आम फलों का राजा कहा जाता है। व्यापारिक तौर पर इसकी खेती समुद्र तल से 600 मीटर की ऊचांई तक सफलतापूर्वक की जाती है।
आम बाग की स्थापना
प्रजातियॉं
जल्दी पकने वाली – गौरजीत, बम्बई हरा, बम्बई पीला,पंत सिन्दूरी
मध्य समय में पकने वाली – दशहरी, लगंडा़ , रतालै , लखनऊ सफेदा
देर से पकने वाली – आम्रपाली, मल्लिका, चौसा, तैमूरिया, फजरी
बाग लगाने का समय एवं दूरी :- फरवरी-मार्च व जुलाई से अगस्त। पौध से पौध एवं कतार से कतार 10*10 मीटर। चौसा, लगड़ा एवं फजरी 12*12 मीटर।
गड्ढे का आकार एवं भराई
1*1*1 मीटर (1घनमीटर) आकार का गडढा खोदे। 50 किग्रा. सडी़ गोबर की खाद, 50 ग्राम नत्रजन, 50 ग्राम फास्फोरस, 50 ग्राम पोटाश तत्व एवं गडढे की मिटटी मिश्रण को क्लोरापाइरीफास से शोधित करें। इसके बाद सिंचाई करें तथा पेड़ लगाई।
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आम बाग में की जानी वाली क्रियायें
सितम्बर
प्रथम पक्ष : आम के बाग में शाखा गाठं कीट के नियत्रंण हेतु क्वीनालफास 25% या मोनोक्रोटोफास 36 प्रतिशत दवा की 2 मिलीलीटर मात्रा प्रति लीटर पानी में घाले कर पत्तियों को दोनों सतहों पर छिड़काव करें।
द्वितीय पक्ष : गमोसिस (गादें का निकलना) तथा एन्थ्रैकनोज की रोकथाम के लिए 2.5 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत तथा स्केल कीट की राके थाम के लिए मोनोक्रोटोफास 36 प्रतिशत के 1.5 मिली. दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। बागो की सफाई करें।
अक्टूबर
प्रथम पक्ष : गमोसिस तथा एन्थेक्नाजे रागे के रोकथाम के लिए सितम्बर के द्वितीय पक्ष की भॉति दवा छिड़के। बीमार तथा सूखी शाखाओं को काट दे।
द्वितीय पक्ष : दीमक का प्रकोप रोकने के लिए थालो की सफाई-गुडा़ई करें तथा जरूरत पड़ने पर क्लोरपायरीफास का प्रयोग करें।
नवम्बर
प्रथम एवं द्वितीय पक्ष : फलदार वृक्षो में पूरे माह सिंचाई न करे। बाग की सफाई तथा जुताई करें। गुच्छ व्याधि की रोकथाम के लिए एन.ए.ए./ 200 पी.पी.एम. का छिड़काव करें।
दिसम्बर
प्रथम पक्ष : थालो की सफाई करे। पेड़ो के मुख्य तनां के चारो तरफ 45 सेमी. चौड़ी 400 गेज वाली पालीथीन की पट्टी बांधे। पट्टी के दोनों किनारां पर ग्रीस का लेप करें। प्रति पेड़ प्रतिवर्ष आयु के लिए 150 ग्राम फास्फारे स तथा 75 ग्राम पोटाश तत्व दे। इन मात्राओं को 10 वर्ष की आयु तक बढा़ते रहें। 10 वर्ष से अधिक आयु के पेड़ो मे 750 ग्राम पोटाश एवं 1.5 कि.ग्रा. फास्फोरस तत्व प्रति पेड़ की दर से तने से एक मीटर छोड़कर थालो में मिलाकर गुड़ाई करें।
द्वितीय पक्ष : यदि मिलीबग (कढी़ कीट) तने पर दिखायी दे तो क्लारेपाइरीफास 5.1 चूर्ण का प्रत्यके पेड़ के तने एवं उसके पास की मिट्टी पर डस्टर द्वारा बुरकें अथवा इमिडाक्लोरपिड 0.75 मिली/ 1ली. पानी में घाले कर छिड़काव करे। नये बाग में पाला से बचाव के लिए छप्पर का प्रबन्ध करें।
जनवरी
प्रथम पक्ष : नये बागों को पाले से बचाये। 15 जनवरी से पहले गुच्छा व्याधि से ग्रसित बौर को तोड़ दे।
द्वितीय पक्ष : पेड़ की आयु के अनुसार 100 ग्राम नत्रजन तत्व प्रति वर्ष प्रति पेड़ के हिसाब से 10 वर्ष तक बढ़ाते रहें। 10 वर्ष के बाद 2.2 किग्रा. यूरिया प्रति पेड़ प्रतिवर्ष आवश्यक होगी। आधी मात्रा यूरिया की दें। भुनगा व मिज कीटों की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास 36ः या फैनीट्रोथ्रियान 50ः के 1.5 मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर बौर आने के तुरन्त बाद छिड़के। इसके अतिरक्ति डेल्टामेथ्रिन 28ः का (0.8 मिली. प्रति लीटर पानी) भी छिड़काव किया जा सकता है।
