अगस्त माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाली फसले
देते ही 15 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन व 500 ग्राम कापर आक्सी-क्लोराइड को आवश्यक पानी में घोलकर प्रति हैक्टर छिड़काव करें। यदि नत्रजन की टापड्रेसिंग बाकी है तो रोक दें तथा खते में पानी खड़ा न रहने दें। प्रारम्भिक अवस्था में यदि खेत में आसै तन 8-10 प्रतिशत मृत गोभ् तना छेद के तथा 10-15 भूरा फुदका की संख्या प्रति पौधा दिखाई दें तो कीटनाशी का प्रयागे करें।
उर्द व मूंग शीघ्र पकने वाली किस्मों की बुआई करें। इसके लिये मूंग की पन्त मूंग -2, पी.डी.एम-54, नरेन्द्र मूंग-1, पन्त मूंग -4,पन्त मूंग-5 एवं उर्द के लिये पंत उर्द-19, पन्त उर्द-35, पन्त उर्द 31, पन्त उर्द-40, नरेन्द्र उर्द-1 बो सकते हैं। यदि मृदा की जांच नहीं कराई गई है तो 10-15 किग्रा नत्रजन तथा 40 किग्रा. फास्फोरस प्रति हैक्टर की दर से
बुआई के समय कूड़ों में डालना चाहिए।
अरहर अधिक वर्षा की संभावना हो तो जल निकास तथा सूखे की स्थिति में सिंचाई की व्यवस्था करें। पत्ती लपेटक कीट नियंत्रण के लिये क्वीनालफास 25 ई.सी. की 1.0 लीटर मात्रा को 600-800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।
सोयाबीन अगर निराई-गुड़ाई नहीं की गई है तो कर दें। बोआई के 45 दिन के अन्दर दो बार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।बाजरा बुआई के 15 दिन बाद विरलीकरण करें तथा निर्राइ करके खरपतवार निकाल दें। जहां पौधों का जमाव न हो पाया हो वहाँ पर पौधों की रोपाई करें। नत्रजन की टॉपड्रेसिंग बुआई के 25-30 के अन्दर करें। सिंचाई व जल निकास का उचित प्रबंध करें फसल का रागे व कीड़ों से बचाव करें।
की दर से छिडक़ाव करें।तुलासिता व पत्ती का झुलसा रोग नियत्रंण के लिये 2.5 ग्राम मैकोजेब 75 डब्ल्यू पी प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करें।
मूँगफली खेत में से खरपतवार निकालने के लिए एक निराई करें। यदि वर्षा न हो और सूखे की स्थिति आ जाये तो सिचांई करं। यदि खेत में दीमक है तो नियत्रंण के लिये 4.0 लीटर प्रति हैक्टर की दर से क्लोरोपायरीफास का प्रयोग करें। टिक्का रोग नियंत्रण के लिये खडी़ फसल पर 2.5 ग्राम मैकोजेब75 डब्ल्यू पी. प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।
अगस्त माह में पर्वतीय क्षेत्र होने में वाली फसले
धान सिंचित धान में बाली निकलने से पूर्व 2.0 किलोग्राम यूरिया प्रति नाली प्रयोग करें ध्यान रहे कि खेत में इस समय पर्याप्त नमी हो। खरपतवार निराई कर निकाल दें । इस माह झोंका रोग की तरफ ध्यान देने की आवश्यकता है। तना छेदक कीट नियत्रंण के लिये क्लोरे पायरीफास 20ई.सी या क्यूनालफास 25 ई.सी. की क्रमशः30 मि.ली. व 40 मिली. प्रति नाली की दर से 16-20 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
मक्का यदि आवश्यक हो तो नरमंजरी निकलते समय 1.5 किग्रा. यूरिया प्रति नाली की दर से टॉपड्रेसिंग करे। ध्यान रहे कि खेत में इस समय पर्याप्त नमी हो। फसल में खरपतवार निराई कर निकाल दे। भूरा पर्ण चित्ती रोग नियंत्रण के लिये मैंकोजेब 40 ग्राम प्रति नाली की दर से 16-20 लीटर पानी में घाले कर छिड़काव करें।
मण्डुवा, झंगोरा, रामदाना, कूटू मण्डुवा की फसल में तना छेदक कीट का प्रकोप होता है।
इसके नियंत्रण के लिये क्लोरपायरीफास 20 ई.सी की 20 मिली.दवा प्रति नाली की दर से 15-20 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। मण्डुवा का झोंका रोग नियत्रंण के लिये धान की तरह ही उपचार करे।
अगस्त माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाली सब्जिया
टमाटर फसल में आवश्यकतानुसार निराई, गुड़ाई, सिंचाई व जल निकास की व्यवस्था करें। झुलसा नामक बीमारी के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत इन्डाेफिल-45 नामक दवा का घाले बनाकर एक छिड़काव करें।
