उर्द में लगने वाले कीट की संभावनाए, और उन पर कैसे नियंत्रण स्थापित करे ।
उर्द में लगने वाले कीट
तना मक्खी
सुडिय़ा द्वारा ने को खोखला अथवा सुरगं बनाकर नुकसान पहुॅचाया जाता है। जिसस पौधा पीला पडक़र बाद में सुख जात है। बुवाई के पर्वू बीज का इमिडाक्लाेप्रड का 3 मि.ली. अथवा डायमथ्ऐट 30 ई.सीका 8 मि.ली./कि.ग्रा. की दर से उपचारित कर के बुवाई करें। मानाक्रेटेफेस/डाईमथ्ऐट/मिथाइल डिमटेन 1.0 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से फसल जमाव के एक सप्ताह बाद छिडक़ाव करे।
बिहार रोमिल सूड़ी
सिडयॉ पत्तिया का खाकर नुकसान पहॅूचाती है। य काले भूरे रायेदेंर सुडिय़ा होतें है। प्रौढ कीट पत्तिया पर समहू में अंडे दते है। इसकी राकेथाम के लिए शुरु में पत्तिया पर दिय गय अंडे को नष्ट कर दने चाहिए। इसकी राकेथाम के लिए ट्रायजाफेस 2.0 मि.ली. अथवा लैम्बडासाय हैलाेथ्रन 0.5-1.0 मि.ली./लीटर पानी की दर से घाले बनाकर छिडक़ाव करे।
मत्कुण (वग्स), थ्रिप्स आदि
थ्रिप्स और मत्कुणकीट फूल और फली बनते समय कलिकाओ, पुष्पो और फलियो का रस चुसकर नुकसान पहुॅचात है। थ्रिप्स के नुकसान से फूल गिर जात है। मत्कुणा के प्रकापे से दाने छाटे अथवा अविकसित हाते है। इनकी राकेथाम हेतु मानेक्रेटेफेस/डामथ्ऐट की 1.0-1.5 मिली./ली. पानी की दर से घाले बनाकर फसल के ऊपर फूलआत ही छिडक़ाव करे। मडुंवा, अरहर आदि के साथ सहसफली खते करना भी उपयोगी हाते है।
उर्द मे लगने वाले कीट ऍवं रोगो का नियंत्रण
पीला चित्तवर्ण रोग
रोगी पत्तिया पर गाडे पीले रगं का सनुहरे चकत्त पाय जाते है उग्र अवस्था म सम्पूर्ण र्पत्ती पीली पड जाती है। साथ ही तना एव फलिया भी पीली पड जाती है। यह रागे सफेद मक्खी द्वारा फैलता है। इसक नियत्रंण हेतु कीटनाशी, डाइमिथाऐट 30 इ.र्सी. या मिथाइल-आ-ेडिमटेन 25 इ.र्सी. का 1 लीटर प्रित हक्टर की दर स 500-600 लीटर पानी म मिलाकर 2-3 छिडक़ाव 10-12 दिन क अतंराल पर करे। रागे अवराध् पज्रातिया जसै-ेपतं उद-र्19, पतं उद-र्35, पतं उद-र्31, पतं उद-र्40 तथा नरन्द ्उद-र्1 उगाय। उद र्की बवुइ र्जायद मे करन पर यह रागे कम होता है।
सर्कोस्पोरा धब्बा पर्ण रोग
पत्तिया पर गोलाई लिए हुए काण्य धब्बे बनते है जिनम बीच का भाग हल्का राख के रगं का या हल्का भूरा या सफदे रगं का हा जाता है तथा किनार गहर भूरा रगं के हाते है। फलिया एव तना पर भी लक्षण दिखाई दते है। इसकी राकेथाम क लिए कापर आक्सीक्लारेइड या मकेंजेबे 0.2 प्रतिशत या कार्बेन्डाजिम 0.05 प्रतिशत या प्रापेकेनेजाले 0.1 प्रतिशत का 700-800 लीटर घाले प्रति हैक्टर की दर स छिडक़ाव करे।
उर्द की फसल की कटाई और मड़ाई हमें कब और किस प्रकार करनी चाहिए उसका सही समय क्या है?
जब फसल में फलियाँ पूरी तरह पककर सूख जाये, तभी कटाई करनी चाहिए, कटाई के बाद भी खलिहान में फसल को अच्छी तरह सुखाकर ही मड़ाई करके तथा बीज ऒसाईं करके अलग कर लेना चाहिए ।
उपज
सस्ंतुत सघन पद्वतियॉ अपनाकर 10-15 कुन्तल/हैक्टर पैदावार प्राप्त की जा सकती है।