मिर्च की नर्सरी लगाने की उन्नत तकनीक
पौधशाला (नर्सरी) क्या है? पहले यह समझना है.
पौधशाला या रोपणी अथवा नर्सरी एक ऐसा स्थान हैं जहां पर बीज अथवा पौधे के अन्य भागों से नये पौधों को तैयार करने के लिये उचित प्रबंध किया जाता है. पौधशाला का क्षेत्र सीमित होने के कारण देखभाल करना आसान एवं सस्ता होता है.
1.टमाटर व मिर्च की खेती एक ही खेत मे या नज़दीकी खेत मे न करें क्योंकि इनमे कीड़े व रोग एक जैसी होती हैं। सहफसलों से एंथ्राक्नोज़ और बेक्टीरियल झुलसा रोग फैल सकते हैं।
2. अधिक रोगाणु मिट्टी की ऊपरी सतह पर होते हैं। कुछ किसान ऊपरी सतह(30cm) निकाल देते हैं व फिर निचली सतह इस्तेमाल करते है जिससे गलन नहीं होता।
3. प्याज़ व धनिया के साथ मिश्रित खेती से अधिक आय मिलती है व खरपतवार की संख्या कम करने मे भी सहायता मिलती है।
4. यदि मिर्च के साथ प्याज़, लहसुन और गेंदे की मिश्रित खेती की जाये तो सूत्रकृमि की रोकथाम मे सहयोग मिलता है।
किस्में
जवाहर मिर्च-218, पूसा सदाबहार, एन.पी.-46, पूसा ज्वाला, जेसीए158, जी-7, जी-3, अर्का लोहित, पूसा सदाबहार, भाग्यलक्ष्मी, कल्यानपुर टाईप 1-2, एक्स 235, एम.ओ.यू.-1, एच.सी.-28, पंत सी-1, के-2, एच.सी.-44, अर्कालोहित के-1.
निजि कंपनियो द्वारा विकसित किस्में
सिजेंटा इंडिया- रोशनी, हॉटलाइन, पीकाडोर, अभिरेखा, एचपीएच2424
सेमिनिस वेजीटेबल्स- ज्वालामुखी, दिल्ली हॉट, रविंदू, सितारा, रेडहाट, मेगाहाट, एचपीएच 4884, हॉट पेपर
नुनहेम्स सीड्स- क्रान्ति रुद्रा, सोल्जर, उजाला 2680, न्यू वरदान, अभिरेखा, वीरू, सिंदूर
नामधारी सीड्स-एनएस-686, 222, 1701, 408, 407, 250, 208, प्रगति
अंकुर सीड्स – आचारी, गुलजार, एआरसीएच-226, 32, 313, 162, 547, 531.
बेजो शीतल- अनमोल, अर्जुन, सावित्री, अग्रीमा-269, गरिमा-378, सुपर अर्जुन, झनकार, जलवा, दिशा-453.
जेके एग्री जेनेटिक्स- जेकेएचपीएच-301, जेके दिव्या(178), जेके-1020.
