जुलाई माह में मैदानी क्षेत्र एवं पर्वतीय क्षेत्र में होने वाली फसले, फल, पुष्प, पशुपालन।

जुलाई माह में  मैदानी क्षेत्र में होने वाली फसले

धान : धान की रोपाई इस माह समाप्त कर ले l रोपाई  के लिए 20-30 दिन पुरानी पौध प्रयोग करें। रोपाई लाइनों में  करे। एक स्थान पर दो पौध रोपें । रोपाई  वाले धान में खरपतवार नियत्रंण के लिये ब्यूटाक्लोेर 50 इ.सी. 30 लीटर या एनीफोलास 30 इ.सी. 1.65 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई  के 3-4 दिन के अन्दर प्रयोग करना चाहिए। उर्वरकों का प्रयोग धान की किस्म व  मृदा उर्वरकता जाँच के आधार पर करना चाहिए। यदि किसी कारणवश भूमि परीक्षण न हुआ हो तो उर्वरकों का प्रयोग निम्न प्रकार से किया जाए। अधिक उपजदायी प्रजातियों मे नत्रजन 180, फास्फोरस 60, पोटाश 40 कीग्रा हैक्टेयर की दर से तथा सुगन्धित धान (बौनी ) में नत्रजन 90-120, फास्फोरस स 60 तथा पोटाश 40 किग्रा . प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करे। नत्रजन की आधी मात्रा तथा फास्फोरस  एवं पोटाश की पूरी मात्रा रोपाई के पूर्व प्रयोग करें। धान की सीधी बुवाई  जुलाई  के प्रथम सप्ताह तक समाप्त कर देनी चाहिए।

मूंगफ़ली बुआई  माह के मध्य तक पूरी कर ले l औसतन प्रति हैक्टेयर गुचछेदार प्रजातियों के लिये  80-100 किलो व फैलने वाली प्रजातियों के लिये 60-80 किलो बीज की आवश्यकता पडत़ी है ।फैलने  वाली प्रजातियों में 45 सेमी.तथा गुचछेदार प्रजातियों में 30 सेमी. पंक्ति से पंक्ति की दूरी तथा 15-20 सेमी. पौधो से  पौधो की दूरी रखनेे से उचित पोधों की संख्या प्राप्त होती है l

बाजरा भारत के उत्तरी क्षेत्रों में वर्षा  ऋतु के प्रारंभ होते ही बाजरे की बुआई  कर देते हैं l बुआई के लिये जुलाई का दूसरा व तीसरा सप्ताह उत्तम हैं l बारानी क्षेत्रों  में पूरित हैक्टेयर 4-5 किलो बीज की आवश्यकता पड़ती है l

मक्का यदि मक्का की बुआई नही  हो पाई  है तो शीघ्र कर ले ।बुआई  के 15 दिन बाद पहली निर्राइ कर देनी चाहिए l ज्वार ज्वार की बुआई  हेतु जून   के अन्तिम सप्ताह
से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक का समय अधिक उपयुक्त है । एक हैक्टेयर क्षेत्र की बुआई  के लिए 12-15 कीग्रा बीज की आवश्यकता होती हैं ।

तिल की बुआई  वर्षा  के प्रारंभ होने  के बाद से मध्य जुलाई तथा 2-3 सेमी. की गहराई  व 30-40 सेमी . का फासला रखकर कूड़े में करें पाचं किलो बीज प्रति हैक्टेयर
प्राप्त होता है l

मूंग व उडद़ : मूंग की समय में पकने वाली प्रजातियों की बुआई जुलाई के अन्तिम सप्ताह से अगस्त के तीसरे सप्ताह तक करनी चाहिए। उर्द  की शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की
बुआई  मध्य जुलाई अगस्त के प्रथम सप्ताह तक कर देनी चाहिए।

सोयाबीन उत्तरी मैदानी और मध्य क्षत्रों में जनू के अन्तिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह का समय सर्वोत्तम है । सोयाबीन का प्रमाड़ित बीज 75-80 कीग्रा प्रति हैक्टेयर की
दर से 45 सेमी दूर कतारों में तथा 4-5 सेमी . गहरा बोना चाहिए।

