राजमा (Red Kidney Beans) की अधिकतम खेती के लिये ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु|

राजमा की खेती रबी ऋतू में की जाती है | यह भारत में उत्तर के मैदानी क्षेत्रो में अधिक उगाया जाता है | मुख्य रूप से हिमालयन रीजन की के पहाड़ी क्षेत्रो तथा महाराष्ट्र के सतारा जिले में इसका उत्पादन अधिक किया जाता है|

राजमा की खेती

राजमा की खेती

राजमा की खेती के लिए किस प्रकार से हमें अपने खेतों की तैयारी करनी चाहिए?

खरीफ की फसल के बाद खेत की पहली जुटाई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा बाद में दो-तीन जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करनी चाहिए | खेत को समतल करते हुए पाटा लगाकर भुरभुरा बना लेना चाहिए इसके पश्चात ही बुवाई करनी चाहिए |

राजमा की खेती में की बुवाई का समय

तराइ एवं भावरः- फरवरी का प्रथम पखवाडा़ जायद में एवं अक्टबूर का दसूरा पखवाडा़ रबी में।

पर्वतीय क्षेत्रः- जनू का द्वितीय पखवाडा़ खरीफ में।

बीज की मात्राः- 75-80 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर।

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राजमा की बुवाई की विधि

बुवाई 30 से.मी. की दुरी पर कतारो में करे तथा बुवाई के 15-20 दिन बाद पौधा की छटांई करके पिंक्तया में पौघे से पौघे की दुरी 10 से.मी. कर दे।

बीज उपचारः-

थीरम 2 ग्राम एव कार्बेन्डाजिम 1 ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करे।

राजमा की खेती के लिये खाद एवं उर्वरक

गाबेर की खाद – 4-5 टन/है, नत्रजन 80-100 कि.ग्रा./है

फास्फारेस 80 कि.ग्रा./है., पाटेश 40 कि.ग्रा./है

तराई एव भावर क्षत्रे में नत्रजन की मात्रा 80-100 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर का दो बार प्रयागे करना चाहिए। 20 कि.ग्रा गंध्क देने से लाभकारी परिणाम मिले है।

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राजमा की निराई-गुड़ाई एवं खरपतवार नियंत्रण

प्रथम निराई-गुडा़ई एवं पौधा की छटांई बुवाई के 15-20 दिन बाद करे। आवश्यकतानुसार दसूरी निराई-गुडा़ई 35-40 दिन बाद करे।

राजमा की फसल में सिंचाई

आवश्यकतानुसार खरीफ, रबी एवं जायद मे बोई गई फसलो में फूल आते समय तथा फली बनते समय सिचांई करे

राजमा की फसल में कीट नियंत्रण

फली छेदक कीट से बचाव हेतु प्रोफेनोफास 50 ई.सी. की 2.0-3.0 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडक़ाव करना चाहिए।

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राजमा की फसल में रोग नियंत्रण

2 ग्राम थाइरम 1 ग्राम कार्बन्डाजिम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से बीज का शोधन करे। अकुंरण के 15-20 दिन बाद एवं फूल आरम्भ हाने पर कार्बेन्डाजिम के 0.1 प्रतिशत घोले का जडो के आस-पास छिडक़ाव करे।

कोणीय पर्ण चित्ती रोग

मैकांजेबे अथवा थायाेफनटे मिथाइल के 600-800 ग्राम दवा प्रति हैक्टर की दर से 600-800 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करे तथा आवश्यकता हाने पर दसूरा छिडक़ाव 15 दिन बाद करे।

उपज

जब फसल पकने पर पौधा पीला पड जाता है तथा सभी पत्तियॉ गिर जाती है तब इसकी कटाई मडा़ई कर ले तथा दानो को अच्छी तरह सुखाकर भण्डारण करें। संस्तुत सघन पद्वतियॉ अपनाकर 12-15 कुन्टल/हैक्टर उपज प्राप्त की जा सकती है।

8 thoughts on “राजमा (Red Kidney Beans) की अधिकतम खेती के लिये ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु|

  1. Javed Iqbal says:

    मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में क्या राजमा की खेती की जा सकती है।

    1. agriavenue says:

      यदि सिवनी मे जो किसान राजमा लगाना चाहते है तो अक्टूबर माह मे अथवा जनबरी माह मे लगा सकते है यानि कि ठंडा बडते समय अक्टूबर माह या ठडा कम हो रहा हो यानि जनबरी माह मे बुबाई कर सकते है मोसम मे तापमान 15 डिग्री से ऊपर होना चाहिए कम मे फूल ब फली कम बनेगी उस क्षेत्र के कृषि विज्ञान केंद्र से भी किसान सलाह ले सकता है क्योंकि क्षेत्र बिशेष के लिए राजमा की पृजाति अलग होगी

  2. Vijay veer Singh says:

    Sir — Up badaun me rajma ki kheti ki ja sakti hai .

    1. agriavenue says:

      हाँ की जा सकती है पर समय का ध्यान रखना आवश्यक होगा आप नबम्वर माह मे राजमा की बुबाई करे|

  3. Jasbir Singh says:

    Rajma ka beej kaha se milta

    1. agriavenue says:

      राजमा का बीज कानपुर मे दलहन अनुसंधान केंद्र अथवा अपने नजदीक के कृषि अधिकारी से सम्पर्क कर जानकारी ले सकते है|

  4. Shrikant Kumar says:

    Bihar me bhi rajma upajta hai

    1. agriavenue says:

      मौसम अनकूल होता है तो किया जा सकता है

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