मल्चिंग(Plastic Mulching) क्या है? मल्चिंग विधि |

मल्चिंग
मल्चिंग(Plastic Mulching) -खेत में लगे पोधो की जमीन को चारो तरफ से प्लास्टिक फिल्म के द्वरा सही तरीके से ढकने की प्रणाली को पलास्टिक मल्चिंग कहते है। यह फिल्म कई प्रकार और कई रंग में आती है। इस तकनीक का क्या फ़ायदा होता है। इस तकनीक से खेत में पानी की नमी को बनाये रखने और वाष्पीकरण रोका जाता है। ये तकनीक खेत में मिटटी के कटाव को भी रोकती है। और खेत में खतपतवार को होने से बचाया जाता है। बागवानी में होने वाले खतपतवार नियन्त्रण एवं पोधो को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने में बहुत सहायक होती है।क्यों क...
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काली मिर्च की खेती (Black Pepper) मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।

काली मिर्च की खेती Black Pepper
काली मिर्च (पाइपर नाइग्रम) एक बहुवर्षीय वेल है, जो पाईपरेसी परिवार से सम्बन्धित है । इसके छोटे गोल फल, मसाले और औषधी दोनों रूपों में इस्तेमाल किए जाते हैं । वाणिज्यिक रूप से काली मिर्च और सफेद मिर्च बाजार में मिलती है । पके फलों को वैसे ही सूखाकर काली मिर्च तैयार की जाती है और सफेद मिर्च अच्छी तरह पके हुए फलों की बाहरी त्वचा हटाने के बाद उसे सूखाकर तैयार की जाती है । काली मिर्च का प्रयोग मसाले के रूप में विभिन्न खाद्य पदार्थों को तैयार करने में तथा औषधी के रूप में होता है । पूरे विश्व में ...
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तोरिया की खेती (Toria Cultivation) मे अधिकतम उत्पादन एवं फसल सुरक्षा हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु

तोरिया की खेती
तराई-भावर में तोरिया की खेती (लाही), पीली सरसों एवं राई की खेती रबी मौसम में मुख्य तिलहनी फसल के रुप से की जाती है। इनकी उत्पादकता बढ़ाने हेतु फसलबार इन बिन्दुओं पर विशेष ध्यान दे। अल्प अवधि में अधिक उपज क्षमता की सामर्थ्य होने के कारण तोरिया को कैच क्राप के रुप में खरीफ एवं रबी मौसम के बीच मैदानी, तराई एवं भावर तथा निचले पर्वतीय क्षेत्रों में उगाकर अतिरिक्त लाभ अर्जित किया जा सकता है। तोरिया की खेती में बीज दर एवं बुवाई की विधि 4 कि.ग्रा. बीज की मात्रा प्रति हैक्टर प्रयागे करनी चा...
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अरहर कीट नियंत्रण – अरहर में होने वाले हानिकारक कीटों का प्रबंधन।

Split red gram bugs
अरहर कीट नियंत्रण : अरहर की फसल मे होने वाले कीटों का विवरण। अरहर कीट नियंत्रण : अरहर की फसल को कीटो से वचाव के लिए क्या करे फलीबेधक कीट इनकी गिडारे फलिय़ों के अदंर घुसकर दाने को खाकर हानि पहुॅचाती है। प्रौढ कीटो का अनुश्रवण करने के लिए 5-6 फरेमेने प्रपचं/है. की दर से फसल मे फूल आते समय लगाय़े यदि 5-6 माथ प्रति प्रपचं दो-तीन दिन लगातार दिखाई देतो निम्नलिखितमे किसी एक दवा का प्रयागे फसल मे फूल आने पर करना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो दसूरा छिडक़ाव 15 दिन के बाद करे, इससे अरहर की फसल का कीटो से वचाव ...
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उर्द कीट प्रबंधन – उर्द में लगने वाले कीट का नियंत्रण।

black gram
उर्द में लगने वाले कीट की संभावनाए, और उन पर कैसे नियंत्रण स्थापित करे  । उर्द में लगने वाले कीट तना मक्खी सुडिय़ा द्वारा ने को खोखला अथवा सुरगं बनाकर नुकसान पहुॅचाया जाता है। जिसस पौधा पीला पडक़र बाद में सुख जात है। बुवाई के पर्वू बीज का इमिडाक्लाेप्रड का 3 मि.ली. अथवा डायमथ्ऐट 30 ई.सीका 8 मि.ली./कि.ग्रा. की दर से उपचारित कर के बुवाई करें। मानाक्रेटेफेस/डाईमथ्ऐट/मिथाइल डिमटेन 1.0 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से फसल जमाव के एक सप्ताह बाद छिडक़ाव करे। बिहार रोमिल सूड़ी सिडयॉ पत्तिया का खाक...
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गेहूँ फसल सुरक्षा – गेहूँ मे लगने वाले प्रमुख रोग और कीट का नियंत्रण।

गेहूँ
गेहूँ में लगने वाले कीट एवं चूहों के प्रकोप एवं हानि लक्षण और रोकथाम के उपाय निम्नवत है। गेहूं में होने वाले रोग का नियंत्रण कटाई प्रबंधन   कीट का नाम प्रकोप और हानि रोकथाम के उपाय दीमक पौधे की प्रत्येक अवस्था में कीट जड़ों पर आक्रमण करते हैं। प्रभावित पौधें आसानी से उखड़ जाते है। कच्चे गोबर का प्रयोग खेत में नहीं करे। सड़ी गोबर की खाद ही प्रयोग करें। फिप्रोनिल 5 एफ.एस के 6 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज शोधन कर बीज का आधा घटां छाया म सुखाकर बुवाई करें। खडी़...
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धान में  होने वाले हानिकारक कीटों का प्रबंधन।

धान के हानिकारक कीट
धान में प्रभावी कीट प्रबंधन धान हेतु मुख्य कीटों के आर्थिक कगार सारणी-1 में दिया जा रहा है। धान के हानिकारक कीट से होने वाली हानि के लक्षण एवं इनके प्रबंधन हेतु संस्तुत कीटनाशी रसायनों का विवरण सारणी-2 में दिया गया है। रसायनों का दूसरा छिड़काव 7-10 दिन पर करे ।  प्रत्येक छिड़काव में एक ही रसायन का प्रयोग नहीं करे। धान की फसल में धान के हानिकारक कीट का आर्थिक  कगार स्तर (सारणी-1) कीटों का नाम आर्थिक कगार स्तर धान का हिस्पा 2 प्रौढ़ या दो ग्रसति पत्तियॉ प्रति हिल ...
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