अरहर की कम समय मे पकने वाली किस्मों की बुवाई जुलाई के प्रथम सप्ताह में कर ले ।एक ही हैक्टेयर के लिये 12-15 कीग्रा . बीज की आवश्यकता पड़ती है ।

गन्ने को गिरने से बचाएं  जिन खेतों में वर्षा  का पानी भर गया हो  तुरंत निकालने की व्यवस्था करे। गन्ने में लगी बेल को  काट कर अलग कर देना  चाहिए। चोटी बेधक कीट की रोकथाम के लिये कारबोफ्यूरन 3 जी का 33 कीग्रा . प्रति है को नमी की दशा ‘में प्रयोग करें। पाइरिला या सफेद मक्खी का प्रकोप हो तो 1.5 लीटर मैलाथियान 50 इ.सी. या 1.25 लीटर क्लोरपाइरीफास 20 इ.सी. की दवा को 600-800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करे।

लोबिया वर्षा  प्रारंभ होने पर जुलाई  से बुआई करे। बुआई के लिये 30-40 किग्रा बीज पर्याप्त होता है ।

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जुलाई माह में पर्वतीय क्षेत्र होने में वाली फसले

धान तीन हजार फीट तक की ऊंचाई  वाले सिचीत क्षेत्रों में इस समय धान की रोपाई का कार्य  हो जाना चाहिये। यदि इस माह रोपाई  की जाती है  तो ध्यान रहे कि एक जगह कम से कम दो या तीन पोधें एवं एक वर्ग मीटर क्षेत्र में लगभग 50 जगहों पर पौधों  रोपा जायें। उर्वरकों का प्रयोग जून माह मे बतायी गई  विधि  के अनुसार करे। चेहरे तकी धान एवं  जेठी धान की बुआई वाले क्षेत्रों में बारिश होने पर यूरिया की टॉपड्रेसिंग खेरारोग का प्रकोप हो तो जिकं सल्फेट 100 ग्राम तथा यूरिया, 50 ग्राम प्रति नाली की दर से 15-20 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। झोकां  रोग नियत्रंण  के लिये रोग के लक्षण दिखाई देने पर 15-20 ग्राम कार्बेन्डाजिम या एण्डोसल्फास की 15-20 मिली. मात्रा 15-20 लीटर पानी में घोलकर प्रति नाली की दर से छिडकाव करना चाहिए।

मक्का:- मक्का की फसल से खरपतवार निकालते रहे। अतिरिक्त पोंधो की छटाई  कर लेl खेत में नमी का ध्यान रखे

सोयाबीन:- इस समय सोयाबीन की फसल पूरी तरह जम र्गइ  होगी तथा बढव़ार पर होगी। खरपतवार निकालते रहे । घने पौंधो को निकालकर पौंधो से पौंधो की आपसी दूरी 5 से 7 सेमी . कर दे ।

मडुंवा, झंगोरा, रामदाना इन फसलों में निराई कर खरपतवार रहित रखे। वर्षा  होने  पर या पर्याप्त नमी की दशा में यूरिया की टॉपड्रेसिंग कर सकते हैं।

जुलाई माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाली सब्जिया

टमाटर खेत की तैयारी अच्छी तरह करें। नई सकंर किस्मों_अर्का  रक्षक, अर्का  सम्राट, अर्का अन्नया इत्यादि का चुनाव करें। तैयार खेत की आखिरी जुताई  पर 160 किलोग्राम नत्रजन, 80 किलोग्राम सुपर फास्फेट तथा 80 किलोग्राम म पोटाश वाली उर्वरक जमीन में मिलायें।

बैंगन अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिये इस माह के  प्रथम व द्वितीय सप्ताह से  ही रोपाई  करें। तैयार खेत में क्यारियां बनायें तथा 60ग60 सेमी की दूरी पर सायं काल में समय रोपाई  करें व हल्की सिचाई  करें।

मिर्च फलों की तुड़ाई कर बाजार भेजने की व्यवस्था करे।आगामी फसल के लिए इस माह में पौधो की रोपाई  खेत में 60*45 की दूरी पर करें।

फूलगोभी अगेती फूलगोभी की फसल की रोपाई ऊँचे खेत में करें। खेत की अच्छी तरह तैयारी करें तथा क्यारियां बनाकर 50*30 सेमी की दूरी पर पौधों की रोपाई करें।

