अप्रैल माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाली फसले
गेहूॅं एवं जौ इन फसलों के पकने पर समय से कटाई करना सुनिश्चित करें ताकि अधिक सूखने पर कटाई के समय दाना झ़ड़ने से होने वाले नुकसान से बचा जा सके।
चना एवं मटर दाना पकने की अवस्था में फसलों की समय से कटाई कर लें । अप्रैल के प्रथम पखवाड़े में देर से बोये गये चने की फलियों में दाना पड़ रहा होगा, अगर इस समय फलीछेदक सूडी हानि पहुंचाती है तो इसके नियंत्रण के लिये मोनोक्रोटोफास 36 ई.सी. की 750मि.ली. दवा को 600-800 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हैक्टर की दर से छिड़काव करें । खेत में अंगमारी ग्रस्त पौधों को जलाकर नष्ट कर दें ।
उर्द एवं मूंग ग्रीष्म कालीन उर्द व मूंग में बुवाई के 25-30 दिन बाद सिंचाई करें । पीला चित्त वर्ण (मौजेक) रोग, थ्रिप्स एवं एफिड कीट से बचाव के लिये फास्फोमिडान 85 ई.सी. 250 मि.ली. या मिथाइल ओ-डिमेटान 25 प्रतिशत 1.0 लीटर प्रति हैक्टर की दर से आवश्यक पानीमें मिलाकर छिड़काव करें । यह छिड़काव 10-15 दिन के अन्तराल पर आवश्यकतानुसार पुनः करना चाहिए। पत्र दाग रोग की रोकथाम के लिये कार्बेन्डाजिम दवा की 500 ग्राम मात्रा को आवश्यकतानुसार पानी में मिलाकर छिड़काव करें । वैशाखी मूॅंग की बुवाई इस माह के मध्य तकअवश्य कर दें ।
सूरजमुखी फूल निकलते समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है। सामान्यतः 10-15 दिन के अन्तर पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई के बाद एक निराई-गुड़ाई करना आवश्यक है। यूरिया की टापड्रेसिंग के बाद दूसरी गुड़ाई के समय 10-15 से.मी. मिट्टीचढ़ा देनी चाहिए।
राई राई की कटाई मड़ाई यदि पूरी नहीं हुई है तो तुरन्त कर लें । अच्छी तरह सुखाकर भण्डारण करें ।
गन्ना फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें । प्रत्येक सिंचाई के बाद निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। नौलग गन्ना में गन्ने का जमाव पूर्ण होने पर लगभग 65-85 किग्रा. यूरिया तथा पेड़ी में 110-125 किग्रा. यूरिया टापड्रेसिंग के रूप में प्रयोग करें ।
बरसीम, रिजका बरसीम का शुद्ध बीज तैयार करने के लिये फसल से अवांछित पौधों को निकाल दें । दोनों फसलों में आवश्यकतानुसार पानी लगायें तथा बरसीम की कटाई करें ।
ज्वार, बाजरा, लोबिया तथा संकर हाथी घास चारे के लिये ज्वार की अप्रैल के द्वितीय सप्ताह तथा बाजरे व लोबिया की अप्रैल के अन्त तक बुवाई कर लें । संकर हाथी घास की बुवाई नमी हो तो करे। फसलों की आवश्यकतानुसार सिंचाई करें ।
चारे की मक्का फरवरी के द्वितीय पखवाड़े में बोई गई फसल में 30 किग्रा. नत्रजन प्रति हैक्टर की दर से टापड्रेसिंग की जाये।
अप्रैल माह में पर्वतीय क्षेत्र होने में वाली फसले
गेहूॅं, जौ घाटियों में बोए गए गेहूॅं की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें । ऊपरी क्षेत्रों में इस समय वर्षा हो तो, जहाँ पर आवश्यक हो यूरिया खाद का पर्णीय छिड़काव करने से पैदावार अच्छी हो जायेगी। जिन क्षेत्रों में फसल पक रही हो, वहाँ काटने की तैयारी कर लें ।
धान यह समय चेतकी धान की बुवाई करने का है। इसके लिये धान की वी.एल.धान 207, वी.एल.धान 208, वी.एल. धान 209 नामक प्रजातियों का प्रयोग करें। चेतकी धान की खेती के लिये 2.0 कि.ग्रा. बीज प्रति नाली की दर से प्रयोग करें । बीज उपचार के लिये 3.0 ग्रामथाइरम अथवा 2.0 ग्राम कार्बेन्डाजिम का प्रयोग प्रति किलो बीज की दर से करे। यदि धान की बुवाई 20 से.मी. की दूरी पर कतारों में की जाये तो छिड़क कर बोए गये धान की तुलना में अधिक उपज प्राप्त की जा
सकती है। चेतकी धान की बुवाई अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक कर लें । अधिक उपज प्राप्त करने के लिये उर्वरक के रूप में यूरिया 1.74 से 2.1 किलोग्राम, सिंगिल सुपर फास्फेट 3.75 किलोग्राम एवं म्यूरेट आफ पोटाश 0.66 किलोग्राम प्रति नाली की दर से प्रयोग करें ।