मिर्च आवश्यकतानुसार निराई, गुड़ाई, सिंचाई व जल निकास की उचित व्यवस्था करें।पौधों की वृद्धि अच्छी नहीं है तो 50 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल में डालें कींटो तथा बीमारियों से बचने के लिये 0.2 प्रतिशत इन्डोफिल-45 व 0.15 प्रतिशत मैटासिस्टाक नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव अवश्य करें ।
फूलगोभी आवश्यकतानुसार निराई करें, 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हैक्टेयर की दर से खडी़ फसल में डालें। मध्यकालीन गोभी की फसल की रोपाई करे। खेत की आखिरी जुताई पर 100 किलोग्राम नत्रजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस व 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टर की दर से डालें व 45*45 से मी की दूरी से रोपाई करें।
मूली पुरानी फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंर्चाइ करें। नई फसल की बोअाई करें। कीटों के बचाव के लिये 0.15 प्रतिशत मैटासिस्टाक नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
पालक पूर्व में बोई गई फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। तैयार पत्तियों की कटाई करें व गड्डियां बनाकर बाजार भेजें।
भिन्डी व लाेबिया तैयार फलियों को तोड़कर बाजार भेजे। फलियों की तुडा़ई 48 घंटे के अन्तराल में करें। बीज वाली फसल में पकी हुई फलियों की तुड़ाई करें, सुखाये व बीज निकाले।
ग्वार तैयार फलियों की तुड़ाई कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें। कीटों के बचाव के लिये 0.15 प्रतिशत मैटासिस्टाक्स नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
खीरावर्गीय फसलें फसलों में आवश्यकतनुसार निराई, गुड़ाई, सिंचाई करें। कीटों के आक्रमणों के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत सेविन नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
चौलाई तैयार फलों की कटाई कर बाजार भेजे । भेजने से पूर्व छोटी-छोटी गड्डियां बना लें।
शकरकदं पूर्व में रोपाई फसल में आवश्यकतानुसार निराई, गुड़ाई, सिंचाई करें। कीटों के बचाव के लिये 0.1 प्रतिशत क्वीनालफास नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें। यदि रोपाई अभी तक नहीं की गई है तो शीघ्र ही रोपाई करे।
अदरक, हल्दी, अरबी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। बीमारी से बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत इंडोफिल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें। खड़ी फसल में 50 किलोग्राम यूरिया या प्रति हैक्टेयर की दर से डालें ।
अगस्त माह में पर्वतीय क्षेत्र में होने वाली सब्जिया
बैंगन तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें। फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। फल तथा तना छेदक नामक कीट के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत सेविन नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
मिर्च/शिमला मिर्च आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। बीमारी के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत इन्डाेफिल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
भिंडी, लोबिया आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। नई फसल में 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हैक्टर की दर से खड़ी फसल में डालें ।
खीरावर्गीय फसलें फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें।यदि गोभी फल तैयार हो उनकी तुड़ाई कर बाजार भेजें। नई फसलों में 10-15 ग्राम यूरिया प्रति थाले की दर से डाले।
मूली, गाजर फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें -तैयार जड़ो को बाजार भेजें। बाजार भेजने से पूर्व अच्छी तरह छटाई करें।
फलू गोभी , पात गोभी , गांठगोभी तैयार फूलों की कटाई कर बाजार भेजने की व्यवस्था करे- फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुडाई व सिंचाई करें ।छोटी फसल में 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हैक्टर की दर से खड़ी फसल में डालें।
