मूंग (green gram) की बुवाई का उपयुक्त समय एवं अधिकतम उत्पादन हेतु ध्यान देने योग्य विशेष बिन्दु।

मूंग- बुवाई का समय

पर्वतीय क्षत्रेा में मूंग की बुवाई का उपयुक्त समय घाटिया में जून का द्वितीय पखवाडा़ है। विलम्ब से बुवाई करन पर उपज में कमी आ जाती है। तराई-भावर एव मैदानी क्षत्रेा में मूंग की बुवाई का सर्वाेत्तम समय जुलाई क अन्तिम सप्ताह से अगस्त का दसूरा सप्ताह है। जायद में बुवाई का उचित समय मार्च के द्वितीय पखवाड से 10 अप्रैल तक है। तराई क्षत्रे में मूंग की बुवाई मार्च क अतं तक कर लनेी चाहिए।

मूंग

मूंग

बुवाई की विधि

बुवाई कॅूड में हल के पीछ कर। पंक्ति से पंक्ति की दरूी 30-45 स.मी. हानेी चाहिए। बुवाई 3-4 से.मी. गहरी हानेी चाहिए

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बीज की मात्रा

खरीफ में 12-15कि.ग्रा. जायद में 25-30 कि.ग्रा

उर्वरकों का प्रयोग

मृदा परिक्षण परिणाम के अनुसार। अगर मृदा परीक्षण नही किया गया होता सामान्यतः 15-20 किलाग्रेम नत्रजन तथा 40-50 किलाग्रेम फास्फारेस प्रति हैक्टर का प्रयागे अिंतम जुताई के समय हल क कडू़ में कर। फास्फारेस की पिर्त सिगंल सुपर फास्फटे द्वारा करे। इससे फसल के सल्फर की आवश्यकता भी पूरा हो जाती है। अथवा सामान्यतः एक हैक्टर फसल हेतु (12:32:16) मिश्रण का पय्रागे करे। फलू बनन स पहल 2 प्रितशत यिरया घाले का छिडक़ाव 10 दिन के अतंराल पर दा बार करन से अच्छी पैदावार मिलती है।

बीज उपचार

प्रमाणित बीज शाेधत हाते है लिकन स्वयं उप्पादित बीजा को बीज जनित रागे स बचाव हते सर्वप्रथम थीरम 2 ग्राम  कार्बन्डाजिम 1 ग्राम प्रति किलाग्रेम बीज की दर स शाेधत कर। इसक बाद फसल विशष् के राइजाेबयम कल्चर, फास्फारेस घालेक कल्चर तथा पी जी पी आर से बीजापेचार निम्न विधि से करे। 10 किलाग्रेम बीज हते 200 ग्राम प्रत्यके में 100 ग्राम गुड अथवा चीनी का घालेकर उबाल तथा पण्र् रुप से ठण्डा हाने पर इसम 600 ग्राम कल्चर मिश्रण का मिलाकर गाढा़ घाले बनाए। अब कल्चर के गाढ घाले का बीज क उपर छिडक़कर धीर-ेधीर अच्छी तरह मिलाए। इसक बाद छाया में आधा घटां सुखा कर तुरन्त बुवाई करना चाहिए।

निराई-गुड़ाई

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बुवाई के तीसरे-चौथे सप्ताह में पहली निराई-गुड़ाई तथा आवश्यकतानुसार दसूरी सिचांई बुवाई के 40-50 दिन बाद करनी चाहिए। अगर मानव श्रम की कमी हाता घास तथा चौडी़ पत्ती वाल खरपतवारा के नियत्रंण हते फ्ल्यक्लारेेलन 45 ई.सी. की 2.0 प्रति हैक्टर का 500-600 लीटर पानी में घालेकर बुवाई के पहल छिडक़ाव करके मिटटी में मिला दें अथवा पैडींमथ्लीन 30 ई.सी. क 2.5-3.3 लीटर/हैक्टर या एलाक्लारे 50 ई.सी. के 4.0 लीटर/हैक्टर का 500-600 लीटर पानी में घालेकर बुवाई के तुरन्त बाद छिडक़ाव करे। अगर बुवाई क समय खरपतवारनाशी रसायनां का छिड़काव नहीं किया गया हो तो खरपतवार जमाव के पश्चात इमाजथ्पयर (पर सटू) के 1.0 लीटर/हैक्टर का छिडक़ाव बुवाई के 20-25 दिन बाद 500 लीटर पानी में घालेकर फ्लैट फने या फ्लड जटे नॉजल द्वारा करे।

उपज

सस्ंतुत सघन पद्वतियाॅ अपनाकर 10-15 कु./है. उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है ।

 


 

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