आईआईवीआर द्वारा विकसित की गई किस्में
हाइब्रिड काशी अर्ली
पौधशाला-भूमि का चुनाव
नर्सरी के लिए उपजाऊ, अच्छी जलधारण क्षमता व जलनिकासवाली, जहा पेड़ की छाया रहित, खरपतवार मुक्त भूमि का चयन करना चाहिए।
भूमि की तैयारी
• नर्सरी के लिए चयन की हुई भूमि मे गर्मियों में गहरी जुताई करें।
• मई महीने में सिंचाई के बाद दो तीन जुताई करें।
• भूमि पर गेहूं का भूसा या घास का 15 सेंटीमीटर ऊंचा थर बनाएँ और इसे हवा की विरुद्ध दिशा में जलाएं। जिससे फंफूद, कीट, कृमि और खरपतवार के बीज नष्ट हो जाते है।
• सिंचाई के बाद क्यारी की माप के अनुसार भूमि को 75 से 100 माइक्रोन वाले प्लास्टिक से ढकें। उनकी किनारियों को मिट्टी से दबा दें। इससे जमीन में आश्रित फंफूद, कीट, कृमि आदि नष्ट हो जाएँगे।
• इसके बाद जरूरत के अनुसार दो-तीन जुताई कर पाटा चलाकर भूमि को समतल करें।
देशी खाद
15-20 किलो अच्छी सड़ी गोबर की खाद मिलाकर क्यारियो को समतल कर लेना चाहिये।
उठी हुई क्यारियाँ बनाएँ
पौधे की जरूरत और ढलान के अनुसार अधिक पानी से निकास की व्यवस्था कर 5 से 8 मीटर लंबी व 2 से 2.5 मीटर चौड़ी उठी हुई क्यारियाँ बनाएँ। क्यारियाँ बनाते समय मेड़ों पर मिट्टी चढ़ाएँ और उसे पर से सही से दबा दें। क्यारियाँ बनाने के बाद 5 से 10 सेंटीमीटर के अंतर पर कतारें बनाकर बीज बोएं। बुवाई के बाद मध्य में आधे से पोने मीटर के अंतर पर ईटें रखे जिससे खेती कार्य करने में सुविधा रहे।
बीज उपचार
1. बुवाई से पहले बीज का 3 ग्राम थायरम या 1 ग्राम कार्बेन्डाज़िम (बाविस्टीन, सहारा) / किलो बीज की दर से उपचार करें।
2. रसायनिक उपचार के बाद, बीज को 5 ग्राम ट्राईकोडर्मा/ किलो बीज की दर से उपचारित करे। इन्हें छाँव मे रखें व इन्हे बुवाई हेतु उपयोग करें।
बुवाई
खरीफ फसल की बुवाई जून महीने में करें। एक एकड़ के लिए 300 ग्राम बीज की जरूरत होती है। 1 एकड़ में 60000 पौधे (हर जगह दो पौधे के हिसाब से) होने चाहिए। रोपाई हेतु 60 x 60 सेंटीमीटर का अंतर रखे। नर्सरी में बीज की मात्रा अनुमोदित रखे। अगर बीज दर ज्यादा हो तो अंकुरण देर से होता है। पौधे का विकास कम होता है और पौधसड़न ज्यादा। बुवाई से पहले क्यारियों में हल्की सिंचाई दे। फिर खुदाई कर अनुमोदित मात्रा में खाद डालें। पौधे को लाल कीड़ी, दीमक, केचुआ, कृमि व रसचूसक कीट से बचाने हेतु खाद के साथ 300 ग्राम कार्बोफ्यूरान डालकर जमीन में मिला दें। भूमि समतल करने के बाद दँताली से 5 से 10 सेंटीमीटर के अंतर पर 2 से 2.5 सेंटीमीटर गहरी नाली बनाकर उसमें बीज बोएं।
नर्सरी की देखभाल
• नर्सरी में आवश्यकतानुसार फुवारे से पानी देते रहे।
• गर्मियो मे एग्रोनेट का प्रयोग करने से भी भूमि से नमी जल्दी उड जाती है। जिससे कभी कभी दोपहर के बाद एक दिन के अंतर पर पानी छिड़के।
• बारिश के मौसम में अगर पानी के निकास की व्यवस्था करे।
• बीज के अंकुरण के 4 से 5 दिन बाद घास आवरण हटायें। क्यारियों मे से घास – कचरा साफ करे।
• पौध गलन नियंत्रण हेतु क्यारियाँ साफ करने के बाद मेटालेक्सिल एम ज़ेड (रीडोमिल) का @ 2 ग्राम/ 10 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करे।
• पौधे बड़े हों तब बादली वाले मौसम में या लगातार बारिश हो रही हो तो मेटालेक्सिल एम ज़ेड (रीडोमिल) का @ 2 ग्राम / 10 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करे।
• नर्सरी को हमेशा खरपतवारमुक्त रखे।
