कैमोमिल या गुलेबबुना की खेती कैसे करें?
साधारण नाम- कैमोमिल, गुलेबबुना।
वानस्पतिक नाम- कैमोमिला rikyutita।
उन्नत किस्म-
वेल्लरी, प्रशांत, सीमैप- सम्मोहक।
उपयोग-
फूल तथा उससे प्राप्त तेल, फूलों का उपयोग चाय, हर्बल , स्नान, सुगंधियों एवं सजावट के लिए तथा इसके तेल का उपयोग साबुन, कास्मेटिक, शैम्पू, क्रीम, फार्मास्युटिकल्स, घरेलू दवाइयां, माउथ वाश, सुगन्ध उपयोग एवं अरोमाथेरेपी में होता है।
प्रमुख रासायनिक घटक- कैमोमिल के तेल में कैमोजुलिन रसायन की मात्रा 17-18 ℅ होती है।
जलवायु-
समशीतोष्ण, शीतोष्ण जलवायु, ऊँची भूमि हेतु उपयुक्त, पाला एवं उच्च आद्रता के प्रति संवेदनशील।
भूमि-
समुचित जल निकास, भुरभुरी, समतल, ढाल वाली भूमि उचित होती है। बलुई दोमट, दोमट भूमि सबसे उपयुक्त है।
प्रवर्धन-
नर्सरी में बीजों को उगाकर पौधों की रोपाई द्वारा प्रति हेक्टेयर 750 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
पौधरोपण एवं भूमि की तैयारी-
अक्टूबर- नवम्बर महीने में नर्सरी द्वारा इसकी पौध तैयार करते हैं तथा नवम्बर के मध्य में 50×30 सेमी के अंतराल पर पौधों का रोपण करना चाहिए। बीजों की सीधी बुवाई भी की जा सकती है परंतु बीज अधिक मात्रा में लगता है।
खाद एवं उर्वरक-
10 से 15 टन सड़ी हुई गोबर की खाद या 5 टन वर्मी कम्पोस्ट पर्याप्त होता है। 80:40:40 किग्रा नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटास प्रति हेक्टेयर की दर से रोपण के समय देनी चाहिए। 20 किग्रा नत्रजन दो बार बराबर मात्रा में देनी चाहिए।
सिंचाई-
पहली सिंचाई रोपण के तुरंत बाद और फिर आवश्यकतानुसार 2-3 सिंचाई करनी चाहिए।
फूलों की तुड़ाई-
फूलों की पहली तुड़ाई रोपण के 65 से 70 दिनों बाद करनी चाहिए और इसके बाद 15 दिन के अंतराल में करनी चाहिए। पांचवी अथवा छठी तुड़ाई इसके बीजों के लिए करना चाहिए।
उपज-
इसके ताजा फूलों का उत्पादन 5000-7000 किग्रा/हे. तथा सूखे फूलों का उत्पादन 1000-1500 किग्रा/हे. तेल की मात्रा 0.80 प्रतिशत, तेल की उपज 7-8 किग्रा/हे.।
आय-व्यय
( फूलों पर आधारित )- व्यय प्रति हे.प्रतिवर्ष 60,000/-रु., आय- प्रति हे. प्रतिवर्ष 1,25,000/-रु., शुद्ध लाभ प्रति हे.प्रति वर्ष 65,000/-रु.
स्रोत- सीमैप
बहुत दिलचस्प रीडिंग
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[source :-https://hindi.news18.com/news/lifestyle/chamomile-may-increase-women-age-890391.html]