चना, मटर, मसूर, सरसों इन फसलों की आवश्यकतानुसार फसल पकने पर कटाई करें । यदि
विलम्ब से बोए गये चना की फलियों में फलीछेदक हानि पहुॅंचाता है तो इसके नियंत्रण के लिये मोनोक्रोटोफास 36 ई.सी. की 15 मिली. दवा को 16-20 लीटर पानी में घोलकर प्रति नाली की दर से छिड़काव करें ।
झंगोरा (सावा) परंपरागत ढंग से इसकी बुवाई साधारणतया मार्च/अप्रैल में की जाती है। इसकी उन्नतशील प्रजातियां पी.आर.जे.1, वी.एल. मादिरा 2077, एवं वी. एल. मादिरा 29 हैं। बुवाई के लिये 160-200 ग्राम प्रति नाली बीज उपयुक्त है। बुवाई छिटकंवा विधि के बजाय उथले कूड़ों में करे। कूंड से कूंड की दूरी 30 से.मी. रखें । बीजोपचार 3.0 ग्राम थाइरम अथवा 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज की दर से करें । उर्वरकों के रूप में 1.74 किलोग्राम यूरिया प्रति नाली प्रयोग करें ।
अप्रैल माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाली सब्जिया
टमाटर फसल में आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई व सिंचाई करें । फल छेदक नामक कीट के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत सेविन नामक दवा का घोल बनाकर एक साथ छिड़काव करें । तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें ।
बैंगन फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई करें । 50 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल में डालें । यूरिया डालते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि यूरिया पत्तियों पर न पड़ने पाये तथा जमीन में इस समय पर्याप्त नमी होनी चाहिये।
मटर जो कुछ फलियां हो, उनको तोड़कर बाजार भेजें । बीज वाली फसल की कटाई कर सुखायें, बीज निकाले, साफ करें व पूर्णतः सुखाकर बीज का नमूना बीज परीक्षण प्रयोगशाला को भेजें ।
फूलगोभी:- गोभी का बीज तैयार हो गया होगा – कटाई करें, खलियान पर सुखायें व बीज निकाले। बीज को अच्छी तरह सुखाकर साफ करें तथा उसका नमूना बीज परीक्षण प्रयोगशाला को भेजें ।
मूली,गाजर इनके बीज तैयार हो गयें होगें – कटाई करें, खलियान पर सुखायें व बीज निकालें । बीज की सफाई करें, सुखायें व उसका नमूना बीज परीक्षण प्रयोगशाला को भेजें ।
प्याज फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । इस समय कुछ कीट तथा बीमारियों का भी आक्रमण हो सकता है। अतः 0.2 प्रतिशत इन्डोफिल-45 तथा 0.15 प्रतिशत मैटासिस्टाक का घोल बनाकर एक छिड़काव अवश्य करें ।
लहसुन पालक, मेथी, धनियां यदि अभी तक खुदाई नहीं की गई है तो खुदाई करें । तीन दिन तक खेत में ही रहने दें । बाद में छाया में सुखाने की व्यवस्था करें तथा भंडारण करें । यदि बीज वाली फसलें तैयार हैं, कटाई करें, खलियान पर सुखायें तथा बीज निकाले। बीज को साफ कर अच्छी तरह सुखाये व बीज का नमूना परीक्षण प्रयोगशाला को भेजें ।
भिन्डी, लोबिया, राजमा तैयार फलियों को तोड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें । बाजार भेजने से पूर्व छटाई अवश्य करें । यदि फसलें बीज वाली हैं तो तैयार फलियों को तोड़कर सुखायें व बीज निकालें।
मिर्च, शिमला मिर्च फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें । 50 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल में डालें । यूरिया पत्तियों पर नहीं पड़ना चाहिये और जमीन में उस समय पर्याप्त नमी होनी चाहिये।
खीरावर्गीय फसले तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें । फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । चूर्णी फफूंदी नामक बीमारी से बचाव के लिये 0.06 प्रतिशत कैराथेन नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें ।
अदरक, हल्दी, अरबी मार्च माह में बोई गई फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें यदि अभी तक बोआई नहीं की गई है तो शीघ्र ही बोआई करें ।