मूली अगेती फसल प्राप्त करने के लिए ऊचें स्थान पर मूली की बुआई की जाती है लेकिन फसल की बहतु देखभाल करनी पड़ेेगी। इसके लिए 30  सेमी. की दूरी पर हल्की सी मेड़ बनायें उन पर 10-15 सेमी. की दूरी पर बीज बोये l

पालक अगेती पालक की बुआई की जा सकती है। ऊचें खेत में आखिरी जुताई पर 60:50:50  के अनुपात में नत्रजन फास्फोरस तथा पोटाश मिलायें  तथा 30 सेमी की दूरी पर कतारें बनाकर बुआई करें।

भिण्डी, लोबीया तैयार फलियों को तोडक़र बाजार भेजने की व्यवस्था करें।बीज वाली फसलों में अवांछित पौधे निकाले। आवश्यकतानुसार निराइ – गुड़ाई करें। जल निकास की उचित व्यवस्था करें।इन फसलों में माैखिक नामक बीमारी का बहतु ही आक्रमण होता है ।एेसे पौधों को तुरंत ही निकालें। बीज वाली फसल में 0.15 प्रतिशत मैटासिस्टाक्स नामक कीटनाशी का छिड़काव व अवश्य करें जिससे बीमारियां नहीं बढ़ेगी तथा कीटों का आक्रमण कम होगा।

ग्वार तैयार फलियों को तोडक़र बाजार भेजें। फलियों को कच्ची अवस्था में  तोड़ा जाय। कीटों के बचाव के लिये मेटासिस्टाक्स 1.5 मिली. प्रति लीटर पानी का एक छिड़काव अवश्य करें ।

खीरावगीर्य फसलें फसलों में आवश्यकतानुसार निराइ, गुडाई  करें।कीटों के बचाव के लिए 0.2 प्रतिशत सेविन या थायोडान कीटनाशी का छिड़काव करें।

चौलाई तैयार चैलाई के पौधों को उखाड़े व साफ करें व बाजार भेजे । बाजार में भेजने से पूर्व  छोटी -छोटी गड्ड़िया बना लें।

शकरकन्द की बुआई इस माह में करने से अच्छी पैदावार होती है । खेत को तैयार कर 60 सेमी. की दूरी पर रोपाई करें

अदरक, हल्दी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई, गुडाई व जल निकास की उचित व्यवस्था करे।अरबी की खुदाई करके बाजार भेजने की व्यवस्था करें इन फसलों में झुलसा

बीमारी आ सकती है ।अतः इनके  बचाव के लिए 0.2 प्रतिशत इण्डाेिफल-45 नामक दवा का एक छिड़काव करें

आवंला बाग की रोपाई  का कार्य  प्रारम्भ कर दें। जल निकास की व्यवस्था करें प्ररोह गांठ व रस्ट रोग की रोकथाम हेतु नुवाक्रान व इन्डाेफिल एम-45 अथवा मैनकोजेब का छिड़काव  करें।

कटहल फलों को तोड़क़र बाजार भेजें। जल निकास की व्यवस्था करें।पौधों रोपाई का कार्य  करें।

नाशपाती बीजू पौधों पर कलम बांधे। कज्जली रोग की रोकथाम हेतु पेड़ो पर जीनेब का छिड़काव करें।

आड़ू पके फलों को  तोड़क़र बाजार भेजें ।भूरा विगलन रोग की रोकथाम  हेतु बेनेट का छिडक़ाव करें।

आलूबुखारा:- पके फलों को  तोड़क़र बाजार भेजें । भूरा विगलन रोग की रोकथाम हेतु बेनलेट का छिड़काव करें।

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जुलाई माह में पर्वतीय क्षेत्र में होने वाली सब्जिया

आलू तैयार फसल की खुदाई कर कंदों को बाजार भेजने की व्यवस्था करें। खडी़ फसल में  आवश्यकतानुसार निराई, गुडाई  व सिचाँई  करें।

टमाटर फसल में आवश्यकतानुसार निराई, गुड़ाई व सिंचाई करें। तैयार फलों को  तोडक़र बाजार भेजें। झुलसा नामक बीमारी के बचाव के लिए 0.2 प्रतिशत इन्डाेिफल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव  करें