फरवरी
प्रथम पक्ष : कोई कार्य नहीं।
द्वितीय पक्ष : भुनगा कीट एवं खर्रा रोग की रोकथाम के लिए 1.5 मिली. मोनोक्रोटोफास 36% या 2 ग्राम कार्बाराइल 50% तथा 2 ग्राम सल्फक्स प्रति लीटर पानी में घोलकर छोड़कर करें। पाले से बचाव के लिए सिंचाई करे।
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मार्च
प्रथम पक्ष : फरवरी के द्वितीय पक्ष की भांति दवा का छिड़काव करें। पाले से बचाव के लिए प्रयोग किये छप्पर हटायें।
द्वितीय पक्ष : पुराने बगीचे में कोई कार्य नहीं। नये लगाये पौधों के थालो की सफाई तथा सिंचाई करें।
अप्रैल
प्रथम पक्ष : भुनगा तथा रिकिनेस कीटो के रोकथाम के लिए कार्बाे रल 50 डब्लू पी. 2 ग्राम या क्यूनालफास 1.5 मिली. दवा को प्रति लीटर पानी में घोलकर छोड़कर करें। खरार् रागे एवं एन्थ्रेनोज़ के रोकथाम के लिए 2 ग्राम ब्लाइटाक्स -50 या एक ग्राम बाबिस्टीन तथा फलो को गिरने से रोकने के लिए 4 ग्राम एन. ए.ए. को 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें । सभी रसायन एक साथ मिलाकर छिड़के जा सकते हैं।
द्वितीय पक्ष : फलो के ऊतक क्षय रागे की रोकथाम के लिए 8 ग्राम v प्रति ली. पानी में तथा 4 ग्राम एन.ए.ए. 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। दीमक की राके थाम के लिए क्लारे पायरीफास 6 मिली./10 ली. पानी को पेड़ के चारों तरफ छिड़काव करें। नये बाग के पेड़ो की सिंचाई एवं थालों की सफाई करे। शेष आधी मात्रा यूरिया की डालें हल्की सिंचाई करें।
मई
प्रथम पक्ष : ऊतक क्षय रोग की रोकथाम के लिए 8 ग्राम बोरेक्स प्रति लीटर पानी में घाले कर छिड़काव करें।
द्वितीय पक्ष : सभी बागों की सिंचाई करें।
जून
प्रथम पक्ष : सभी बागों की सिंचाई करें।
द्वितीय पक्ष : दीमक की रोकथाम के लिए अप्रैल के दूसरे पक्ष की भांति दवाओं का प्रयागे करें। शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की तुड़ाई करें। जल निकास का प्रबंध करें।
जुलाई
प्रथम पक्ष : फलों की तुराई करें। फले हुए पेड़ो में 50 ग्राम नत्रजन प्रति पेड़ प्रति वर्ष आयु के अनुसार दे। इस प्रकार अधिकतम 500 ग्राम नत्रजन तत्व 10 वर्ष या इससे अधिक आयु के पेड़ में प्रति पेड़ फल तोड़ने के बाद दे।
द्वितीय पक्ष : फलों की तुराई करें। जल निकास का उचित प्रबंध करें। नये पेड़ लगाने के लिए बाग का रेखांकन, गडढो को खादे ना, भरना तथा पौधां का रोपण करें।
अगस्त
प्रथम पक्ष : आम के शाखा गॉठं कीट के नियत्रंण के लिए क्वीनालफास 25% या मोनोक्रोटोफॉस 36% के 2 मिली. दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर पत्तियों के दोनों तरफ छिड़काव करें।
द्वितीय पक्ष : नये बागों के लिए रेखांकन , गड्ढा़ की खुदाई , भराई , सिचाई एवं पौधों को रापे ण किया जाना चाहिए। उपरोक्त छिड़काव दोबारा करें।
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आम के पुराने बागों का जीर्णोद्वार
पुराने (45-50 वर्श की आयु के पेड़), घने एवं आर्थिक दृष्टि से अनुपयोगी वृक्षों की सभी अवांछित शाखाओं को पहले चिन्हित कर लेते हैं फिर दिसम्बर माह में चिन्हित शाखाओं को भूमि सतह से लगभग 2.5-3.0 मीटर की ऊँचाई पर आरी से कटाई करते हैं। पर्णीय क्षेत्र के विकास के लिए पेड़ पर मात्र 3-4 कृन्तित शाखाए ही रखते हैं। कृन्तन के तुरन्त बाद 1 किग्रा. फफॅुदी नाशक दवा (कॉपर आक्सीक्लोराइड), 250 ग्राम अरण्डी का तेल एवं उचित मात्रा में पानी मिलाकर तैयार किया गया लेप शाखाओं के कटे भाग पर लगाते हैं। ताजे गाय के गोबर का लेप भी प्रभावी पाया गया है। कटाई के बाद वृक्षों में 2.5 किग्रा. यूरिया, 3 किग्रा. सिंगल सूपर फास्फेट एवं 1.5 किग्रा. म्यूरेट आफ पोटाश प्रति वृक्ष की दर से थाले में प्रयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त जुलाई के प्रथम सप्ताह में 120 किग्रा. सड़ी गोबर की खाद प्रति वृक्ष डालना लाभदायक होता है।