अप्रैल माह में पर्वतीय क्षेत्र में होने वाली सब्जिया
आलू फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । झुलसा नामक बीमारी के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत इन्डोफिल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें । फसल में 50 किलोग्राम यूरिया डालें । ऊंचे क्षेत्रों में बोआई का उचित समय है, बोआई करें ।
टमाटर फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । घाटी में फसल तैयार हो रही होगी। फलों को तोड़कर बाजार भेजें । झुलसा नामक बीमारी के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत इन्डोफिल-45 नामक दवा का घोल बनाकर छिड़काव करें । ऊंचाई वाले क्षेत्रों मेंरोपाई करें ।
बैंगन फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । घाटियों में फल तैयार हो रहे होगें । फलों की तुड़ाई करें व बाजार भेजें । ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रोपाई करें ।
मिर्च फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रोपाई का सही समय है। रोपाई करें ।
शिमला मिर्च फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । फलों को तोड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था करे। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रोपाई की जा सकती है।
फरासबीन फलियों की तुड़ाई कर बाजार भेजने की व्यवस्था करे। बाजार भेजने से पूर्व फलियों की छंटाई करें । ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बोआई करें ।
भिन्डी,लोबिया घाटियों में फसल तैयार हो रही होगी। फलियों की तुड़ाई करें व बाजार भेजने की व्यवस्था करें । ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बोआई का उचित समय है। शीघ्र ही बोआई करें ।
खीरावर्गीय सब्जियां घाटियों में फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बोआई का उचित समय है। शीघ्र ही बोआई करें ।
पालक, धनिया, मैथी घाटियों में फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । तैयार फसलों की कटाई करें व छोटे – छोटे बन्डल बांधकर बाजार भेजने की व्यवस्था करें ।
मूली मध्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बोआई करें । घाटियों में तैयार जड़ों को उखाड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था करे व आवश्यकतानुसार निराई, गुड़ाई व सिंचाई करें ।
फूल गोभी, पात गोभी,गांठ गोभी घाटियों में लगी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । मध्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रोपाई करें तथा ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिये पौधशाला में बीज की बोआई करें ।
अदरक, हल्दी जो फसलें पहले बोई जा चुकी है उनमें आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । ऊंचे व मध्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बोआई करने की व्यवस्था करें ।
बंडा पूर्व में बोई गई फसल में आवश्यकतानुसार निराइर्, गुड़ाई व सिंचाई करें । ऊंचे एवं मध्य ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बोआई की व्यवस्था करें ।
अप्रैल माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाले फल
आम बाग की सिंचाई करें । श्यामवर्ण रोग की रोकथाम के लिए ब्लाइटाक्स-50 (0.25 प्रतिशत) का छिड़काव करें । आन्तरिक ऊतकक्षय रोग की रोकथाम के लिए बोरेक्स (0.8 प्रतिशत) का छिड़काव करें । भुनगा कीट के लिए सेविन (0.2 प्रतिशत) और छोटी पत्ती रोग की रोकथाम के लिए जिंक सल्फेट (0.5 प्रतिशत) का छिड़काव करें । बोरेक्स को पानी में घोलें।
अमरूद पेड़ों की कटाई-छंटाई का कार्य करें ।
अंगूर थ्रिप्स कीट की रोकथाम के लिए मैलाथियान (0.2 प्रतिशत) और चूर्णिल आसिता रोग हेतु कैराथेन (0.06 प्रतिशत) का छिड़काव करें । बाग में 15 दिन के अंतर पर दो सिंचाई करें ।
