरीफास 20 ईसी को 1500-1600 लीटर पानी में घोल कर प्रति हैक्टेयर की दर से गन्ने के टुकड़ों के ऊपर छिड़क दें । इसके अलावा ट्राइकोडर्मा 20 किग्रा. को 200 किग्रा. गोबर की खाद के साथ मिलाकर प्रति हैक्टेयर की दर से टुकड़ों के ऊपर डाल दें।
- प्रत्येक गड्ढे में सिंचाई करने के लिए गड्ढों को एक दूसरे से पतली नाली बनाकर जोड़ दें ।
- अब गड्ढो में रखे गन्ने के टुकड़ो पर 2-3 सेमी. मिट्टी डालकर ढंक दें। यदि मिट्टी में नमी कम हो तो हल्की सिंचाई करें। खेत में उचित ओट आने पर हल्की गुड़ाई करें जिससे टुकड़ो का अंकुरण अच्छा होता हैं।
- चार पत्ती की अवस्था आ जाने पर (बुवाई के 50-55 दिन बाद) प्रत्येक गड्ढे में 5-7 सेमी. मिट्टी भरें और हल्की सिंचाई करें तथा ओट आने पर प्रत्येक गड्ढे में 16 ग्राम यूरिया खााद डालें।
- मिट्टी की नमी तथा मौसम की परिस्थितियों के अनुसार 20-25 दिनों के अन्तराल पर हल्की सिंचाई और आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई भी करते रहें।
- जून के तीसरे सप्ताह में प्रत्येक गड्ढे में 16 ग्राम यूरिया डालें। जून के अंतिम सप्ताह तक प्रत्येक गड्ढे को मिट्टी से पूरी तरह भर दें। मानसून शुरू होने से पूर्व प्रत्येक थाल में मिट्टी चढ़ा दें।
- अगस्त माह के प्रथम पखवाड़े में प्रत्येक गड्ढे के गन्नों को एक साथ नीचे की सूखी पत्तियों से बांध दें।
- सितम्बर माह में दो पंक्तियों के आमने-सामने के गन्ने के थालों को आपस में मिलाकर (केंचीनुमा आकार में )बांधे तथा गन्ने की निचली सूखी पत्तियों को निकाल दें। अच्छी पेड़ी के लिए जमीन की सतह से कटाई करें।
ऐसा करने से उपज में भी बढ़ोत्तरी होती हैं। सामान्य विधि की अपेक्षा इस विधि द्वारा डेढ से दो गुना अधिक उपज प्राप्त होती है। केवल गड्ढों में ही सिंचाई करने के कारण 30-40 प्रतिशत तक सिंचाई जल की बचत ह¨ती है। मातृ गन्नों में शर्करा की मात्रा कल्लों से बने गन्ने की अपेक्षा अधिक होती है । इस विधि से लगाये गये गन्ने से 3-4 पेड़ी फसल आसानी से ली जा सकती हैं।
क्षेत्र विशेष के अनुसार उन्नत किस्म के गन्ने का चयन और बुआई की नवीनतम वैज्ञानिक विधि के अलावा गन्ना फसल की बुआई उपयुक्त समय पर (शरद्कालीन बुआई सर्वश्रेष्ठ ) करें तथा आवश्कतानुसार उर्वरकों एवं सिचाई का प्रयोग करें और पौध सरंक्षण उपाय भी अपनाएँ।
समस्त सस्य कार्य समय पर सम्पन्न करने पर गन्ने से 100 टन प्रति हेक्टेयर उपज लेकर भरपूर मुनाफा कमाने का मूलमन्त्र यही है।
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THANKS
गडढा खोदने की मशीन कहाँ मिलेगी ?
हाँ जी यह मशीन टैक्टर डीलरों के भी मिल सकती है और स्थानीय बाजारों मे भी बनबायी जा सकती है|
इस टाइम गनना किस महीने मे बोना लाभ दायक होगा और एक गडढे से दूसरे गडढे की दूरी कितनी होनी चाहिऐ इसकी पैदावार कितनी होगी जानकारी दे
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