कटाई-छटाई के उपरान्त वृक्षों की सघन एवं सामयिक देखभाल करने से कृन्तित शाखाओं पर सृजित कल्ले की छंटाई करें व पेड़ पर छांटे गये कल्लों को ही बढ़ने दें। 2-3 वर्ष उपरान्त कल्ले पुष्पन एवं फलन में आने लगते हैं।
Aam ki kethi Rajasthan me bi ki ja Sakti h kya or kam Pani me bi
हाँजी पौधे लगाए जा.सकते है छोटे पौधे को पानी की आवश्यकता होती है लगभग पांच साल के बाद पेड पानी की आवश्यकता को अपने आप पूरी कर लेता है पर यदि पानी मिलेगा तो बडवार अच्छी होगी उदयपुर के कृषि विशवविद्यालय से भी अधिक जानकारी ले सकते है
Amrapali paudhe lagate samay paudho ke bich ki duri kitni honi chahiye.
Azamgarh Uttar Pradesh.
आम की संकर किस्म के पौधे शीघ्र ही फल देना शरू कर देते है और इनका फैलाव (canopy)भी कम होता है इस कारण इन्हें सघन बागवानी में भी लगाया जा सकता है संकर किस्मो में नियमित फल आते है जबकि देश में उगाई जाने वाली पुरानी किस्मो में तीसरी साल फल आते है | आम्रपाली मे पौधे से पौधे की दूरी 2.5 से3 मीटर से ज्यादा नहीं रखनी चाहिए
उत्तर बिहार मे तोतापरी, अल्फांसो, पूसा अरूणिमा, केसर, पूसा लालिमा, पूसा प्रतिभा, पूसा श्रेष्ठ, पूसा सूर्या,पूसापिताम्बर, रत्ना,
अर्का पुनीत, अर्का अनमोल जैसे हाइब्रिड किस्म के आम की खेती की जा सकती है?
बिहार मे किस जिले मे बाग लगाना चाहते है स्पष्ट करे ताकि जानकारी प्रदान की जा सके |
good idiea
maine langra aur chosa aam 40*40 feet ki duri pr lagvaya hai kya re duri sahi hai. dushari ke tree ki duri kitni hini chiye.
लेख पढे ताकि पूरी जानकारी आपको मिल सके|
आम का बगीचा लगाने के लिए कितने वर्ष का पौधा लेना चाहिए ?
पोधा दो साल से बढा नहीं होना चाहिए ,यदि सम्भव हो तो एक साल का स्वस्थ पौधा मिले तो अच्छा रहेगा
unnao se hu aam ke nye paudhe lagna h salah de
इससे सम्बंधित लेख पढे या नजदीक कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क करे|
हमे आम का पोधा चाहिये कहा से मिलेगी अच्छा भी और सस्ता भी हम झारखंड से पलामू जिला का रहेने वाला हु कृपया सुझाव दे
आप अपने नजदीकी विश्वास की नर्सरी से ही पौधे तो उचित होगा|
Mere ghr pr aam ka podha lga hua h lgbg 3 mhine ka ho gya h me iski kis prkar dekhbal kru ki ye bda ho jaye
पौधा धीरे धीरे बढेगा पौधे मे देसी गोबर की खाद एवं सन्तुलित खाद लगाए
सर बाँस की खेती करना चाहते है पानी के कमी नही है कृपया चाइनीस ओर अन्ये के बारे में बताएं कब लगा सकते है और क्या क्या सावधानी बरतनी होती है
अपने कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से जानकारी ले सकते है |
नमस्कार,
आम का पेड़ कैसे लगाए? सही तरीका क्या है? बीज से लगाए या कलम से? इस दोनों में फर्क क्या पड़ता है?
और कोई अधिक जानकारी हो तो वो भी बताए.
धन्यवाद!
आम के पौधे का चुनाव हमेशा अच्छी विश्वास बाली नर्सरी से करे साथ ही साथ कलम लगे पौधे ही लगायें क्योंकि इसमे एक अच्छे गुण वाले किस्म के पौधे से कलम तैयार की जाती है जबकि बीजू पौधे मे हमेशा अपने ही गुण होते है जबकि कलम लगे पौधे मे दो पौधे के गुणों का समावेश होता है अधिक जानकारी हेतु लेख पढे