पपीता फलों को तोड़कर भेजें पौधशाला में बीजों की बोआई करें ।
बेर चोटी कलम के लिए पेड़ों को 1 मीटर ऊंचाई से काट दें । फलदार वृक्षों की फसल तोड़ने के बाद कटाई-छंटाई करें ।
लीची बाग की 15 दिन के अंतर से सिंचाई करें । छोटी पत्ती रोग की रोकथाम हेतु जिंक सल्फेट (0.5 प्रतिशत) का छिड़काव करें ।
लोकाट बाग में 15 दिन के अंतर पर दो सिंचाई करें । पके फलों की तुड़ाई करें । पौधशाला में बीजों की बुआई करें ।
आंवला बाग में 15 दिन के अंतर पर दो सिंचाई करें । पके फलों की तुड़ाई करें । पौधशाला में बीजों की बुआई करें।
कटहल पेड़ों पर बोरेक्स (0.8 प्रतिशत) का छिड़काव करें। बाग में 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें ।
फालसा बाग की सफाई करके एक सिंचाई करें । पके फलों को तोड़कर बाजार भेजें ।
नाशपाती, आडू, आलूबुखारा और बादाम बाग की सिंचाई करें । फलों की छंटाई करें । बाग की चिड़ियों से रक्षा करें । बाग में जिंक सल्फेट (0.5 प्रतिशत) और बोरेक्स का छिड़काव करें |
अप्रैल माह मेंपर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले फल
सेब और नाशपाती पौधशाला में जमे हुए नए पौधों की सिंचाई करें । बाग में जिंक सल्फेट व बोरेक्स का छिड़काव करें । सेन्जोस शल्क की रोकथाम के लिए मेटासिस्टाक्स (0.2 प्रतिशत) का छिड़काव करें । गीजू कीट की रोकथाम के लिए मोनोक्रोटोफास (0.1 प्रतिशत) काछिड़काव करें । झुलसा रोग की रोकथाम के लिए ब्लाइटाक्स-50 (0.25 प्रतिशत) का छिड़काव करें । अधिक फले पेड़ों में फलों की छंटाई 25 प्रति फल के हिसाब से करें ।
आडू,खुबानी, आलूबुखारा, बादाम जिंक सल्फेट और बोरेक्स का छिड़काव करें । बाग की चिड़ियों से रक्षा करें ।
आम कैराथेन (0.06 प्रतिशत) का छिड़काव चूर्णिल आसिता की रोकथाम हेतु करें । भुनगा कीट की रोकथाम हेतु सेविन (0.2 प्रतिशत) का छिड़काव करें ।
अमरूद फसल नियंत्रण हेतु कटाई-छंटाई का कार्य करें ।
नीबूवर्गीय फल बाग की कटाई-छंटाई का कार्य पूर्ण करें ।
आंवला पेड़ पर ब्लाइटाक्स-50 (0.25 प्रतिशत) का छिड़काव करें । थालों को साफ रखें ।
अप्रैल माह में होने वाले पुष्प
गुलाब में आवश्यकतानुसार क्यारियों की गुड़ाई, सिंचाई तथा बेकार फुनगियों की तुड़ाई।दशिमिक रोज में फूलों की तुड़ाई एवं प्रोसेसिंग हेतु शीघ्र निपटान। ग्लैडियोलस के स्पाइक काटने के 40 दिन बाद घनकन्दों की खुदाई छाये में सुखाना, सफाई, ग्रेडिंग के बाद 5 प्रतिशत धूलतथा 0.2 प्रतिशत मैकोजेब पाउडर से शुष्क उपचारित कर उसी दिन शीतगृह में भण्डारण। इसमें देर न करें अन्यथा कन्द सड़ जायेंगे ।
रजनीगन्धा में एक सप्ताह के अन्दर पर सिंचाई तथा निराई-गुड़ाई ।
मेंथा:- में 10-12 दिन के अन्तर पर सिंचाई तथा तेल निकालने हेतु पहली फसल की कटाई।
फल सब्जी संरक्षण
संतरा तथा नींबू के रस से विभिन्न पेय पदार्थ बनाये जाते है। टमाटर का परिरक्षण, स्ट्राबेरी से जैम तथा कार्डियल बनाया जा सकता है। लोकाट का जैम, स्क्वैश, जैली तथा डिब्बा बन्दी की जा सकती है। शहतूत का स्क्वैश बनाया जा सकता है तथा पपीते के उत्पाद बना सकते है।
पशुपालन
गाय–भैंस:- पशुओं में मुँहपका-खुरपका रोग के बचाव हेतु टीकाकरण करवायें । बाह्य परजीवी नाशक दवा का पशुओं पर तथा पशुशाला में छिड़काव कर सफाई बनाए रखें ।
भेड़ व बकरी:- संक्रामक गर्भपात से बचने हेतु टीकाकरण करें। चेचक और एंटेरोटोक्सीमिया रोग के बचाव हेतु पशु चिकित्सक के परामर्श अनुसार टीकाकरण करायें ।
कुक्कुट:- आहार में मौसम के अनुसार परिर्वतन करें। मुर्गियों को संतुलित आहार खिलाएं।
मत्स्य:- मछली पालन के तालाब बनाने के लिये स्थान का चुनाव उपयुक्त करें। पुराने तालाबों का सुधार/मरम्मत करें । नये तालाबों का निर्माण करें ।
मौन:- शहद निष्कासन का कार्य करें । नये छत्ताधार देकर छत्ते बनवाएं। परिवार विभाजन का कार्य लिया जा सकता है। मौन गृह की सफाई करें ।