अदरक, हल्दी तैयार अदरक की खुदाई कर साफ करें व बाजार भेजने की व्यवस्था करें- यदि फसल की वृद्धि अच्छी नहीं हो रही है तो 50 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल में डाले। बीमारी के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत इंडाे फिल -45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
बेडा आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें।तैयार बेडा की खुदाई कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें, बीमारी के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत इन्डोफिल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
अगस्त माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाले फल
आम पछेती किस्मों के फलों को तोड़कर बाजार भेजें। बाग लगाने के लिए पौधों की रोपाई का कार्य करें। पौधशाला में मूलवृंत तैयार करने के लिए गुठलियों की बुआई करें। नए पौधों तैयार करने के लिए 1 वर्ष पूराना मूलवतों पर वीनियर कलम बांधने का कार्य करें। पौधशाला को स्वच्छ रखें। शाखा गाठं कीट की रोकथाम हेतु रोगोर (0.2 प्रतिशत) घोल के दो छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करें।
थालों को साफ रखें।
नीबूवर्गीय कैंकर रोग की रोकथाम हेतु ब्लाइटाक्स-50 (0.25 प्रतिशत ) के घोल का छिड़काव करें । पर्ण संरगी कीट की रोकथाम हेतु रोगोर (0.2 प्रतिशत) के घोल का छिड़काव करें। नए बाग रोपण का कार्य करें ।
अमरूद बरसाती फसल के परिपक्व फलों की तुडा़ई करं।गूटी बाधंनेे का कार्य इस माह पूर्ण करें। बाग में इन्डाेिफल-45(0.2 प्रतिशत )के घोल का छिड़काव करें।
पपीता पौधशाला में बीजों की बुआई करें। तने पर बोर्डो लेप करें। जल निकास की उचित व्यवस्था करें।
बेर पेड़ो के थालों को साफ करें। पत्ती खाने वाले कीट की रोकथाम हेतु क्वीनालफास (0.1 प्रतिशत) घोल का छिड़काव करें।
लोकाट गूटी बांधने का कार्य समाप्त करें। बागों को साफ रखें।
आंवला बाग में बोरेक्स का छिड़काव करें।
अगस्त माह में पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले फल
आम पेड़ो पर ब्लाइटाक्स-50 (0.25 प्रतिशत) के घोल का छिड़काव करें। बाग को स्वच्छ रखें ।
सेब थालों को साफ रखें। फलों को तोड़कर बाजार भेजें। ब्लाइटाक्स-50 का 15 दिन के अंतराल पर दो बार छिड़काव करें।
नाशपाती सेब की भांति कार्य करें।
आडूू फलों को तोडंकर बाजार भेजें। फल विगलन की रोकथाम के लिए ब्लाइटाक्स-50 (0.25 प्रतिशत) के घोल का छिड़काव करें।
आलुबुखारा आडू की भांति कार्य करें ।
खुबानी आडू की भांति कार्य करे।
अगस्त माह में होने वाले पुष्प
गुलाब की स्टाकॅ की क्यारियों में बदलाई। आवश्यक निराई-गुडा़ई। रजनीगन्धा में पोषक तत्वों के मिश्रण का छिड़काव, स्पाइक की कटाई, छंटाई, पैकिंग तथा विपणन।
आम तथा अमरूद के विभिन्न उत्पाद बना सकते हैं । सेब की जेली, जैम , पनीर तथा इसके रस से पेय का साइडर बना सकते हैं । नाशपती का जैम चटनी तथा डिब्बाबन्दी की जा सकती है । आडू का जैम तथा चटनी तथा नींबू के विभिन्न पदार्थ बना सकते हैं ।
पशुपालन
भेंड़़ व बकरी:- यदि टीकाकरण न हुआ हो तो टीकाकरण करायें तथा बाह्य परजीवी नाशक का प्रयोग करें ।अंतः कृमि नाशक का भी प्रयागे करें।
कुक्कुट:- मुर्गियो के पेट केा कृमि रहित करने के लिए पशु चिकित्सक की सलाह लें ।मूर्गी घरों को साफ व हवादार रखें। मुर्गी घरों के चाराों तरफ जल-भराव न होने दें तथा सफाई बनायें रखें।
मत्स्य:- तालाब में 25-50 मिमी आकार के 10000/है. मत्स्य बीज का सचंय करें। गोबर की
खाद के प्रयोग से 15 दिनों के बाद एन.पी.के. खादों का प्रयोग (यूरिया, सिगंलसुपर फास्फटे व पोटाश) करें। एन.पी.के. खादों के प्रयोग के 15 दिनों के बाद 10 से 20 कु/है. गोबर की खाद का प्रयोग करें।
मौन:- अतिरिक्त फ्रेम को उचित भंडारण करें। कृत्रिम भोजन की व्यवस्था करें। कमजोर वंश को दूसरे वशों से शिशु फ्रेम स्थानान्तरित करें ततैयों से बचाने के लिए ततैया प्रपंच का प्रयोग करें।