बैंगन फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुडाई व सिंचाई करें।तैयार फलों को तोड़कर  बाजार भेजें। फल तथा तना छेदक नामक कीट के बचाव के लिए 0.2 प्रतिशत सेविन नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।

मिर्च / शिमला फसल में आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई व सिचाँई करे।तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें। बीमारी के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत इन्डाेिफल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।

भिण्डी/लाेबिया फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुडा़ई व सिचाँई  करें।

खीरावगीय फसलें फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिचाँई करें।तैयार फलों को तोड़कर  बाजार भेजें । बुआई भी की जा सकती है जो कृषक बुआई करना चाहते है बुआई करें।

पालक, धनियां, मेथी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुडाई व सिचाँई करे। पत्तियों की कटाई कर छोटे – छोटे बडंल बाधंकर बाजार भेजें।बाजार भेजने से पूर्व पत्तियों पर पानी का छिड़काव करें।

मूली, गाजर फसलों  में आवश्यकतानुसार निराई गुडाई व सिचाँई  करें तैयार जड़ो की खुदाई  कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें।

फूलगोभी, पातगोभी, गांठगोभी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिचाँई करें। तैयार फलों की कटाई करें व बाजार भेजें।

अदरक,हल्दी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुडाई व सिचाँई करें। बीमारी के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत इन्डाेिफल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।

बोंडा आवश्यकतानुसार निराई गुडाई व सिचांई  करें। झुलसा नामक बीमारी के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत इन्डाेिफल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिडकाव करें।

जुलाई जून माह में मैदानी क्षेत्र में होने वाले फल

आम नए बाग लगाने हेतु रोपाई का कार्य  प्रारम्भ करें। मध्यम समय में पकने वाली किस्मों के फलों को तोड़क़र बाजार भेजे ।बाग में  जल निकास की व्यवस्था करें नर्सरी में वीनियर कलम बाधंनें का कार्य  प्रारम्भ करें।

केला अवांछित पत्तियों  को निकाल दें । पेड़ों पर मिट्टी चढ़ा दे। फल वाले पेड़ो को थूनियां लगाकर सहारा दें।नए बाग की रोपाई का कार्य  करें। रोपाई हेतु तलवार की शक्ल की पत्तियों का चयन करें।

नींबूवर्गीय फल नए बाग लगाने का कार्य  प्रारम्भ करें। पौधशाला की सफाई करें।बाग में जल निकास की उचित व्यवस्था करें। कैकंर की रोकथाम के लिए ब्लाइटाक्स-50 के छिड़काव  की व्यवस्था करें।

अमरूद नए बाग रोपण का कार्य  करें। फलदार बाग में नाइट्रोजन उवर्रको का प्रयोग करें।

अगूंर मध्यम समय में पकने वाली किस्मों के फलों को तोड़कर बाजार भेजें। बाग में जल निकास का प्रबंध करें। फल विगलन रोग की रोकथाम हेतु ब्लाइटाक्स-50 का छिड़काव करें।

पपीता बाग में जल निकास का प्रबंध करें। तना विगलन रोग की रोकथाम हेतु पेड़ों  की ब्लाइटाक्स-50 घोल से सिचांई करें।

बेर जल निकास का प्रबंध करें। नये बाग रोपण का कार्य करें।पौधशाला में बीजों की बुआई  करें।चूणिल आसिता रोग की रोकथाम हेतु कैराथेन का छिड़काव करें।

लीची बाग में जल निकास का प्रबंध करें। नए बाग रोपाई  का कार्य प्रारम्भ करें। नए पौधों को तैयार करने के लिए गूटी बांधने का कार्य  इस माह अवश्य समाप्त कर लें।

लोकाट बाग में जल निकास की व्यवस्था करें।नए बाग रोपने का कार्य प्रारम्भ करें। नए बाग में 2-3 किस्मों के पौधें एक साथ रोपें।

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जुलाई माह में पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले फल

सेब बाग में भूमि सरंक्षी फसलों  की बुआई  करे। अगेती किस्मों के फलों को तोेड़क़र बाजार भेजें । कज्जली धब्बा रोग की रोक थाम हेतु जीने का छिडक़ाव करें।

