करेले के प्रकार
किस्में -कल्यानपुर सोना, कल्यानपुर वारामासी, प्रिया, पूसा विशेष, कोयम्बटूर लांग, पूसा दोमौसमी, अर्काहरित,पंत करेला
संकर – पूसा, हाइब्रिड, एन.बी.जी.एच.167, आर. एच.आर.वी. जी.एच-1
करेले की नर्सरी तथा रोपाई
तराई एवं भावर : लौकी के समान
पर्वतीय क्षेत्र 1500 मी. : लौकी के समान बीज की मात्राः 5 कि.ग्रा./हैक्टर
रोपाई : 150 ग् 60 से.मी. दूरी पर रोपाई अथवा बुवाई करना चाहिए।
उर्वरक
करेला की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा. फास्फोरस एवं 60 कि.ग्रा. पोटाश का प्रयोग करें। इसके साथ-साथ 20 टन/ है. सड़ी गोबर की खाद का भी प्रयोग करना चाहिए।
सिंचाई, निराई-गुड़ाई, खरपतवार नियंत्रण : सिंचाई-निराई-गुड़ाई लौकी के समान करें।
कीट एवं व्याधि नियंत्रण : लौकी के समान करें।
उपज : करेला का 100-150 कुन्तल/हैक्टर उत्पादन प्राप्त होता हैं।
सर जी क्या यू पी में करेले की खेती रबी सीजन में हो सकती है कृपया समुचित मार्गदर्शन करने का कष्ट करें धन्यवाद ।
करेले के बीज की बुवाई करने के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी होनी चाहिए। खेत समतल तथा उसमें जल निकास व्यवस्था के साथ सिंचाई की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। करेले को गर्मी और वर्षा दोनो मौसम में उगाया जा सकता है। फसल में अच्छी बढवार, फूल व फलन के लिए 25 से 35 डिग्री सें ग्रेड का ताप अच्छा होता है। बीजों के जमाव के लिए 22 से 25 डिग्री सें.ग्रेड का ताप अच्छा होता है।
Sir kya karele ki kheti sardi ke mausam enkar sakte hi
पाँली हाऊस मे हो सकती है