• अगर सूक्ष्मतत्वो की कमी दिखे तो पानी में घुलनशील सूक्ष्मतत्वो का छिड़काव करे।
अन्य देखभाल
अगर जिंक, लोह या बोरॉन की कमी दिखे तो निवारण हेतु 40 ग्राम फेरस सल्फेट, 20 ग्राम जिंक सल्फेट और 10 ग्राम बोरिक एसिड / बोरेक्स/ 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।
सूक्ष्मतत्वो का घोल बनाने का तरीका
10 लीटर पानी में 250 ग्राम चूना रात में भिगो कर रख दें। दूसरे दिन इस घोल मे से 1 लीटर चूने का पानी तैयार करे। फिर 1 लीटर पानी में 40 ग्राम फेरस सल्फेट, 20 ग्राम जिंक सल्फेट और 10 ग्राम बोरिक एसिड / बोरेक्स को मिक्स कर छान लें। इसमें 1 लीटर चूने का पानी, 8 लीटर सादा पानी मिलाकर 10 लीटर का घोल बनाए। घोल में टीपोल या साबुन का घोल डालकर सुबह जल्दी या शाम को 7 दिन के अंतर पर दो बार छिड़के।
हर भूमि पर खेती
मिर्च की खेती प्राय: सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है जहा उचित जल निकास वाली दोमट मिट्टी, जिसमें कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक हो अच्छी मानी जाती है, किन्तु अम्लीय भूमि के लिए कतई उपयुक्त नहीं, होती।
Mirchi ki kheti March and aprel me ki ja sakti ha kya
sms karke batana sirmera mobail na 8085038104
मिर्च के खेती आप इन माहो मे कर सकते है कोशिश यह करनी होगी कि बरसात मे खेत मे पानी न भरने पाए
मई में मिर्च की नर्सरी डाल सकते हैं
मैदानी और पहाड़ी ,दोनो ही इलाकों में मिर्च बोने के लिए सर्वोतम समय अप्रैल-जून तक का होता है। बडे फलों वाली क़िस्में मैदानी में अगस्त से सितम्बर तक या उससे पूर्व जून-जुलाई में भी बोई जा सकती है। पहाडों में इसे अप्रैल से मई के अन्त तक बोया जा सकता है।
उत्तर भारत में जहां सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हैं, मिर्च का बीज मानसून आने से लगभग 6 सप्ताह पूर्व बोया जता है और मानसून आने के साथ-साथ इसकी पौध खेतों में प्रतिरोपित कर दी जाती है। इसके अलावा दूसरी फ़सल के लिए बुआई जाता नवम्बर-दिसम्बर में की जाती है और फ़सल मार्च से मई तक ली जाती है।
Sir mirch ki kheti ke liye kon sa Mahina Shi h please information de mera no.h 9991045473
कृपया लेख को ध्यान से पढे सभी जानकारी मिलेगी
Sir me Rajasthani se hu. Kya mirch ki may me tayar ki ja skti h
खरीफ की फसल के लिए मई से जून में व गरमी की फसल के लिए फरवरी से मार्च में नर्सरी में बीजों की बोआई करें. सिचाई हेतु अपना साधन होना आवश्यक होगा
Pusa jawala varitiy ki nursery kab banay
मैदानी और पहाड़ी ,दोनो ही इलाकों में मिर्च बोने के लिए सर्वोतम समय अप्रैल-जून तक का होता है। बडे फलों वाली क़िस्में मैदानी में अगस्त से सितम्बर तक या उससे पूर्व जून-जुलाई में भी बोई जा सकती है। पहाडों में इसे अप्रैल से मई के अन्त तक बोया जा सकता है।
उत्तर भारत में जहां सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हैं, मिर्च का बीज मानसून आने से लगभग 6 सप्ताह पूर्व बोया जता है और मानसून आने के साथ-साथ इसकी पौध खेतों में प्रतिरोपित कर दी जाती है। इसके अलावा दूसरी फ़सल के लिए बुआई जाता नवम्बर-दिसम्बर में की जाती है और फ़सल मार्च से मई तक ली जाती है।
Hyveg ki 078 mirch kaisi hai
किसी विशेष कम्पनी के बीज के बारे मे हमारा कुछ कहना उचित नहीं है हमेशा अच्छी कम्पनी का ही बीज खरीद
sir is bij ko ko kis mosam me lga skte h