नाशपाती कज्जली धब्बा व फायर ब्लाइट रोग रोक थाम हेतु जीनेब व ब्लाइटाक्स-50 का छिड़काव  करें।

आड़ू पके फलों को तोड़क़र बाजार भेजें। भूरा विगलन की रोक थाम हेतु  बेनलेट का छिड़काव करें।

लूबुखारा फलों को तोेड़कर बाजार भेजें । भूरा विगलन की रोकथाम हेतु बेनलेट का छिडक़ाव करें।

खुबानी फलों को तोड़क़र बाजार भेजे  भूरा  विगलन की रोकथाम हेतु बेनलेट  का छिडक़ाव करें।

जुलाई माह में होने वाले पुष्प

देशी गुलाब से एक शाख वाले तैयार पौधों को जिनमें आगे बडिंग किया जाना है क्यारियों में एक फीट की दूरी (फ्लोरीबन्डा 70 सेमी. की दूरी) पर लगाना। कल्लो को तोड़क़र एवं निराई। रजनीगन्धा में यदि वर्षा न हो रही हो तो सिंचाई एवं निराई गुडा़ई। पोष्क तत्वों के मिश्रण का 15 दिन के अन्तर पर छिड़काव करें। इसके अलावा स्पाइक की कली में फुटाव आते ही सिकेटियर से स्पाइक को 4-6 सेमी नीचे से काटना, अनावश्यक पत्तियाें का हटाना, छटाई, स्पाइक को पानी में रखना तथा विपणन।

गेंदा में जल निकास का उचित प्रबन्ध।

फल-सब्जी संरक्षण
आम के विभिन्न उत्पाद, जामुन का सिरका बना सकते है। स्क्वैश, आडू, आलूबुखारा से जैम तथा चटनी बना सकते हैं । नाशपती की चटनी, जैम तथा मुरब्बा बना सकते हैं ।नीबू से अचार, स्क्वैश्,  कार्डियल तथा बार्लीवाटर बना सकते हैं । बरसाती अमरूद की जैम या जेली बना सकते हैं। करौंदा की जैली तथा अचार बना सकते हैं ।इससे कैण्डी भी बनाई जा
सकती है। अनानास से विभिन्न उत्पाद भी बना सकते हैं। करेले का अचार बना सकते है।

पशुपालन

गाय-भैसं : बाह्य परजीवी नाशक का बाडे़ में छिड़काव  करे।वर्शा  एवं ऊमस से बचाव हेतु पशुशाला की मरम्मत कर हवादार बनाये। खुराक में खनिज मिश्रण और दाने का प्रयोग करें । पतले गोबर की बीमारी से बचाव हेतु सूखे चारे की पर्याप्त मात्रा 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दें।

भेड़ व बकरी : वर्षा से बचाव हेतु समुचित व्यवस्था करें। टीकाकरण हेतु पशु चिकित्सक से परामर्श कर टीका लगवायें।

कुक्कुट : बिछावन को सूखा रखने के लिए इसकी नियमित गुड़ाई करें। इसके लिए बुझा हुआ चूना 1.25 किग्रा. प्रति वर्ग मीटर की दर से मिलाएं चूजों में काक्सीडियाेसिस रोग की रोक थाम के लिए उचित उपाय करें। जैसे काक्सीडियोस्टेट का प्रयोग करें । पेट  के कीड़ों के लिए कृमि नाशक दवा दें।

मत्स्य : तालाब के पानी में प्राकृतिक भोजन (प्लवको) का निरीक्षण करें। मत्स्य बीज संचय के पूर्व पानी की जांच करें एवं पी0एच0 7.5 से 8.0 व घुलित आक्सीजन 5-7 मिगा्र ./ली. रखें।10-20 कु/है /माह कच्चे गोबर की खाद का प्रयोग करें।

मौन : मौनों की संख्या  कम हाे रही हो तो शिशु फ्रेम दूसरे मौन परिवार से निकाल कर कमजोर वंश को दे दे। टेरामाइसिन 250 मिग्रा को चार ली. चीनी के घाले में मिलाकर प्रति वंश् आधा ली. दें एवं  मौन गृह में शहद न होने की स्थिति में कृत्रिम भोजन चीनी घाले कर दें।

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